Heatwave In India: आईएमडी (IMD) ने अप्रैल-जून के बीच देश में लू और "अत्यधिक गर्मी की स्थिति" के लिए अलर्ट जारी किया. तापमान और गर्मी, दोनों के तेजी से बढ़ने के साथ, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्मी से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए गाइडलाइन्स का एक सेट जारी किया है.
बुधवार, 3 अप्रैल को मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा,
“केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज स्टेकहोल्डर्स के साथ एक रिव्यू मीटिंग की, जिसमें लू से पैदा होने वाली गर्मी से संबंधित बीमारियों से निपटने में उनकी तैयारियों का इवैल्यूएशन किया गया और आने वाले गर्मी के मौसम के लिए एक्शन प्लान पर चर्चा की गई.”
स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया ने कहा, "हीटवेव के बेहतर मैनेजमेंट के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने की दिशा में निरंतर प्रयास आवश्यक हैं क्योंकि प्रभावी समाधान से प्रभावी प्रबंधन होता है."
यह भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा अप्रैल और जून के बीच देश में गर्मी की लहरों और "अत्यधिक गर्मी की स्थिति" के लिए अलर्ट जारी करने के कुछ दिनों बाद आया है.
अत्यधिक गर्मी से खुद को बचाने के लिए आप क्या कर सकते हैं, यह समझने के लिए फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की.
क्या कहा गया है गाइडलाइन में?
आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में दक्षिण बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु और गोवा समेत दूसरे राज्यों के लिए लू की चेतावनी जारी की है.
केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश लोगों को दोपहर के दौरान "हाइड्रेटेड रहने, सीधी धूप से बचने, धूप में गतिविधि से बचने और बाहर जाने से बचने" की सलाह देते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी सिफारिश की है कि लोग विशेष देखभाल करें और उन लोगों के हेल्थ की निगरानी करें, जो उम्र या लो इम्युनिटी के कारण असुरक्षित हो सकते हैं.
केंद्र के अलावा, कर्नाटक ने भी आईएमडी की चेतावनी के बाद राज्य के लिए गाइडलाइन्स जारी किए.
कर्नाटक स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने एक सर्कुलर में लोगों से कहा:
हाइड्रेटेड रहें और पानी पियें
कार्बोनेटेड पेय पदार्थों से बचें
चक्कर आने पर डॉक्टर से कंसल्ट करें
इसमें ये भी कहा गया है कि सनस्ट्रोक की पहचान शरीर के तापमान का 104 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक तक बढ़ना, सांस लेने में बदलाव और बेहोशी छाने जैसे लक्षणों से की जा सकती है.
कर्नाटक सरकार ने जिला अधिकारियों को सार्वजनिक स्थानों पर पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने में मदद करने और उन जगहों पर टैंकरों की आपूर्ति करने का भी निर्देश दिया है, जहां पानी की कमी है.
हमारे शरीर पर हीटवेव का क्या असर होता है?
गर्मियों में सबसे ज्यादा हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन होने का खतरा रहता है. सरल भाषा में हीट एग्जॉशन (Heat Exhaustion) का मतलब है, शरीर से पसीना निकलना. इस स्थिति में शरीर से काफी पसीना निकलता है. वहीं हीट स्ट्रोक की स्थिति में शरीर से पसीना और गर्मी निकलने की बजाय अंदर बनी रहती है. जो हीट एग्जॉशन से ज्यादा गंभीर स्थिति है.
गर्मी से होने वाली परेशानी में शामिल हैं:
हीट एग्जॉशन
हीट स्ट्रोक
हीट बर्न
हीटवेव से होने वाली समस्या का रिस्क किसे अधिक है?
लो इम्युनिटी, बुजुर्ग, बच्चे, ऐसे लोग जिन्हें कोमोरबिडिटी और पुरानी बीमारियां हैं, जैसे कि डायबिटीज, फेफड़े या दिल का रोग, वे अधिक जोखिम में हैं.
हीटवेव से संबंधित स्थिति से पीड़ित किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण दिख सकते हैं:
"बुजुर्गों में शरीर को ठंडा करने वाली प्रक्रिया कभी-कभी प्रभावित होती है. साथ ही में वो कुछ ऐसी दवाओं का सेवन कर रहे होते हैं, जिससे बॉडी सही ढंग से पसीना नहीं बना पता है और उनमें हीट स्ट्रोक और हीट एग्जॉशन की आशंका बढ़ जाती है."
डॉ. तुषार तायल ने कहा, "प्रेगनेंट महिलाओं में, बहुत अधिक गर्मी के संपर्क में आने पर दुष्प्रभाव देखने को मिलता है. साथ ही छोटे बच्चों पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि उनकी त्वचा बहुत नाजुक होती है".
हीटवेव से संबंधित स्थिति से पीड़ित किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण दिख सकते हैं:
बेचैनी
निचले अंगों में ऐंठन
बहुत ज्यादा पसीना आना
डीहाइड्रेशन
सिरदर्द
सुस्ती और थकान
सूजन
चकत्ते
बहुत अधिक गर्मी और उमस के चलते हीट स्ट्रोक, दौरे और गर्मी से जुड़ी दूसरी बीमारियों की समस्या कई बार जान के लिए खतरा बन जाती हैं.
हीट वेव का सामना कैसे करें?
भीषण गर्मी के मौसम में जहां तक हो सके घर के अंदर रहे और हाइड्रेशन का पूरा ख्याल रखें.
हीट वेव मैनेज करने के लिए एक्सपर्ट के बताए ये सभी उपाय अपनाएं.
शरीर को हाइड्रेटेड रखें. पानी, जूस, नारियल पानी, छाछ, लस्सी का सेवन दिन भर करते रहें.
चाय, कॉफी और शराब का सेवन कम करें क्योंकि इनसे डीहाइड्रेशन हो सकता है.
कॉटन के हल्के रंग के कपड़े पहनें.
दिन में कम से कम 2 बार ठंडे पानी से नहाएं.
ताजे-मौसमी फल और सब्जी का सेवन करें.
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