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'माइक्रोप्लास्टिक्स एण्ड नैनोप्लास्टिक्स इन एथेरोमास एण्ड कार्डियोवैस्कुलर इवेंट्स' नाम के एक नए स्टडी के अनुसार जिन लोगों की आर्टरियों में माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स (MNP) होते हैं, उन्हें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मृत्यु का अधिक खतरा होता है.
यह पहली बार नहीं है कि किसी रिसर्च ने हार्ट वेसल्स में एमएनपी (MNP) के मौजूद होने को गंभीर चिंता का कारण बताया हो.
2023 में बायोमेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया था,
हालांकि, जब प्लास्टिक पोल्यूटेंट्स और हार्ट हेल्थ की बात आती है, तो इस लेटेस्ट रिसर्च पेपर को एक लैंडमार्क स्टडी के रूप में सराहा जा रहा है. ऐसा क्यों?
फिट ने इस बात को समझने के लिए एक्सपर्ट्स से बात की.
यह स्टडी, जो द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में 6 मार्च को प्रकाशित हुई थी, इसमें कहा गया है,
नेपल्स में रिसर्चरों द्वारा किए गए स्टडी में 34 महीनों तक 257 प्रतिभागियों को फॉलो किया गया. ये सभी मरीज वो थे, जिन्होंने जमा फैट को हटाकर स्ट्रोक के रिस्क को कम करने के लिए सर्जरी करवाई थी.
लेकिन, इनमें से कम से कम 150 रोगियों (58.4%) के करॉटिड आर्टरी में पॉलिथीन पाया गया.
34 महीनों के फॉलोअप पीरियड में, जिन प्रतिभागियों की आर्टरियों में माइक्रो और नैनोप्लास्टिक पाए गए, उनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मृत्यु का चांस लगभग पांच गुना अधिक था.
सबसे अधिक जोखिम वाले पार्टिसिपेन्ट कौन थे? स्टडी में पाया गया कि युवा पुरुष, जो धूम्रपान करते थे या जिन्हें डायबिटीज थी, उनकी आर्टरियों में विशेष रूप से माइक्रो और नैनोप्लास्टिक पाए गए.
इन रोगियों में कोलेस्ट्रॉल का लेवल और शरीर में सूजन भी अधिक थी.
फिट ने पहले भी बड़े पैमाने पर कवर किया गया है कि कैसे माइक्रोप्लास्टिक हमारे अंगों, ब्लडस्ट्रीम, और यहां तक कि ब्रेस्ट मिल्क में भी घुस चुका है और इससे हमें क्या नुकसान पहुंच सकता है.
डॉ. समीर गुप्ता, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा, बताते हैं,
डॉ. वरुण बंसल, कंसलटेंट- कार्डियोथोरेसिक सर्जरी/वैस्कुलर सर्जरी, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, इस बात से सहमत हैं.
उनका कहना है कि हालांकि हमारे हार्ट हेल्थ पर प्लास्टिक पोल्यूटेंट्स के प्रभावों के बारे में चेतावनी पहले भी दी गई है, लेकिन यह पहली बार है कि उनके बीच एक संबंध दिखाया गया है.
यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कैरोटिड आर्टरी हमारे दिमाग, गर्दन और चेहरे तक खून पहुंचाती है.
यहां प्लास्टिक पोल्यूटेंट्स की मौजूदगी का मतलब है कि यह हमारे दूसरे अंगों तक भी पहुंच सकता है और उनके सामान्य कामकाज को प्रभावित भी कर सकता है.
हालांकि यह स्टडी कॉजेशन (causation) स्थापित नहीं करता है, यह कोरिलेशन (correlation) सजेस्ट करता है.
दोनों एक्सपर्ट, जिनसे फिट ने बात की, कहते हैं, "हमारा अगला कदम क्या होने चाहिए इसकी बेहतर तस्वीर पाने के लिए अधिक रिसर्च और डेटा अनैलिसिस की आवश्यकता है."
डॉ. गुप्ता का कहना है कि इस वक्त एक बात जो तय है कि प्लास्टिक इक्स्पोजर कम करने के लिए तत्काल पॉलिसी इंटरवेंशन की आवश्यकता है.
हालांकि, डॉ. बंसल यह भी कहते हैं कि स्टडी की सीमाओं और बारीकियों को भी समझने की जरूरत है, जैसे कि क्या हार्ट हेल्थ और प्लास्टिक पोल्यूटेंट्स के बीच यह संबंध दुनिया भर में पर प्रचलित (prevalent) है या क्या यह हाई पोल्युशन लेवल वाले क्षेत्रों तक ही सीमित है.
डॉ. बंसल सुझाव देते हैं कि लोग अपने हार्ट हेल्थ के लिए कुछ प्रीकॉशनरी उपाय भी करें.
उन्होंने सुझाव दिया:
उचित बैलेंस्ड और कन्ट्रोल्ड डाइट का पालन करें.
नियमित रूप से एक्सरसाइज करें.
धूम्रपान और शराब से बचें.
नियमित प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप के लिए जाएं.
जहां तक संभव हो सिंगल-यूज प्लास्टिक न इस्तेमाल करें.
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