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National immunisation day | क्या आपको अपनी बच्ची को एचपीवी वैक्सीन लगवानी चाहिए?

National immunisation day में जानें बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कितना जरुरी है वैक्सीन

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देश में टीकाकरण का महत्व समझाने के लिए भारत में हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस (National immunization day) मनाया जाता है.

कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर वैक्सीनेशन के महत्व पर रौशनी डाली है. कोरोना महामारी के दौर ने वैक्सीन की अहमियत के बारे में हम लोगों को और ज्यादा अच्छे से समझा दिया. यही वजह है कि किसी भी बीमारी का तोड़ ढूंढने के लिए वैक्सीन बनाना ही वैज्ञानिकों की पहली प्राथमिकता होती है. इस वक्त हमारे देश में कोराना टीकाकरण अभियान चल रहा है.

छोटी बच्चियों और महिलाओं को कौन-कौन सी वैक्सीन लगनी जरुरी है से जुड़े सवालों के जवाब के लिए फिट हिंदी ने गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक और वेल वुमन क्लिनिक की फाउंडर, डॉ नुपुर गुप्ता से बातचीत की.

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बच्चियों में लगने वाले वैक्सीन 

National immunisation day में जानें बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कितना जरुरी है वैक्सीन

वैक्सीन है स्वास्थ्य को बेहतर रखने का एक उपाय 

(फोटो:iStock)

ये कुछ प्रमुख वैक्सीन हैं जो बच्चियों को जरुर लगवानी चाहिए.

  • रूबेला वैक्सीन

  • एचपीवी वैक्सीन

  • कोविड वैक्सीन

  • टीडीएपी वैक्सीन

रूबेला वैक्सीन

रूबेला वैक्सीन बीमारी जिसे हम जर्मन मीसल्स भी कहते हैं. ये एक वायरस से होता है और ये हवा से फैलता है खाँसते या छींकते वक्त.

लक्षण

रेश, हल्का बुख़ार, गले में खराश और ग्लैंड्स में सूजन.

कुछ लोगों में कोई भी लक्षण नहीं दिखते हैं.

यह वैक्सीन हर छोटी बच्ची को बचपन में लग जाना चाहिए. यह वैक्सीन MMR के रूप में मिलता है. बच्चों को इसकी 2 खुराक दी जाती है. एक 9 महीने की उम्र में और दूसरी 5-6 साल की में.

टीडीएपी वैक्सीन (Tdap)

एक इनेक्टिव कॉम्बिनेशन वैक्सीन है, जिसमें Tetanus, Diphtheria और Acellular Pertussis का टीका सिंगल शॉट में दिया जाता है. इस वैक्सीन को लगवाने से इन तीनों इन्फेक्शन से सुरक्षा मिलती है.

नवजात शिशु जब 6 हफ्ते के हो जाते हैं, तब उन्हें Tetanus, Diphtheria और Pertussis के टीके लगने शुरू हो जाते हैं. इस वैक्सिनेशन का असर बच्चों पर लगभग 4-10 साल की आयु तक ही रहता है. इसीलिए 10 वर्ष की आयु हो जाने पर डॉक्टर इसे दुबारा देने की सलाह देते हैं. हर 10 साल के अंतराल के बाद ये टीका लगते रहना चाहिए.

एचपीवी वैक्सीन

एचपीवी यानि कि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस, एक आम वायरस है, जो बेहद ख़तरनाक और सबसे तेज़ी से फैलता है. यह एक तरह का वायरल इन्फ़ेक्शन है, जो सेक्स के माध्यम से तो फैलता ही है, पर त्वचा से त्वचा के सम्पर्क में आने से भी फैलता है. मतलब ये जरूरी नहीं कि सेक्सुअल पेनेट्रेशन हो, तभी दो व्यक्ति के बीच यह वायरस फैलेगा.

"एचपीवी के लक्षण लगभग नहीं होते हैं, ऐसे में सेक्शुअली ऐक्टिव महिलाओं को स्क्रीनिंग कराते रहना जरूरी है. पैप स्मीयर और एचपीवी डीएनए टेस्ट से संक्रमण का पता चलता है."
डॉ नुपुर गुप्ता

यह वैक्सीन एचपीवी वायरस वाले कैंसर को रोकने में कारगर साबित होता है. लगभग 90 प्रतिशत तक यह वैक्सीन एचपीवी वाले कैंसर से बचाता है. यूएस एफ़डीए द्वारा मान्यता प्राप्त ये वैक्सीन, भारत में 9 साल की लड़कियों से ले कर 45 वर्ष की महिलाओं को दी जाती है.

9 से 15 वर्ष की आयु वाली बच्चियों को इसके 2 टीके दिए जाते हैं.

कोविड वैक्सीन

कोविड 19 से बचने के लिए 12 साल से 18 साल के बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है. यह वैक्सीन सुरक्षित होने के साथ-साथ कोरोनावायरस पर असरदार भी है.

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महिलाओं के लिए जरुरी है ये सभी वैक्सीन 

National immunisation day में जानें बच्चियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कितना जरुरी है वैक्सीन

गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा होती वैक्सीन से 

(फोटो:iStock)

  • एचपीवी वैक्सीन

  • टीडीएपी वैक्सीन(Tdap)

  • कोविड वैक्सीन

  • फ्लू वैक्सीन

  • रूबेला वैक्सीन

एचपीवी वैक्सीन

एचपीवी के बारे में समय-समय पर बात होती रहती है, पर 6 तरह के कैंसर का कारण बनने वाले एचपीवी से लोगों को सावधान करते रहना भी जरूरी है. गर्भाशय कैंसर, गुदा कैंसर, योनि कैंसर, लिंग कैंसर, मुँह और गले का कैंसर फैलाने वाले इस वायरस के बारे में जागरूक करते रहना जरूरी है.

यह स्त्री और पुरुष दोनों को हो सकता है. वायरस के कारण होने वाला यह संक्रमण व्यक्ति की योनि, मुँह और गले को प्रभावित कर सकता है. जैसे, जेनिटल वार्ट्स, सर्विकल, गुदा, मुँह और गले के कैंसर के रूप में. एचपीवी के लक्षण लगभग नहीं होते हैं, ऐसे में सेक्शुअली ऐक्टिव महिलाओं को स्क्रीनिंग कराते रहना जरूरी है. पैप स्मीयर और एचपीवी डीएनए टेस्ट से संक्रमण का पता चलता है.

लगभग 150 प्रकार के एचपीवी वायरस होते हैं. उनमें से कुछ वायरस अलग-अलग तरह के कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते हैं. ख़ास कर, एचपीवी-16 और एचपीवी-18 वायरस सबसे खतरनाक होते हैं. ये गर्भाशय कैंसर के लिए 70 प्रतिशत से अधिक जिम्मेदार होते हैं.

भारत में 9 साल की लड़कियों से ले कर 45 वर्ष की महिलाओं को दी जाती है. 15 से 45 वर्ष की महिलाओं को इसके 3 टीके दिए जाते हैं.

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कोविड वैक्सीन

भारत में कोरोनावायरस से लड़ने के लिए पिछले साल से कोविड वैक्सीन दी जा रही है. यह वैक्सीन 12 वर्ष से ऊपर के सभी भारतवासियों को लग रही है.

गर्भवती महिलाओं को भी यह वैक्सीन लगवाना चाहिए.

फ्लू वैक्सीन

गर्भवती महिलाओं को फ्लू वैक्सीन लगवाना बेहद आवश्यक है. फ्लू एक गंभीर बीमारी है और खास कर प्रेग्नन्सी में ये बहुत गंभीर रूप ले सकता है. कई बार जान का खतरा भी हो जाता है, न केवल बच्चे के लिए बल्कि माँ के लिए भी.

फ्लू वैक्सीन लेने से गर्भवती महिला अपने बच्चे को भी एक तरह की सुरक्षा प्रदान करती हैं. इस वैक्सीन का असर बच्चे के जन्म के 6 महीने के बाद तक रहता है.

फ्लू वैक्सीन लगवाने से गर्भवती महिला और बच्चे दोनों को फ्लू से सुरक्षा मिलती है.

यह वैक्सीन गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान कभी भी लगवा सकती हैं.

टीडीएपी वैक्सीन (Tdap)

एक इनेक्टिव कॉम्बिनेशन वैक्सीन है, जिसमें Tetanus, Diphtheria और Acellular Pertussis का टीका सिंगल शॉट में दिया जाता है. इस वैक्सीन को लगवाने से इन तीनों इन्फेक्शन से सुरक्षा मिलती है.

जिन महिलाओं को टीडीएपी वैक्सीन लग चुका होता है, उन्हें भी हर प्रेग्नेंसी पर टीडीएपी वैक्सीन लगवाने की सलाह डॉक्टर देते हैं. हालांकि टीडीएपी वैक्सीन प्रेग्नेंसी के दौरान कभी भी लगवाया जा सकता है, लेकिन इसे लगवाने का सही समय है 27वें से लेकर 36वें हफ्ते के बीच का.

रूबेला वैक्सीन

रूबेला वैक्सीन बीमारी जिसे हम जर्मन मीसल्स भी कहते हैं. ये एक वायरस से होता है और ये हवा से फैलता है खाँसते या छींकते वक्त. गर्भवती महिलाओं से ये इन्फ़ेक्शन खून के जरिए गर्भ में पल रहे बच्चे तक भी पहुँच जाता है.

प्रेगनेंसी के दौरान खतरनाक हो सकता है रूबेला

रूबेला गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक है. अगर प्रेग्नेंसी में इन्फ़ेक्शन हो जाता है, तो बच्चे को सुनने में दिक्कत, आँखों की समस्या, हार्ट प्रॉब्लम और ब्रेन से जुड़ी समस्या भी हो सकती है.

प्रेग्नेंसी के दौरान ये बीमारी न हो इसका ध्यान रखना चाहिए.

इसलिए ये वैक्सीन है बेहद जरूरी .

यदि ये वैक्सीन आपने पहले नहीं ली है और अब आप वयस्क हो चुकीं हैं और बच्चा प्लान कर रही हैं तो आप अपना रूबेला वैक्सिनेशन का स्टैटस टेस्ट कर सकती हैं. जिससे पता चला सकता है कि आपके शरीर में रूबेला वैक्सीन के ख़िलाफ इम्यूनिटी है या नहीं.

यदि टेस्ट में नेगेटिव आता है और आप बच्चा प्लान कर रही हैं, तो आपको प्रेग्नेंसी से 1 महीने पहले ये वैक्सीन ले लेनी चाहिए.

रूबेला वैक्सीन लेने के 1 महीने तक प्रेग्नेंसी प्लान नहीं करनी चाहिए.

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