मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पतंजलि की कोरोनिल: कोरोना ठीक करने पर रामदेव के दावे और हकीकत

पतंजलि की कोरोनिल: कोरोना ठीक करने पर रामदेव के दावे और हकीकत

पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से अब कोविड का इलाज होगा?

कौशिकी कश्यप
फिट
Updated:
पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से अब कोविड का इलाज होगा.
i
पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से अब कोविड का इलाज होगा.
(फोटो: फिट हिंदी)

advertisement

वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

19 फरवरी को दो केंद्रीय मंत्रियों - स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के बीच रामदेव उनके कोरोना की दवा कोरोनिल पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं. कोरोनिल के रिलॉन्च की प्रेस कॉन्फ्रेंस. फिर नेशनल टीवी पर जाकर इंटरव्यू देते हैं. इंटरव्यू में ये कहते हैं-

“पहले जिस कोरोनिल और श्वासरी को प्रतिरोधक बढ़ाने वाला कहते थे. इसपर लॉन्च के समय बहुत विवाद हुआ था. अब भारत में ड्रग का लाइसेंस देने वालों ने कोरोना की दवाई करके, विश्व की पहली साइंटिफिक, रिसर्च बेस्ड, जिसको एविडेंस बेस्ड मेडिसिन कहा जाता है, वो पहली कोरोना की दवाई बन गई है. ये प्रिवेन्शन भी है, ये ट्रीटमेंट भी है, ये कोरोना के आफ्टर इफेक्ट्स को भी डील करती है . 25 रिसर्च पेपर हमने इसके ऊपर पब्लिश किए हैं, इंटरनेशनल जर्नल्स में. ड्रग डिपार्टमेंट ने इम्यूनो बूस्टर के तौर पर लाइसेंस दिया था, क्योंकि उस समय तक रिसर्च हमारे चल रहे थे. DCGI और WHO ने 154 देशों में इसे बेचने की अनुमति दे दी. लाखों लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल हुए. उनपर भी जिनमें लक्षण थे, जिनमें लक्षण नहीं थे उनपर भी.”“पहले जिस कोरोनिल और श्वासरी को प्रतिरोधक बढ़ाने वाला कहते थे. इसपर लॉन्च के समय बहुत विवाद हुआ था. अब भारत में ड्रग का लाइसेंस देने वालों ने कोरोना की दवाई करके, विश्व की पहली साइंटिफिक, रिसर्च बेस्ड, जिसको एविडेंस बेस्ड मेडिसिन कहा जाता है, वो पहली कोरोना की दवाई बन गई है. ये प्रिवेन्शन भी है, ये ट्रीटमेंट भी है, ये कोरोना के आफ्टर इफेक्ट्स को भी डील करती है . 25 रिसर्च पेपर हमने इसके ऊपर पब्लिश किए हैं, इंटरनेशनल जर्नल्स में. ड्रग डिपार्टमेंट ने इम्यूनो बूस्टर के तौर पर लाइसेंस दिया था, क्योंकि उस समय तक रिसर्च हमारे चल रहे थे. DCGI और WHO ने 154 देशों में इसे बेचने की अनुमति दे दी. लाखों लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल हुए. उनपर भी जिनमें लक्षण थे, जिनमें लक्षण नहीं थे उनपर भी.”
19 फरवरी को रामदेव एक टीवी इंटरव्यू में

खुद पतजंलि ने लिखित में क्या कहा है. ये भी देख लीजिए.

पतंजलि की कोरोनिल टैबलेट से अब कोविड का इलाज होगा. आयुष मंत्रालय ने करोनिल टैबलेट को कोरोना की दवा के तौर पर स्वीकार कर लिया है.

हालांकि कोरोनिल की शीशी पर साफ लिखा है: "अब आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा COVID-19 में सपोर्टिंग मेजर के तौर पर मंजूर."

इस बीच पतजंलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने ट्विटर पर एक सफाई दी.

"हम इस भ्रम को दूर करने के लिए स्पष्ट करना चाहते हैं कि कोरोनिल को WHO GMP COPP सर्टिफिकेट भारत सरकार के DCGI द्वारा जारी किया गया है. ये स्पष्ट है कि WHO किसी भी ड्रग्स को स्वीकार या अस्वीकृत नहीं करता है."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

ये सफाई खिंचाई के बाद आई. किसने खिंचाई की- खुद WHO ने.

WHO ने कहा कि उसने COVID-19 के ट्रीटमेंट के लिए किसी भी पारंपरिक दवा की प्रभावशीलता की समीक्षा या उसे सर्टिफाई नहीं किया है.

दरअसल, गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस सर्टिफिकेट- CoPP GMP - आमतौर पर WHO के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए नेशनल ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटीज की ओर से जारी किया जाता है.

ये WHO की ओर से प्रेस्क्राइब्ड फॉर्मेट में जारी किया गया एक प्रमाण पत्र यानी सर्टिफिकेट है, जो ये बताता है कि फार्मास्युटिकल प्रोडक्ट को दूसरे देशों में निर्यात किया जा सकता है. इसका मतलब ये नहीं है कि कोरोनिल को WHO द्वारा COVID ट्रीटमेंट या इलाज के लिए मान्यता दी गई है.

कोरोना महामारी के दौरान बाजार में कई प्रोडक्ट्स इस दावे के साथ उतरे और उतर रहे हैं कि वो कोरोना खत्म करेंगे या कोरोना से बचाएंगे.

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) को कहना पड़़ा कि विज्ञापनदाताओं को सबूतों के साथ अपने दावे पेश करने होंगे वरना कानूनी कार्रवाई होगी. 2 साल तक की जेल और 10 लाख का जुर्माना हो सकता है.

रामदेव का दावा है कि दुनिया के 25 इंटरनेशनल जर्नल में उनकी रिसर्च छपी है. किनमें? नहीं बताया. एक साइंसडायरेक्ट में हमें छपा दिखा. रामदेव बोले लाखों लोगों पर ट्रायल हआ.

साइंसडायरेक्ट में लिखा है सैंपल साइज 100 लोगों का था और सभी युवा और माइनर सिम्पटम वालों पर ट्रायल हुआ. डाक्टर्स का मानना है कि संभवत: वो कोविड से खुद ही रिकवर हो गए होंगे.

(स्नैपशॉट: sciencedirect)

अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(IMA) सरकार से पूछ रहा है कि हेल्थ मिनिस्ट्री ने कोरोनिल को क्यों प्रमोट किया?

कुल मिलाकर कोरोनिल उसी मोड़ पर खड़ा हो गया जहां पहले था. नाम बड़े और दर्शन छोटे. इस बार मामला ज्यादा गंभीर है क्योंकि जाने अनजाने दो केंद्रीय मंत्री इसका हिस्सा हैं. खतरा ये कि कोरोना की दवा समझकर कोरोनिल ले लें लेकिन ठीक होने, रोकथाम की कोई गारंटी नहीं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 23 Feb 2021,08:07 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT