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World Brain Day 2023: हर साल 22 जुलाई को वर्ल्ड ब्रेन डे मनाया जाता है. इस दिन ब्रेन हेल्थ से जुड़े मुद्दों पर लोगों में जागरूकता फैलाई जाती है. युवाओं में बढ़ते स्ट्रोक और कमजोर याददाश्त के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. WHO स्ट्रोक को दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे आम कारण मानता है.
आजकल कम उम्र में ही क्यों हो रहा है ब्रेन कमजोर? युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक, सिरदर्द की समस्या क्यों बढ़ रही है? ब्रेन हेल्थ का ध्यान रखना कब से शुरू कर देना चाहिए? ब्रेन को हेल्दी रखने के लिए क्या करें? फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से बात की और जानना इन सवालों के जवाब.
कम उम्र में दिमाग का कमजोर होना बेहद चिंता का विषय है. इसके बहुत सारे कारण हैं. सबसे पहला तो कई लोगों की लाइफस्टाइल में आजकल ज्यादा शारीरिक गतिविधियां नहीं होती, जिसके कारण ब्रेन ब्लड फ्लो में बाधा आती है. इसकी वजह से जरूरी न्यूरोप्रोटेक्टिव कारकों के उत्पादन में कमी होती है.
दूसरा, स्मार्टफोन और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बहुत ज्यादा इस्तेमाल के कारण स्क्रीन पर बहुत ज्यादा वक्त बीतता है. इस कारण असली दुनिया की आपसी बातचीत और गतिविधियों के माध्यम से मिलने वाले कॉग्निटिव स्टिमुलेशन यानी कि संज्ञानात्मक उत्तेजना कम होती है, जिसकी वजह से ब्रेन का विकास और कनेक्टिविटी बाधित होते हैं. इसके साथ ही सोशल इंटरेक्शन की कमी, मोबाइल-लैपटॉप का अधिक उपयोग और अनहेल्दी डाइट की भी समस्या बढ़ रही है. शराब और धूम्रपान का बढ़ता चलन, मोटापा, नींद की कमी ये सभी ब्रेन को अस्वस्थ और कमजोर बनाने के प्रमुख कारण हैं.
WHO स्ट्रोक को दुनिया भर में मौत का दूसरा सबसे आम कारण मानता है. स्ट्रोक से हर साल 13 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और इसके कारण लगभग 5.5 मिलियन मौतें होती हैं.
स्ट्रोक के जोखिम कारक हाई बीपी, डायबिटीज, शराब, धूम्रपान, मोटापा, अनहेल्दी डाइट, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना और आहार में उच्च फाइबर की कमी के अलावा शारीरिक गतिविधि की कमी हैं और इसकी वजह से स्ट्रोक की घटनाएं भी बढ़ रही हैं.
वहीं, डॉ. नितिन कुमार के अनुसार, आमतौर पर युवाओं में होने वाला सिरदर्द माइग्रेन होता है. सिरदर्द की समस्या का सबसे बड़ा कारण तनाव होता है. कई लोगों में नाइट शिफ्ट के कारण नींद-जागने के चक्र में गड़बड़ी, लैपटॉप और मोबाइल का अधिक उपयोग, अनहेल्दी डाइट पैटर्न, धूम्रपान और शराब का सेवन, काम का दबाव और पारिवारिक तनाव के कारण अधिक सोचना, एक्सरसाइज की कमी भी होती है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, मस्तिष्क के स्वास्थ्य की चिंता जन्म से, बल्कि गर्भावस्था के दौरान ही शुरू हो जानी चाहिए. गर्भावस्था, शिशु अवस्था और बचपन, जीवन के ये शुरुआती चरण ब्रेन के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. गर्भावस्था के दौरान मां के पोषण और संपूर्ण सेहत का गर्भ में बच्चे के मस्तिष्क के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है.
पर्याप्त पोषण, प्यार भरी देखभाल और सीखने के शुरुआती अनुभव ब्रेन स्ट्रक्चर को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. शिशुओं और छोटे बच्चों में दिमागी सेहत को बेहतरीन करने के लिए शुरूआती इंटरवेंशन और सहायक उपायों के महत्व पर जोर दिया जाता है. शुरुआती सालों में ध्यान देने से हम ब्रेन के विकास में देरी, सीखने की अक्षमताओं और न्यूरोलॉजिकल विकारों को रोक या कम कर सकते हैं, जिससे न केवल बेहतर ब्रेन हेल्थ बल्कि जीवन भर पूरी सेहत के लिए एक ठोस आधार तैयार किया जा सकता है.
हेल्दी ब्रेन उतना ही महत्वपूर्ण है जितना हेल्दी शरीर. बढ़ती उम्र के साथ ब्रेन और बॉडी में कुछ बदलाव हो सकते हैं, जो सामान्य है.
ब्रेन को हेल्दी रखना जीवन भर सेहत और कॉग्निटिव फंक्शन के लिए आवश्यक है.
शारीरिक गतिविधि: नियमित एरोबिक एक्सरसाइज से ब्रेन में ब्लड फ्लो में सुधार, न्यूरोप्लास्टीसिटी को बढ़ावा और कॉग्निटिव डिक्लाइन के जोखिम में कमी देखी गई है.
संतुलित आहार: फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, स्वस्थ वसा (जैसे ओमेगा-3 फैटी एसिड) और हल्के प्रोटीन से भरपूर आहार ब्रेन की सेहत को बेहतर करता है. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य वस्तुएं ब्रेन को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाने में मदद कर सकती हैं.
मानसिक उत्तेजना (stimulation): मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण गतिविधियां जैसे पहेलियां हल करना, पढ़ना, नए कौशल सीखना या म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाना ब्रेन कनेक्शन और पहचानने की क्षमता को बढ़ावा देता है.
अच्छी नींद: पर्याप्त और आरामदायक नींद के महत्व को समझें, क्योंकि यह याददाश्त को मजबूत करने और ब्रेन की रिपेयर के लिए आवश्यक है.
वजन नियंत्रित करें: मोटापा कई दूसरी समस्याओं जैसे हाई बीपी, डायबिटीज, शारीरिक निष्क्रियता और कई समस्याओं के जोखिम के साथ आता है. इसलिए बीएमआई के अनुसार वजन मैंटेन करें.
स्ट्रेस मैनेजमेंट : लंबे समय से चलने वाला स्ट्रेस ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए, मेडिटेशन ,माइंडफुलनेस या योग जैसी रिलैक्सेशन तकनीकों के लगातार अभ्यास से फायदा हो सकता है.
सोशल इंटरेक्शन: अच्छे सोशल इंटरेक्शन और सार्थक रिश्ते ब्रेन और इमोशनल हेल्थ को बढ़ावा दे सकते हैं.
हानिकारक पदार्थों से बचें: शराब का सेवन सीमित करें और धूम्रपान या नशीले पदार्थों के उपयोग से बचें, क्योंकि वे ब्रेन के फंक्शन को नुक्सान पहुंचा सकते हैं.
चीनी कम खाएं: अत्यधिक मात्रा में चीनी वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ ब्रेन को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. चीनी सूजन बढ़ा सकती है और याददाश्त और सीखने की क्षमताओं पर नेगेटिव असर डाल सकती है.
स्क्रीन टाइम लिमिट में रखें: रिसर्च से पता चलता है कि हेल्दी ब्रेन के लिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति का संपर्क बहुत आवश्यक है. हालांकि, यह पीढ़ी अपना अधिकांश समय स्क्रीन पर बिताती है. यह व्यक्ति के इंटेलेक्चुअल और सोशल परफॉर्मेंस को प्रभावित करता है और नींद की कमी का कारण बन सकता है, जिससे पूरे कॉग्निटिव हेल्थ पर प्रभाव पड़ सकता है.
प्रोसेस्ड फूड कम खाएं: चिप्स, प्रोसेस्ड मीट, खाने के लिए तैयार भोजन, इंस्टेंट नूडल्स और कई दूसरे खाद्य पदार्थों में आमतौर पर हाई कैलोरी और कम पोषण मूल्य होता है, जो ब्रेन हेल्थ पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.
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