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ओमीक्रॉन से हुई कोविड की तीसरी लहर के बाद कई देशों ने कहा, अब बस! और न केवल सार्वजनिक स्थानों पर, बल्कि स्कूलों, रेस्तरां, दुकानों और यहां तक कि कुछ हवाई जहाजों में भी कोविड से जुड़ी रीस्ट्रिक्शन को हटाने का फैसला लिया.
लेकिन अब कोविड के केस फिर से बढ़ने लगे हैं और कुछ देशों में तो अभी तक के सबसे अधिक केस देखे गए.
इस बार, हालांकि, इसका कारण BA.2 ओमीक्रॉन सब-वेरिएंट माना जा रहा है.
फिट ने वायरोलॉजिस्ट, डॉ शाहिद जमील से यह समझने के लिए बात की, कि यह BA.2 वेरिएंट क्या है, यह अभी दुनिया की कोविड स्थिति से कैसे जुड़ा है, और यह भारत को आगे कैसे प्रभावित कर सकता है.
डॉ शाहिद जमील ने इस पर फिट हिंदी को बताया, "यूरोप में देखें, तो वहां पर से सारी पाबंदियां हटा दी गई हैं, सारी जगहें खुल चुकी हैं, मास्क पहनने के रीस्ट्रिक्शन हटा दिए गए हैं.
सार्वजनिक परिवहन पर मास्क पहनना की विनती की जाती है, पर ऐसा कोई नियम नहीं है.
उन्होंने अब संक्रमित होने पर खुद को रिपोर्ट करने और आइसोलेट करने की कानूनी आवश्यकता को भी हटा दिया है".
डॉ शाहिद जमील आगे कहते हैं, "वास्तव में, यदि पूरे यूरोप और ब्रिटेन को देखें, तो मृत्यु दर 0.1 प्रतिशत या उससे भी कम है, जो कि मौसमी फ्लू की तरह है.
इसका सबसे बड़ा कारण अधिक से अधिक लोगों का वैक्सिनेटड होना है. इन सभी देशों ने अपनी कुल आबादी के 75 प्रतिशत या उससे भी अधिक लोगों का टीकाकरण किया है, न कि केवल वयस्कों का.
हम जानते हैं कि टीके बीमारी से बचाते हैं लेकिन संक्रमण से नहीं और ओमीक्रॉन वेरिएंट, विशेष रूप से BA.2 वेरिएंट का अत्यधिक संक्रामक होने के कारण, संक्रमण अधिक होता है. यूरोप में यही हो रहा है".
अगर हम दक्षिण कोरिया की बात करें तो, वे मृत्यु दर में भी वृद्धि देख रहे हैं, भले ही वहाँ 65 प्रतिशत से अधिक लोग टीका लगवा चुके हैं. यह क्या दर्शाता है?
इस सवाल पर डॉ शाहिद जमील कहते हैं, "मैंने आज मृत्यु दर का डेटा देखा और दर बहुत कम है. दरअसल, नंबर मेरे सामने है. 0.07 प्रतिशत मृत्यु दर (22 मार्च तक).
अगर आपको याद हो तो दक्षिण कोरिया ने महामारी के शुरुआती दौर में अच्छा प्रदर्शन किया था. न्यूजीलैंड की तरह वहां भी बहुत कम मामले देखे गए थे. अब न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया, दोनों में कोविड के केस अधिक संख्या में देखे जा रहे हैं".
डॉ शाहिद जमील ने आगे कहा, "अब इस बात का प्रमाण सामने आ रहा है कि एक बार संक्रमित होना, पुन: संक्रमण के खिलाफ टीकाकरण की तुलना में बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है.
पहेली के टुकड़े एक साथ फिट हो रहे हैं. मुझे लगता है, जबकि संक्रमण की उच्च संख्या हतोत्साहित करने वाली और चिंताजनक है, गंभीर बीमारी और मृत्यु दर अभी भी कम है".
वायरस हर समय म्यूटेट करते हैं. BA.2 एक उप-वंश है, जो पहला ओमीक्रॉन वेरिएंट ऑफ कंसर्न था.
ओमीक्रॉन के तीन उप-वंश - BA.1, BA.1.1 और BA.2. अभी स्थिति यह है कि:
विश्व स्तर पर लगभग 55 प्रतिशत वायरस BA.2 हैं
लगभग 42 प्रतिशत BA हैं
1 प्रतिशत डेल्टा वेरिएंट है
इसलिए, डेल्टा को पूरी तरह से ओमीक्रॉन की दो उप-वंशों द्वारा रिप्लेस किया गया है.
"यह बहुत ही स्वाभाविक बात है. वायरस अडैप्ट कर रहा है.
जापान में, उन्होंने जानवरों (हैम्सटर) पर एक अध्ययन किया और इन जानवरों को टीका नहीं लगा था" कहा, डॉ शाहिद जमील ने.
लेकिन, लगभग सभी लोग अब वायरस के संपर्क में आ चुके हैं.
अधिकतर लोग अब या तो किसी कोविड वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं या उन्हें टीका लगाया गया है.
इसलिए, कई देशों की आबादी में, आ रहे डेटा के अनुसार, BA.2 और पहले के ओमीक्रॉन वेरिएंट से होने वाली बीमारी की गंभीरता में खास अंतर नहीं है.
"मुझे लगता है कि समस्या यह है कि मीडिया का मानना है कि सिर्फ दो संभावनाएं हैं - या तो चौथी लहर आएगी या फिर कुछ भी नहीं होगा. मैं ऐसा नहीं मानता. अलग-अलग जगह, अलग-अलग समय पर कोविड के केस बढ़ेंगे" कहा डॉ शाहिद जमील ने.
डॉ शाहिद जमील ने आगे कहा, "मैं आपको जुलाई 2021 में वापस ले जाना चाहता हूं, जब आईसीएमआर सेरो सर्वे के परिणाम सामने आए थे और इससे पता चला था कि 67 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी थे. उस समय भारत में टीकाकरण की दर काफी कम थी. भारत का 67 प्रतिशत का मतलब है लगभग 93 करोड़ लोग".
"टीकाकरण की स्थिति और समय के साथ इम्यूनिटी कितनी कम हुई है, इन दोनों के आधार पर हम देश के अलग-अलग हिस्सों में संक्रमण में वृद्धि देखेंगे. जो कि स्वाभाविक बात है.
लेकिन मुझे लगता है कि अगर किसी को टीका लगाया गया है, दो बार टीका लगाया गया है तो यह उन्हें गंभीर बीमारी से बचाएगा" डॉ शाहिद जमील ने बताया.
"मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा होगा यदि बूस्टर डोज का विकल्प सभी वयस्कों के लिए खुला हो, चाहे आप 59 वर्ष के हों या 61 वर्ष के. बूस्टर को सिर्फ 60 से अधिक उम्र वाले लोगों के लिए खोलने की यह नीति थोड़ी प्रतिबंधात्मक है" डॉ शाहिद जमील ने कही ये बात.
"लेकिन मेरा मानना है कि बूस्टर शॉट के बिना भी, कई भारतीय गंभीर बीमारी से सुरक्षित रहेंगे" ये कह कर डॉ शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट ने अपनी बात खत्म की.
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