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दुनिया भर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बीते कुछ सालों से तेजी से बढ़ती जा रही है. खराब लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज अब आम बीमारियों में गिनी जाती है. टाइप 1 डायबिटीज, जहां जेनेटिक कारण की वजह से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्रभावित करती है वहीं टाइप 2 डायबिटीज खराब लाइफस्टाइल और असंतुलित डाइट की देन है. जिसे रोकना हमारे हाथों में है.
आज के आर्टिकल में डॉक्टरों से जानते हैं कौन हो रहे हैं डायबिटीज के शिकार? क्या हैं रिस्क फैक्टर? क्या हैं लाइफस्टाइल की वो गलतियां जो डायबिटीज को न्योता देती हैं और अपने आप को डायबिटीज से बचा कर कैसे रखें?
फिट हिंदी को एक्सपर्ट्स ने बताया कि डायबिटीज की बढ़ती समस्या ज्यादातर युवाओं और बच्चों में सामने आ रही है. खास कर जो:
ओवरवेट/मोटापे का शिकार हों
फिजिकल एक्टिविटी कम हो
प्रोसेस्ड फूड्स और मीठा रोज खाते हों
खाना ज्यादा मात्रा में खाने की आदत हो, जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा ज्यादा हो
कम सोते हों
स्ट्रेस में रहते हों
सुबह का नाश्ता नहीं खाते हों
इमोशनल ईटिंग करते हों
शराब और धूम्रपान अधिक करते हों
डॉ. राजेश राजपूत फिट हिंदी से कहता हैं,"निश्चित तौर पर डायबिटीज के मरीजों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही हैै. यदि हम संख्या देखें, तो फिलहाल भारत में 77 मिलियन से अधिक लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, यह संख्या 2030 तक बढ़कर 100 मिलियन हो जाने की आशंका है. एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 43.9 मिलियन वयस्कों का निदान नहीं किया जाता है."
वहीं मणिपाल हॉस्पिटल, पुणे में एंडोक्रिनोलॉजी के कंसलटेंट, डॉ. विक्रांत गोसावी फिट हिंदी से कहते हैं, "आज कल डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है और कम उम्र में ही इसका अपीयरेंस हो रहा है. यह बच्चों और टीनएजर्स में भी डायग्नोसिस होने लगा है".
डायबिटीज के मरीजों में कई शुरुआती लक्षण देखने को मिलते हैं. डॉक्टरों ने बताए ये सभी लक्षण:
बार-बार पेशाब आना
बार-बार इन्फेक्शन होना
ज्यादा प्यास लगना
भूख अधिक लगना
वजन का अचानक घटना या बढ़ना
झनझनाहट या सुन्न लगना
त्वचा पर गहरे रंग के धब्बे दिखना
आंखों के आगे धुंधलापन
चिड़चिड़ापन
कमजोरी लगना
मुंह सूखना
डॉक्टर के अनुसार, जिनके परिवार के सदस्यों को डायबिटीज है, जिनका अधिक वजन है, जो शारीरिक गतिविधि बहुत कम करता हो, कम नींद लेते हो और समय पर न सोते हो और जंक फूड का ज्यादा सेवन करता हो. ऐसी आदतें अगर कई सालों से चल रही हो तो उस व्यक्ति को डायबिटीज होने की गुंजाइश ज्यादा रहती है, खासकर 40 साल की उम्र के बाद.
हाई कैलोरी डाइट खाना- ज्यादा कैलोरी वाले भोजन का सेवन करने से वजन बढ़ सकता है और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की चपेट में आ सकता है.
एक्सरसाइज की कमी- फिजिकल फिटनेस की कमी का कारण एक्सरसाइज नहीं करना या कम करना हो सकती है. ये डायबिटीज का खतरा बढ़ाती है.
पोषण की कमी- जरुरी पौष्टिक आहारों का सेवन नहीं करने से समय के साथ-साथ शरीर में कई तरह की समस्याएं दिखने लगती हैं, डायबिटीज उनमें से एक है.
धूम्रपान करना- सिगरेट पीने से सिर्फ फेफड़ों को नुकसान नहीं होता है बल्कि शरीर के सभी अंग प्रभावित होते हैं. यह टाइप 2 डायबिटीज की समस्या को बढ़ाता है.
शराब पीना- हर हफ्ते 14 यूनिट से अधिक मात्रा में अल्कोहल के सेवन से पेनक्रियाज में सूजन हो जाती है और इंसुलिन क्षमता घटती है.
पर्याप्त नींद नहीं लेना- कम नींद या अत्यधिक नींद लेने से भी शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं, जो डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाते हैं.
स्ट्रेस- बढ़ता तनाव लोगों में हार्ट अटैक की समस्या के साथ-साथ मेंटल हेल्थ और डायबिटीज की बीमारी बढ़ाता जा रहा है.
एक्सरसाइज करें- सप्ताह में कम से कम 5 दिन एक्सरसाइज करना जरूरी है. यदि आप दिनभर डेस्क पर बैठे रहकर काम करते हैं, तो हर आधे घंटे बाद कुछ देर के लिए कुर्सी से जरूर उठें. बीच-बीच में कुर्सी पर बैठ कर थोड़ा व्यायाम करें. चलते-फिरते हुए कॉल पर बात करें.
पौष्टिक आहार लें- साबुत अनाज वाले उत्पादों का सेवन करें. मीठे पेय पदार्थों से बचें और ज्यादातर फल एवं सब्जी खाएं. बिना नमक वाले मेवों एवं बीजों का सेवन करें. खाना पकाने के लिए सैचुरेटेड फैट्स जैसे कि घी की बजाय मोनोसैचुरेटेड फैट्स या पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स जैसे ऑलिव ऑयल या कनोला ऑयल का इस्तेमाल करें. इस्तेमाल हो चुके पुराने तेल को जैसे समोसा आदि तलने के बाद, दोबारा इस्तेमाल करने से बचें ताकि ट्रांस फैट्स का सेवन न करें. रेड मीट और अतिरिक्त नमक का सेवन सीमित करें. अपने खाने का कंपोजिशन और खाने की मात्रा का बदलाव ही सबसे ज्यादा डायबिटीज से सुरक्षा देता है.
शराब से बचें- शराब कम से कम पीएं
धूम्रपान बदं करें- धूम्रपान नहीं करें और अगर आदत है तो धीरे-धीरे छोड़ दें.
स्ट्रेस से बचें- अपने जीवन में तनाव को घटाने पर ध्यान दें, इसके लिए समुचित तरीके से प्लानिंग करें, टाइम मैनेजमेंट करें, काम और जिम्मेदारियों को बांटे, दूसरों को काम सौंपे, मेडिटेट करें.
पर्याप्त नींद लें- हर दिन 7 से 9 घंटे नींद लें.
वजन के अनुसार डाइट लें- यदि आप ओवरवेट हैं, तो हर दिन 1 घंटे एक्सरसाइज करें और अपनी खुराक को बीएमआई के अनुसार यानी 18 से 23 तक सीमित करें.
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