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Sleeping Problems In Children: नींद कम आना, थोड़ी देर सो कर लंबे समय तक जागे रहना या सोना ही नहीं चाहना जैसी समस्या बच्चों में बहुत ही आम हो गई है. अच्छी नींद लेना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है, खास कर छोटे बच्चों के लिए.
बच्चों में सोने की सेहतमंद आदतों को शुरू से सिखाना और माता-पिता का बच्चों की नींद से जुड़ी समस्याओं को समझना और उनका प्रभावी मैनेजमेंट करना जरूरी है.
फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से जाना बच्चों में नींद से जुड़ी परेशानियों और उनके हल के बारे में.
बच्चों में नींद से जुड़ी कई तरह की परेशानियां होती हैं, जिसमें नींद न आना, रात में बार-बार जागना, सुकून भरी नींद न होना और तड़के सुबह नींद का खुल जाना शामिल है. इस तरह की रुकावटों से दिन के समय थकान, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी और व्यवहार से जुड़ी परेशानी महसूस होती है. कभी-कभार नींद में रुकावट होना सामान्य है लेकिन लगातार गंभीर परेशानी होना, किसी समस्या की ओर इशारा करता है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है.
नींद की कमी के कारण अगर बच्चा थकान महसूस करता है, दिन भर सुस्त रहता है और पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाता तो एक्सपर्ट की सलाह लें.
बच्चों में नींद से जुड़ी परेशानियों के कई कारण हो सकते हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक ये समस्याएं शारीरिक या मानसिक कारणों से हो सकती हैं. बच्चों की सामान्य जरूरत 9 से 12 घंटे की नींद होती है.
बच्चों में नींद से जुड़ी परेशानियों में जिनमें शामिल हैं:
माहौल से जुड़े कारण: शोर, रोशनी, तापमान और दिनचर्या में बाधा, बच्चों में नींद न आने और न सोने की वजह हो सकते हैं.
व्यवहार संबंधी कारण: सोने का तय समय न होना, सोने से पहले जरूरत से ज्यादा स्क्रीन देखना और दिन के समय फिजिकल एक्टिविटी की कमी नींद के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं.
भावनात्मक कारण: तनाव, एंजाइटी और पारिवारिक गतिविधियों या दिनचर्या में बदलाव, बच्चों के सोने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और सोने से पहले उनकी नींद उड़ा सकता है.
शारीरिक परेशानी: नींद से जुड़ी समस्या जैसे स्लीप एप्निया, रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम और बुरे सपने बच्चों की नींद में परेशानी का कारण बन सकते हैं.
सही डायग्नॉसिस के बाद सही इलाज और स्लीप हाइजिन की आदतों का पालन करने पर इन परेशानियों को ठीक किया जा सकता है.
खुशकिस्मती से कई ऐसे तरीके हैं, जिनकी मदद से माता-पिता अपने बच्चों की नींद की समस्या को कंट्रोल कर उसे ठीक करने में मदद कर सकते हैं.
सोने का एक तय समय बनाएं: सोने के लिए एक तय और आरामदायक रूटीन बनाएं, जिससे आपके बच्चे को यह संकेत मिल जाए कि सोने का समय हो गया है और अब सोना है. इसके लिए पढ़ना, नहाना और हलके-फुलके म्यूजिक सुनने जैसी गतिविधियां की जा सकती हैं.
सोने का माहौल तैयार करें: अपने बच्चे के कमरे में शोर और रोशनी को कम कर, एक सही तापमान बनाएं और एक आरामदायक मैट्रेस और बेडिंग के साथ, कमरे को नींद के अनुकूल बनाएं.
सोने से पहले स्क्रीन न देखें: बच्चे को सोने से कम से कम एक घंटा पहले तक स्क्रीन (जैसे टीवी, स्मार्टफोन और टैबलेट) दिखाने से बचें. नीली रोशनी से शरीर के सोने-जागने का साइकिल बाधित हो सकता है.
नियमित रूप से एक्सरसाइज करें: दिन के समय शारीरिक गतिविधियां करने से बच्चों को एनर्जी को बाहर निकालने और रात में अच्छी नींद लाने मे मदद मिल सकती हैं. हालांकि, सोने से पहले बहुत कठिन एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसका उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है.
आराम और सपोर्ट: आपका बच्चा अगर रात में कई बार उठता है, तो उसे आराम और सपोर्ट दें. उनकी जरूरत पर तुरंत गौर करें, लेकिन उन्हें खुद शांत होने और अपने आप सोने के लिए प्रोत्साहित करें.
कभी-कभार नींद न आना सामान्य है लेकिन लगातार ऐसा होना या नींद से जुड़ी गंभीर समस्याओं के लिए डॉक्टर की मदद और इलाज की जरूरत पड़ सकती है. इन स्थितियों में बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें:
यदि आपके बच्चे को लगातार नींद न आने या रात में सोते रहने में परेशानी हो रही हो.
नींद में बाधा आने की वजह से आपके बच्चे की सुबह की रूटीन, व्यवहार और मूड पर ज्यादा प्रभाव पड़ रहा हो.
आपके बच्चे में स्लीप डिसऑर्डर जैसे खर्राटे लेना, नींद के दौरान हांफना या नींद के दौरान असामान्य व्यवहार नजर आने पर.
आपको अपने बच्चे की सेहत और तंदुरुस्ती की चिंता हो रही हो.
बच्चों में नींद से जुड़ी परेशानियां चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं, लेकिन धैर्य और सही रणनीति से माता-पिता अपने बच्चों में सोने की सेहतमंद आदत डालने में मदद कर सकते हैं.
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