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COVID महामारी के दौरान 6.7 करोड़ बच्चों को जान बचाने वाले टीके नहीं मिले: UNICEF

रिपोर्ट में पाया गया कि कई लोगों का महामारी के दौरान नियमित बचपन के टीकों के महत्व पर से विश्वास उठ गया है.

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UNICEF द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के वर्षों में दुनिया भर में बच्चों के नियमित टीकाकरण दर में गिरावट देखी गई.

इतना ही नहीं, UNICEF द्वारा 55 देशों में कराए गए सर्वे के अनुसार टीकाकरण के प्रति बढ़ता संकोच उसके उपयोग को बहुत प्रभावित कर रहा है.

रिपोर्ट में क्या पाया गया, यह जानने के लिए आगे पढ़ें.

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यह क्यों मायने रखता है?

बचपन के नियमित टीकों में गिरावट के कारण, बच्चों की एक बड़ी आबादी घातक बीमारियों की चपेट में आ सकती है.

उदाहरण के लिए, हम मीजल्स, कॉलेरा और पोलियो जैसी बीमारियों को वापस आते देख रहे हैं, जो पहले अच्छे टीकाकरण कार्यक्रमों के कारण बहुत कम हो गए थे.

रिपोर्ट की प्रमुख बातें:

2019 और 2021 के बीच,

  • 112 देशों में बच्चों के टीकाकरण के कवरेज में कमी आई है

  • दुनिया भर में 6.7 करोड़ बच्चे नियमित टीकों की एक या उससे अधिक खुराक लेने से चूक गए

  • इनमें से 4.8 करोड़ बच्चे सभी नियमित टीकों से चूक गए

  • दुनिया भर में 5 में से 1 बच्चे का टीकाकरण नहीं होता है - यह दर 2008 के बाद से सबसे कम है.

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि सर्वेक्षण किए गए 55 देशों में से 52 देशों में इन नियमित टीकों के पब्लिक परसेप्शन में गिरावट आई थी.

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बड़ी तस्वीर: डेटा दिखाता है कि दुनिया भर में टीकाकरण के लिए उठाए कदमों में रुकावट आई है. UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक, कार्यक्रमों को वापस पटरी पर लाना 'चुनौतीपूर्ण होगा'.

स्टडी के लेखकों ने एक बयान में सर्वेक्षण के नतीजों को टीके के प्रति बढ़ती हिचकिचाहट और गलत जानकारी का 'चिंताजनक' संकेत बताया, जिससे सरकार के नेतृत्व वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में जनता के विश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है.

मुख्य बात: रिपोर्ट के अनुसार इस इम्यूनाइजेशन में बढ़ती कमी को सुधारने के लिए प्रभावी प्रतिरक्षण कार्यक्रम और कैच-अप अभियानों की जरूरत है.

टीके से जुड़ी हिचकिचाहट से निपटना, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में निवेश करना, डिजीज सर्वेलेन्स सुधारना और लीडरशिप और जवाबदेही को मजबूत करना जैसे कदम हैं, जो इसे हासिल करने में मदद कर सकते है.

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