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World Diabetes Day 2023: 2010 में शुरू हुए अपनी तरह के पहले ऐतिहासिक स्टडी में पाया गया कि PM2.5 कणों की उच्च मात्रा वाली हवा में सांस लेने से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा और टाइप 2 डायबिटीज की घटनाएं भी बढ़ीं.
एयर पॉल्यूशन वास्तव में डायबिटीज के खतरे को कैसे बढ़ाता है? आइए इसे समझें.
यह क्यों मायने रखता है: अब तक, यह माना जाता था कि खराब लाइफस्टाइल के कारण शहरी भारतीयों में गांवों में रहने वाले भारतीयों की तुलना में डायबिटीज का प्रसार अधिक था. लेकिन, यह स्टडी दूसरी तस्वीर सामने लाता है "क्योंकि अब हमें डायबिटीज का एक नया कारण मिला है, जो प्रदूषण है," मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष और पेपर के लेखकों में से एक डॉ. वी मोहन ने गार्डियन को बताया.
इसके अलावा, निष्कर्ष विशेष रूप से चिंताजनक हैं क्योंकि शहरी भारत की एक बड़ी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है, जहां साल के अधिकांश दिन एयर क्वालिटी WHO के एयर क्वालिटी गाइडलाइन से अधिक है.
इसका मतलब क्या है: फिट से एक पुराने आर्टिकल के लिए बात करते हुए, मैक्स अस्पताल, नई दिल्ली में एंडोक्रिनोलॉजी और डायबिटीज के चेयरमैन और एचओडी डॉ. अंबरीश मित्तल ने इसका मतलब बताया. उन्होंने कहा, "यह बिल्कुल स्पष्ट है कि जब आपके वातावरण में PM2.5 का स्तर अधिक होता है, तो वे शरीर में सूजन और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ावा देते हैं."
मुख्य बात: भारत को 'विश्व की डायबिटीज राजधानी' माना जाता है और यह अनुचित नहीं है. यह देखते हुए कि दुनिया के सभी डायबिटीज रोगियों में से 17% हमारे देश में हैं.
एक्सपर्ट्स वर्षों से चेतावनी दे रहे हैं कि देश में डायबिटीज की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है और अब यह कम उम्र के लोगों में भी पाई जा रही है.
आंकड़े क्या कहते हैं: पिछले कुछ वर्षों में, टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित 14-25 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में 20% की वृद्धि हुई है.
क्या जोखिम को कम किया जा सकता है? चूंकि एयर पॉल्यूशन एक व्यापक समस्या है, इसलिए लोग खुद को जहरीली हवा में सांस लेने से बचाने के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं.
फिट से बात करते हुए प्रोफेसर रेड्डी ने कहा था, "कई मल्टी-सेक्टोरल एक्शन प्लान हैं, जो सरकार के पास पहले से हैं, जरूरत है प्रभावी इम्प्लिमेंटेशन की."
इनमें से कुछ हैं:
उपयोग किए जा रहे ईंधन पर बेहतर एमिशन स्टैंडर्ड लागू करके वाहन प्रदूषण को कम करना.
वाहनों की संख्या कम करना.
कोयले से स्वच्छ एनर्जी की ओर बढ़ने का स्पष्ट प्रयास करना.
एग्रीकल्चरल वेस्ट और कूड़ा जलाने पर उचित नियंत्रण के लिए प्रभावी योजनाएं बनाना.
उभरते शहरों में कंस्ट्रक्शन डस्ट को कंट्रोल करने के लिए मैंडेट लगाना.
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