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Monday Blues: शुक्रवार की सुबह अगर आप 'शुक्र है आज शुक्रवार हैं' महसूस करते हुए उठते हैं, तो संभावना है कि आप या तो एक छात्र हैं या एक कामकाजी पेशेवर हैं, जो सप्ताह भर के भाग-दौड़ से थक गए हैं और वीकेंड का इंतजार कर रहे हैं.
'फ्राइडे फीलिंग’ एक ऐसे चीज है, जिसे बहुत से लोग अनुभव करते हैं. ये एक एक निश्चित खुशी की भावना है कि सप्ताह खत्म हो रहा है और आपको आराम करने के लिए दो दिन मिलेंगे.
यह 'मंडे ब्लूज' के बिल्कुल विपरीत है, जिसमें अक्सर नेगेटिव फीलिंग शामिल होती हैं खास कर एक नए सप्ताह की शुरुआत का डर. लेकिन क्या आपने सोचा है कि हम सप्ताह के कुछ दिनों को कुछ भावनाओं से क्यों जोड़ते हैं? क्या हमने अपने दिमाग को उन भावनाओं को महसूस करने के लिए मना लिया है?
फिट ने इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए विशेषज्ञों से बात की.
फरीदाबाद के मारेंगो एशिया हॉस्पिटल में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. जया सुकुल का कहना है कि जब सप्ताह की शुरुआत में नकारात्मक भावनाओं की बात आती है, तो यह अक्सर आपके काम से असंतोष या आपके वर्क-लाइफ बैलेंस की कमी से होता है.
डॉ. सुकुल आगे कहती हैं ऐसे करियर जिनमें आपने इन्वेस्ट न किया हो, आप में थकावट और सोमवार से नफरत की भावना पैदा कर सकते हैं क्योंकि तभी आपको फिर से काम का सामना करना पड़ता है.
वैज्ञानिक रूप से, 'मंडे ब्लूज' में सुस्ती, प्रेरणा की कमी और सामान्य उदासी की भावनाएं शामिल हो सकती हैं. कॉग्निटिव इनकोहेरेन्स भी एक लक्षण हो सकता है.
नवी मुंबई के अपोलो अस्पताल में मनोविज्ञान सलाहकार डॉ. रितुपर्णा घोष इन नेगेटिव भावनाओं का कारण हमारे आस-पास के "अत्यधिक तनाव" को मानती हैं.
वह फिट को बताती हैं,
हालांकि, 'मंडे ब्लूज़' या 'संडे स्केरीज' (आने वाले सोमवार का डर) का अनुभव करने वाला हर व्यक्ति अपने वर्कप्लेस के कारण हतोत्साहित (demotivated) नहीं होता है.
यह एक बहुत ही सामान्य एहसास है, क्योंकि कोई दो दिनों तक कुछ भी काम करने के लिए बाध्य न होने के बाद अपनी नौकरी पर लौट रहा है.
पिछले कुछ वर्षों में किए गए अलग-अलग स्टडीज से पता चला है कि सोमवार के भय के विपरीत, शुक्रवार लोगों के लिए अधिक आरामदायक होता है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि वे फ्राइडे को प्रोडक्टिव नहीं होते हैं.
वारविक विश्वविद्यालय द्वारा किया गया एक स्टडी दिखाता है कि "खुशी ने लोगों को लगभग 12% अधिक उत्पादक बना दिया."
और ऐसा नहीं है कि लोग इसलिए अधिक खुश हैं कि उन्हें वीकेंड में आराम मिलता है.
जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लिनिकल साइकोलॉजी में प्रकाशित 2010 के एक स्टडी में कहा गया है कि 'वीकेंड इफेक्ट' काफी हद अपनी एक्टिविटी को चुनने की स्वतंत्रता और प्रियजनों के साथ समय बिताने के अवसर से जुड़ा है.
स्टडी में यह भी पाया गया कि सभी प्रकार के लोगों को "शुक्रवार शाम से रविवार दोपहर तक बेहतर मूड, अधिक एनर्जी और कम दर्द" का अनुभव होता है.
विडंबना यह है कि क्योंकि लोग वीकेंड पर अधिक आराम करते हैं, एक और भावना घर कर जाती है कि शुक्रवार, शनिवार और रविवार दूसरे दिनों की तुलना में जल्दी बीत जाते हैं.
2011 की एक स्टडी जिसका शीर्षक है ईमोशन कलर्स टाइम पर्सेप्शन अनकॉन्शसली, में कहा गया है:
एक्सपर्ट कहते हैं कि कुछ चीजें हैं, जिनकी मदद से आप मंडे ब्लूज या रविवार के जल्दी बीत जाने की भावना से बच सकते हैं
वर्क डे के दौरान छोटे ब्रेक लें
रिलैक्स करने के पसंदीदा प्लान बनाएं जैसे स्पा में जाना या मसाज करवाना
“समस्या माइक्रो ब्रेक की कमी, खुद की देखभाल और अपने ब्रेक या वीकेंड की योजना न बनाने से है. अगर आप इन पर कंट्रोल रखते हैं, तो आप अधिक आराम कर सकेंगे.
डॉ. जया सुकुल
जॉगिंग या योग जैसे व्यायाम करें
अपने लिए समय निकालें
उचित आराम करें और उचित स्लीप साइकल बनाए रखें
अच्छा खाएं
जबकि ये भावनाएं सामान्य हैं, अगर आप बहुत अधिक भय या नेगेटिव भावनाएं महसूस करते हैं, तो आत्मनिरीक्षण करें और किसी एक्सपर्ट से परामर्श करना चाहिए.
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