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Stomach Flu In Summer: देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है. यहां तक कि अपने सुहावने मौसम के लिए मशहूर बेंगलुरु और पुणे जैसे शहरों में गर्मी ने इस बार कई साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए. गर्मी अपने साथ सिर्फ हीट वेव ही नहीं बल्कि तरह-तरह के वायरल और बैक्टीरियल बीमारियां भी साथ लाती है.
दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, मुंबई जैसे शहरों में स्टमक फ्लू (stomach flu) के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है खासतौर से बच्चों में. मुंबई में स्टमक फ्लू के मामले मार्च महीने की तुलना में अप्रैल में 44% बढ़ गए हैं.
बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं क्यों बढ़ रही हैं? क्या हैं इसके शुरुआती लक्षण? इससे बचाव के उपाय क्या हैं? किस स्थिति में बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं? फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से संपर्क किया और जाना इन सवालों के जवाब.
सर गंगाराम हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोइंटरोलोजी के सीनियर कंसलटेंट और वाईस चेयरमैन डॉ. पीयूष रंजन ने बताया,
वहीं गुरुग्राम मेदांता की डॉ. नीलम मोहन फिट हिंदी से कहती हैं कि गर्मियों के दौरान बच्चों में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी समस्याएं बढ़ जाती हैं. खासकर फूड से होने वाले इन्फेक्शन जैसे कि टाइफाइड, सल्मोनेला, हेपेटाइटिस ए, कैम्पिलोबैक्टर इन्फेक्शन. इसके कारण बच्चों में बुखार, उल्टी, डायरिया, पेट में दर्द और पीलिया रोग की समस्या सामने आती हैं.
डॉ. नीलम मोहन गर्मियों में बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं बढ़ने के पीछे इन कारणों का जिक्र भी करती हैं.
गर्म मौसम में खाना बनाने के 2 घंटे बाद फूड को फ्रिज में नहीं रखने से उसमें बैक्टीरियल ग्रोथ हो जाता है, जिसे खाने से इंफेक्शन हो जाता है.
गर्मियों में नॉन-वेज फूड से भी इन्फेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है.
गर्मियों में पानी के कंटामिनेशन के कारण चोलेरा एपीडेमिक के मामले बढ़ जाते हैं.
डॉ. नीलम मोहन बताती हैं कि आजकल रोटावायरस वैक्सीन सरकारी इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में लगाया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी वैक्सीन से प्रोटेक्शन 100 प्रतिशत नहीं मिलती है, लगभग 60% तक सुरक्षा मिलती है.
गर्मी के मौसम में पेट से जुड़ी समस्याओं के आम लक्षण ये होते हैं:
बुखार
पेट में दर्द
उल्टियां
दस्त, कभी-कभी दस्त के साथ खून आना
कम पेशाब होना
डिहाइड्रेशन
थकान
मौसम चाहे कोई भी हो बच्चे को हाइजीन मेंटेन करने की आदत जरुर लगवाएं. ये कुछ उपाय हैं, जो हेल्दी रहने में उनकी और आपकी मदद करेंगे.
साफ-सुथरा खाना और पानी पीना
जरूरत पड़ने पर उबला पानी पीना
खुले में रखा खाना और बाहर का खाना नहीं खाना
टाइफाइड और हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन लगवाएं
घर में साफ-सफाई रखें
पक्के हुए खाने को देर तक रूम टेम्परेचर पर न छोड़ें
बच्चों को हाथ साफ रखना और हर रोज नहाना सिखाएं
नाखून काट कर रखें
पिकनिक का मजा उठाएं पर हाइजीन बनाए रखें और रॉ फूड खाने से बचें
बच्चों में डिहाइड्रेशन बड़ों के मुकाबले कहीं अधिक खतरनाक साबित होता है. डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए WHO के ओआरएस का इस्तेमाल करना चाहिए.
डिहाइड्रेशन होने पर तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं.
डिहाइड्रेशन की पहचान ऐसे करें.
बुखार हो
बहुत ज्यादा उल्टी हो
वॉटरी लूस मोशन हो
स्टूल में खून आ रहा हो
पेशाब कम हो गया हो
बच्चा सुस्त हो जाए
खानपान हो जाए
एक्सपर्ट आगे कहती हैं कि डायरिया होने पर बच्चे को WHO लिखा ओआरएस उतना ही दें जितना स्टूल पास हो रहा हो. जैसे 50-75 मिली ओआरएस छोटे बच्चे को पिलाएं. ध्यान रखें कि सिप ले कर बच्चा ओआरएस पिए न कि एक सांस में पूरा खत्म करें. ऐसा करने से उल्टी नहीं आती.
डॉ. नीलम मोहन ओआरएस (ORS) के सही इस्तेमाल की बात करते हुए कहती हैं,
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