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Stroke And Hypertension: ठंड, प्रदूषण और हाइपरटेंशन से बढ़ रहे स्ट्रोक के मामले

Winter Stroke: गिरता तापमान, बढ़ता प्रदूषण और हाइपरटेंशन बन रहा स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारी का कारण.

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Stroke Related To Hypertension: दिल्ली-एनसीआर समेत पूरा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड की चपेट में आ गया है. वहीं देश की राजधानी और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर भी लगातार 'बेहद खराब' श्रेणी में रह रहा है. ऐसे में यहां के डॉक्टर स्ट्रोक में मामलों में लगभग 40% और स्ट्रोक के कारण आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों में 20% तक की वृद्धि देख रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर के कुछ हॉस्पिटल जिनमें मेदांता, फोर्टिस और अपोलो के डॉक्टर शामिल हैं ने पिछले हफ्ते स्ट्रोक के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई थी.

गिरता तापमान और बढ़ता प्रदूषण स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारी का कारण बनता जा रहा है.

वहीं स्ट्रोक के मामलों का एक प्रमुख कारण हाइपरटेंशन होता है. सर्दी के मौसम में हाइपरटेंशन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

हाइपरटेंशन और स्ट्रोक के बीच क्या कनेक्शन होता है? सर्दी के मौसम में हाइपरटेंशन से स्ट्रोक का खतरा क्यों बढ़ता है? इससे कैसे बचा जा सकता हैं? स्ट्रोक के लक्षण क्या है? स्ट्रोक आने पर क्या करना चाहिए? फिट हिंदी ने फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में डायरेक्टर ऑफ न्यूरोलॉजी- डॉ. कुणाल बहरानी से बात की और जाना इन सवालों के जवाब.

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हाइपरटेंशन और स्ट्रोक के बीच क्या कनेक्शन होता है?

हाइपरटेंशन और स्ट्रोक के बीच गहरा संबंध हो सकता है क्योंकि हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर एक सामान्य स्थिति है, जो समय के साथ निरंतर बढ़ सकती है. हाई बीपी से लड़ने के लिए हार्ट को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे धमनियों (arteries) में दबाव बढ़ सकता है. यह दबाव धमनियों को कमजोर बना सकता है और इसका रिजल्ट स्ट्रोक हो सकता है.

डॉ. कुणाल बहरानी कहते हैं, "ऐसे में ब्लड फ्लो में रुकावट के कारण हार्ट में ब्लड की आपूर्ति कम हो सकती है और दिमाग को सही मात्रा में खून नहीं मिल पाता, जिस कारण ब्रेन टिशूज में ऑक्सीजन और खून की कमी होने लगती है और व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार बन जाता है".

सर्दी के मौसम में हाइपरटेंशन से स्ट्रोक का खतरा कैसे बढ़ता है?

सर्दी के मौसम में हाइपरटेंशन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इस समय ब्लड प्रेशर नियमित रूप से बढ़ जाता है और इससे इंटरनल ब्लड वैन्स में दबाव बढ़ता है. सर्दी के कारण ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है, जिससे हार्ट और धमनियों (arteries) को अधिक मेहनत करनी पड़ती है. यह दिल के लिए जोखिम बढ़ाता है और स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है.

स्ट्रोक से कैसे बचा जा सकता है?

सर्दी के मौसम में हाइपरटेंशन से बचने के लिए नियमित रूप से बीपी की जांच करवाएं, स्ट्रेस फ्री रहें और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं.

हेल्दी लाइफस्टाइल को बनाए रखकर सर्दी के मौसम में स्ट्रोक से बचा जा सकता है. रेगुलर एक्सरसाइज, सही आहार और समय-समय पर बीपी की जांच करते रहना जरुरी है.

"हाइड्रेटेड रहें और गर्म कपड़े पहनें. डॉक्टर की दी मेडिसिन खाएं, जिससे हम सर्दी के मौसम में हाइपरटेंशन के खतरे से बचकर अपने हेल्थ की देखभाल और स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं."
डॉ. कुणाल बहरानी- डायरेक्टर ऑफ न्यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद
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क्या हैं स्ट्रोक के लक्षण?

स्ट्रोक के लक्षण व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में आनेवाले बदलावों का संकेत होते हैं. सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • चेहरे, हाथ या पैर का अचानक सुन्न होना या कमजोरी लगना, खासकर शरीर के एक तरफ.

  • अचानक भ्रम, बोलने में परेशानी या बात समझने में परेशानी होना.

  • एक या दोनों आंखों से देखने में अचानक परेशानी महसूस करना.

  • अचानक चलने में परेशानी होना, चक्कर आना, संतुलन (balance) बिगड़ जाना.

  • बिना किसी ज्ञात कारण के अचानक तेज सिरदर्द.

"स्ट्रोक के लक्षणों का आभास होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. लक्षणों के शुरू होने का समय लिखें और परिवार/दोस्त की मदद लें. चेतावनी के संकेत कभी-कभी छोटे समय के लिए हो सकते हैं, इसलिए क्या हो सकता है ऐसी बातों के बारे में अच्छे से सोचें और हेल्प के लिए कॉल करें."
डॉ. कुणाल बहरानी- डायरेक्टर ऑफ न्यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद

स्ट्रोक आने पर क्या करना चाहिए?

स्ट्रोक होने पर तुरंत इलाज मिलना जरुरी है.

  • स्ट्रोक के शुरुआती 4.5 घंटों के भीतर, इंट्रावेनस थ्रोम्बोलिसिस (intravenous thrombolysis) मिल जाना मरीज के लिये प्रभावकारी हो सकता है. इसके जरिए ब्लड फ्लो को काबू करके स्ट्रोक के प्रभाव को कम और स्ट्रोक के जानलेवा होने की आशंका को कम किया जा सकता है.

  • नजदीकी हॉस्पिटल में जल्दी पहुंचना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना भी बेहद जरुरी है ताकि इलाज समय पर शुरू हो सके और स्ट्रोक के नेगेटिव इफेक्ट्स से बचा जा सके.

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