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पतंजलि की कोरोनिल को नहीं मिला WHO का अप्रूवल, जानिए क्या है सच

इंडिया टीवी के चेयरमैन रजत शर्मा ने ट्वीट कर दावा किया कि पतंजलि की कोरोनिल को WHO का अप्रूवल मिला है

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सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि पतंजलि की कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अप्रूवल मिल गया है. इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ रजत शर्मा ने भी ट्विटर पर यही दावा किया. हालांकि, पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने एक अन्य ट्वीट में दावे को लेकर स्पष्टीकरण भी दिया, लेकिन सोशल मीडिया पर ये मैसेज अब भी वायरल है कि पतंजलि को WHO का अप्रूवल मिला है.

WHO ने क्विंट को दिए जवाब में बताया कि संगठन की तरफ से किसी भी पारंपरिक दवा को इलाज के लिए रिव्यू या सर्टिफाइड नहीं किया गया है.

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दावा

इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ और चेयरमैन रजत शर्मा ने सीधे तौर पर यही दावा किया कि पतंजलि की कोरोनिल को WHO का अप्रूवल मिल गया है.

पतंजली आयुर्वेद के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से भी दावा किया गया कि कोरोनिल WHO सर्टिफाइड है.

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पड़ताल में हमने क्या पाया

आचार्य बालकृष्ण ने 19 फरवरी को ट्वीट कर लिखा - We want to clarify to avoid confusion that our WHO GMP compliant COPP certificate to Coronil is issued by DCGI, Government of India. It is clear that WHO do not approve or disapprove any drugs. WHO works for building a better, healthier future for people all over the world.

हिंदी अनुवाद - हम कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए स्पष्ट करना चाहते हैं कि WHO का GMP compliant COPP सर्टिफिकेट कोरोनिल को भारत सरकार की तरफ से दिया गया है. WHO किसी भी दवा को अप्रूव नहीं करता है. WHO दुनिया भर के बेहतर स्वास्थ्य के लिए काम करता है.

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WHO ने भी 19 फरवरी को ट्वीट कर कहा कि संगठन की तरफ से किसी भी पारंपरिक दवा को इलाज के लिए सर्टिफाइड नहीं किया गया है. हालांकि इस ट्वीट में पतंजलि की कोरोनिल से जुड़े दावों का कहीं जिक्र नहीं है. लेकिन ये ट्वीट कोरोनिल को लेकर किए जा रहे दावों के बीच ही किया गया.

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आचार्य बालकृष्ण ने अपने ट्वीट में WHO की GMP गाइडेंस का हवाला देते हुए कहा है कि इसे ध्यान में रखते हुए ही भारत सरकार ने उन्हें सर्टिफिकेट जारी किया है. GMP गाइडेंस आखिर है क्या ये जानने के लिए हमने WHO की ऑफिशियल वेबसाइट चेक की.

दवाइयों के प्रोडक्शन और क्वालिटी को लेकर WHO के कुछ मानक हैं. इन्हीं मानकों को गुड मैन्युफेक्चरिंग प्रैक्टिसेस ( GMP) कहा जाता है. इनमें इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि दवाइयों की टेस्टिंग से लेकर प्रोडक्शन तक की प्रक्रिया पूरी तरह डॉक्यूमेंटेड है या नहीं, इसका ठीक से रिव्यू किया गया है या नहीं.

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वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 100 से ज्यादा देशों ने WHO की GMP गाइडेंस को अपने देश के मेडिकल से जुड़े कानून में शामिल किया है. आसान भाषा में कहें तो कोई देश अपने मेडिकल या फार्मा से जुड़े कानून बनाने में WHO के इन मानकों की मदद ले सकता है.

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भारत में GMP से जुड़ी रिसर्च Institute of Good Manufacturing Practices India में की जाती है. ऑफिशियल वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इस संस्था को भारत सरकार के कई मंत्रालयों से मान्यता प्राप्त है. वेबसाइट पर उन सोर्सेज की लिस्ट है, जिन्हें GMP से जुड़ी रिसर्च में इस्तेमाल किया जाता है. इस लिस्ट में WHO-GMP भी शामिल है.

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क्विंट ने दावे की पुष्टि के लिए WHO से भी संपर्क किया. वेबकूफ टीम को दिए जवाब में संगठन ने कहा कि WHO ने COVID-19 के उपचार के लिए किसी भी पारंपरिक दवा को रिव्यू या सर्टिफाइड नहीं किया है. COPP GMP सर्टिफिकेट देश की ड्रग अथॉरिटीज WHOकी गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए जारी करती हैं.

CoPP वह सर्टिफिकेट है जो WHO द्वारा रेकमेंड किए गए फॉर्मेट के आधार पर जारी किया जाता है. इस सर्टिफिकेट के बाद दवा को अन्य देशों में एक्सपोर्ट किया जा सकता है.

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कोरोनिल से कोरोना का इलाज संभव है ?

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को कोविड-19 के इलाज में एक सहायक उपाय माना है. पिछले साल कोविड-19 को आयुष मंत्रालय ने एक इम्युनिटी बूस्टर के रूप में मान्यता दी थी. इसके पहले कोरोनिल को कोविड-19 के इलाज के लिए कारगर दवा बताने को लेकर पतंजलि की काफी आलोचना भी हुई थी.

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मतलब साफ है कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा ये दावा झूठा है कि पतंजलि की कोरोनिल को WHO की अनुमति मिल गई है.

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