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Nipah Virus Outbreak In kerala: केरल में निपाह वायरस के मामलों में वृद्धि के बीच, पड़ोसी राज्य कर्नाटक ने अपने केरल से सटे बॉर्डर जिलों में निगरानी बढ़ाने का फैसला किया है. कर्नाटक से केरल में एंट्री पॉइंट्स पर बुखार की निगरानी के लिए चेक पॉइंट्स बनाया जाएगा.
केरल के स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय के अनुसार, कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के एक और मामले की पुष्टि हुई, जिससे राज्य में सक्रिय मामले 4 हो गई हैं.
आईसीएमआर (ICMR) ने गुरुवार को घातक निपाह वायरस से निपटने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी केरल भेज दिया.
आईसीएमआर (ICMR) ने गुरुवार को घातक निपाह वायरस से निपटने के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी केरल भेज दिया. साथ ही राज्य को सैंपल के टेस्ट में सक्षम बनाने के लिए एक बीएसएल-3 (बायो सेफ्टी लेवल-3) लैब को भी ग्राउंड जीरो पर भेज दिया है.
इन्फेक्शन के इलाज के लिए सरकार के पास एंटीवायरल ही एकमात्र विकल्प उपलब्ध है, हालांकि इसकी एफिकैसी (efficacy) अभी तक क्लिनिकली साबित नहीं हुई है.
एम 102.4 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, एक एक्सपेरिमेंटल थेरप्यूटिक है, जो कंपैशनेट ग्राउंड के आधार पर संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए 2018 में हुए निपाह प्रकोप के दौरान आयात किया गया था. उस समय इसका इस्तेमाल नहीं किया गया था क्योंकि जब तक यह आया तब तक इसका प्रकोप खत्म हो चुका था.
14 सितंबर को कर्नाटक सरकार ने एक सर्कुलर इशू कर कहा कि कोझिकोड में निपाह के चार (अब छह) मामलों की पुष्टि और दो मौतों को ध्यान में रखते हुए, कर्नाटक के उन जिलों में निगरानी मजबूत करने की आवश्यकता है, जो केरल के साथ सीमा साझा करते हैं, जैसे कि चामराजनगर, मैसूर, कोडागा और दक्षिण कन्नड़.
सर्कुलर में लोगों से "कर्नाटक से केरल के प्रभावित क्षेत्र में आम जनता को गैर-जरुरी यात्रा न करने" का भी आग्रह किया गया है.
निपाह वायरस या NiV संक्रमण एक जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों और इंसानों दोनों में पाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से जानवरों से इंसानों में फैलता है. रिसर्च से पता चला कि यह बीमारी सबसे पहले तब फैली जब इंसान सुअर के मल के संपर्क में आए. यह सूअरों, फल चमगादड़ों, घोड़ों, भेड़, बकरी और यहां तक कि बिल्लियों और कुत्तों में भी पाया जाता है.
निपाह वायरस के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 4 से 14 दिन बाद दिखाई देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, इनमें शामिल हैं:
बुखार
सिरदर्द
ड्रॉसिनेस
खांसी/गले में खराश
डिसोरिएंटेशन
एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (हल्के से लेकर गंभीर तक)
यह तेजी से भी बढ़ सकता है, जिससे गंभीर मामलों में एन्सेफलाइटिस (दिमाग में सूजन) हो सकता है, जिससे दौरे पड़ सकते हैं या मरीज कोमा में जा सकता है.
निपाह वायरस एक संक्रामक रोग (communicable disease) है, जिसका अर्थ है कि यह संक्रमित जानवरों और लोगों के सीधे संपर्क या उनके शारीरिक तरल पदार्थ से दूषित भोजन के माध्यम से फैलता है.
केरल में, फल चमगादड़, विशेष रूप से कोझिकोड और उसके आसपास पाए जाने वाले चमगादड़ों को इन्फेक्शन का सस्पेक्टेड सोर्स माना जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपाह से मृत्यु दर 40 से 75% के बीच है. इसका मतलब यह है कि लगभग आधे मामलों में मृत्यु होने की आशंका है.
वर्तमान में, निपाह वायरस के लिए कोई सटीक उपचार या टीका नहीं है. इलाज में लक्षण मैनेजमेंट, हाइड्रेशन और आराम शामिल है. वैसे निपाह वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडी’ है पर, उसकी एफिकैसी अभी तक क्लिनिकली साबित नहीं हुई है.
सबसे पहले और सबसे जरुरी है पर्सनल हाइजीन बनाए रखना.
अपने हाथ नियमित रूप से धोएं.
खुद में कोई लक्षण हैं या आप फ्लू जैसे लक्षणों वाले लोगों के आसपास हैं, तो नाक और मुंह को मास्क से ढक कर रखें.
जिन क्षेत्रों में चमगादड़ पाए जाते हैं वहां के कच्चे फल, जमीन पर पाए जाने वाले फल या पेड़ों से तोड़े गए फल खाने से बचें.
जब तक बीमारी कम न हो जाए, एंडेमिक जगह में जाने से बचें.
NiV से संक्रमित किसी भी व्यक्ति के ब्लड या शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आने से बचें.
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