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3 मई को पूरी दुनिया में World Asthma Day मनाया जाता है. इसे मनाने का मकसद लोगों को अस्थमा के प्रति जागरूक करना है. यह बीमारी नवजात शिशु से लेकर वृद्ध व्यक्ति तक को हो सकती है. अस्थमा ऐसी बीमारियों में से है, जिन्हें लोग कभी-कभी नजरअंदाज करने की गलती कर देते हैं. इस बीमारी को हम दमा भी कहते हैं. ये फेफड़ों की बीमारी है. इससे ग्रसित लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है. आइए जानें डॉक्टरों से, अस्थमा के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में. साथ ही ये भी जानते हैं कि कोविड होने पर अस्थमा मरीज क्या करें.
अस्थमा के कारण श्वसन नली (respiratory tract) में सूजन आ जाती है, जिसके कारण सिकुड़न आ जाती है और फेफड़ों तक पर्याप्त हवा नहीं पहुंच पाती है. इस वजह से मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. अक्सर सर्दियों में इस बीमारी से पीड़ित लोगों की परेशानी काफी बढ़ जाती है और दिन ब दिन बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से तो इसके मामले और भी ज्यादा सामने आने लगे हैं.
जैसा कि हमने पहले भी बताया है COVID 19 गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है. ऐसे में अस्थमा के मरीजों को काफी ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यह उनकी परेशानी को बढ़ा सकता है.
एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग में कन्सल्टंट, डॉ. दविंदर कुंद्रा ने फिट हिंदी को दिए इंटरव्यू में बताया कि अस्थमा किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकता है. ये हैं उनके बताए अस्थमा के लक्षण:
सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना
सीने में जकड़न
लगातार खांसी बलगम वाली या सुखी
रात या सुबह के समय समस्या का बढ़ जाना
ठंडी हवा में सांस लेने से हालात गंभीर होना
ज्यादातर रात में खांसी आना
छाती की मांसपेशियां यानी पसलियां हिलना
थकान
कमजोरी
खाना खाने या निकालने में समस्या होना
तेज-तेज सांस लेना या सांस लेने में ताकत लगाना
होंठ या आंखों के आसपास की रंगत नीली या गहरी हो जाना
बच्चों और बूढ़ों में अस्थमा होना आम बात है. मौसम में बदलाव, धुएं, धूल-मिट्टी की स्थिति में अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ जाता है. सही उपचार से अस्थमा को नियंत्रित किया जा सकता है नहीं तो ये एक गंभीर रूप भी ले सकता है, जो आगे जा कर जानलेवा भी हो सकता है.
डॉ. दविंदर कुंद्रा ने कहा, "अस्थमा के निदान के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट कराते हैं. जैसे कि पीएफटी यानी पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (Pulmonary function test) जिसे हम स्पिरोमेट्री (Spirometry) भी कहते हैं, छाती का एक्सरे (Xray) और कुछ एलर्जी टेस्ट (Allergy test) जो अस्थमा के निदान में मददगार होते हैं".
अस्थमा अटैक के बचाव के लिए मरीज को अस्थमा को ट्रिगर होने से बचाना होगा. ट्रिगर होने के पीछे ये कारण हो सकते हैं:
धुआं
धूल
वायु प्रदूषण
स्मोकिंग
ठंडी हवा
इमोशनल स्ट्रेस यानी तनाव
कुछ प्रकार की दवाइयां
प्रोसेस्ड फूड
परफ्यूम
अस्थमा के कई प्रकार हैं उनमें से कुछ की चर्चा हम यहां करने जा रहे हैं.
एलर्जिक अस्थमा- यह किसी चीज से एलर्जी के कारण होता है. इसमें रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में एलर्जी हो जाती है. जैसे कि धूल,-मिट्टी, खास प्रकार के खाने से या बीज वाली सब्जियों से.
गैर एलर्जी अस्थमा- किसी एक चीज की अति होने से होता है. बहुत अधिक तनाव, बहुत ज्यादा सर्दी- खांसी होने से, या हवा में अधिक प्रदूषण होने से भी यह ट्रिगर हो सकता है.
मिक्स अस्थमा- किसी भी कारण से हो सकता है. चाहे एलर्जिक अस्थमा हो या गैर एलर्जी अस्थमा. इसके लक्षण एक जैसे होते हैं. इसका सही कारण पता चलना थोड़ा मुश्किल होता है.
एक्सरसाइज-इंड्यूस्ड अस्थमा- जो ज्यादा व्यायाम करते हैं या अपनी क्षमता से ज्यादा काम करते हैं. ऐसे लोगों में यह देखा जाता है.
कफ वेरिएंट अस्थमा- इसमें मरीज को कफ रहता है. ये कफ लंबे समय तक चलता रहता है. साथ ही इसमें कफ के सिवाय दूसरे लक्षण नहीं दिखते हैं.
ऑक्यूपेशनल अस्थमा- ये उन लोगों में देखने को मिलता है, जिन्हें अपने कार्यस्थल का वातावरण सूट नहीं करता है. कार्यस्थल पर कुछ ऐसे ट्रिगर्स होते हैं, जिनसे उन्हें समस्या होती है.
रात वाला अस्थमा- ये ज्यादातर रात में होता है. रात में सोते समय सांस फूलना, खांसी होना, नींद न आना इसके लक्षण हैं.
बच्चों का अस्थमा- सिर्फ बच्चों में होता है. ये नवजात शिशुओं में और छोटे बच्चों में होता है. उम्र बढ़ने के साथ ये ठीक भी हो जाता है. यह हानिकारक नहीं है, पर इसका सही समय पर उपचार जरुरी है.
एडल्ट ऑनसेट अस्थमा- यह अस्थमा युवाओं को होता है यानी ये अक्सर 20 साल की आयु के बाद शुरू होता है. इसके पीछे कई एलर्जिक कारण होते हैं. जैसे कि प्रदूषण, परफ्यूम, धूल-मिट्टी, मौसम और जानवरों के साथ रहने से भी होता है.
अस्थमा के मरीज को अपनी दवा, जो डॉक्टर ने बताई है, हमेशा साथ रखनी चाहिए, खास कर अस्थमा इनहेलर.
उन वातावरण से दूरी बनाएं, जिससे अस्थमा ट्रिगर होता है
डॉक्टर से नियमित चेक उप कराएं
अस्थमा इनहेलर का सही तरीके से उपयोग करें
ज्यादा गर्म और ज्यादा नर्म वातावरण से बचें
सर्दी के मौसम में धुंध में जाने से बचें
स्मोकिंग और अल्कोहल बंद कर दें
स्मोकिंग कर रहे लोगों से दूर हट जाएं
घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करें
घर को डस्ट फ्री रखें
ठंडा पानी या ठंडे आहारों के सेवन से बचें
जंक फूड्स और कोल्ड ड्रिंक से दूरी बनाएं
संतुलित आहार लें
नियमित व्यायाम
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ मनोज गोयल कहते हैं, "अस्थमा मरीज को अगर कोविड हो जाए, तो उन्हें सबसे पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए".
कोविड दिशा-निर्देशों का पालन करें
अस्थमा ट्रिगर करने वाली स्थिति से दूर रहें
समय-समय पर ऑक्सीजन चेक करते रहें
बुखार पर नजर बनाए रखें
सांस फूलने या सांस लेने में दिक्कत महसूस हो, तो अलर्ट हो जाएं, तकलीफ बढ़ने पर डॉक्टर से संपर्क करें.
"अस्थमा ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज है. सही तरीके से इलाज करने और सावधानी बरतने से अस्थमा का मरीज किसी भी दूसरे सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी सकता है" ये कहा डॉ मनोज गोयल ने.
डॉ. दविंदर कुंद्रा ने फिट हिंदी को बताया इलाज के बारे में, "इलाज के लिए जरुरी है, लक्षणों की पहचान कर, तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की. डॉक्टर आपको दवाइयां देते हैं. मुख्य रूप से अस्थमा इनहेलर (Asthma Inhaler), जरुरत पड़ने पर नेबुलाइजर (Nebuliser) , ब्रोंकोडाईलेटर्स (Bronchodilator), एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाईयां (Anti-inflammatory drugs), कुछ और भी दवाएं जो जरुरत के हिसाब से दी जाती हैं. साथ ही साथ डॉक्टर कुछ फ्लू वैक्सीन भी लेने कह सकते हैं, जो जरुर लें".
अस्थमा इनहेलर की सही खुराक और इस्तेमाल करने का सही तकनीक ही सबसे जरुरी है अस्थमा से बचाने के लिए.
डॉक्टर की दी गयी दवाओं को नियमित रूप से लें. अस्थमा इनहेलर का सही तरीके से इस्तेमाल करना भी जरुर सीखें. बताए गए प्रीवेन्टटिव का पालन करें. अस्थमा जिनसे ट्रिगर होता है उनसे बचें.
इमरजेंसी या स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर द्वारा बताए गए ऐक्शन प्लान पर अमल करें और डॉक्टर या हॉस्पिटल से संपर्क करें.
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