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World Menopause Day: मेनोपॉज से पहले और बाद, महिलाएं ऐसे रखें अपनी हड्डियों का ख्याल

World Menopause Day: मेनोपॉज के बाद बोन हेल्थ का ध्यान बेहद रखना जरुरी है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
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<div class="paragraphs"><p>World Menopause Day 2023: Menopause एक नेचुरल प्रक्रिया है.&nbsp;</p></div>
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World Menopause Day 2023: Menopause एक नेचुरल प्रक्रिया है. 

(फोटो: फिट हिंदी/iStock)

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World Menopause Day 2023: मेनोपॉज हर महिला के जीवन की एक ऐसी शारीरिक अवस्था है जो उम्र के साथ आती है. मेनोपॉज एक नेचुरल प्रक्रिया है पर इसका असर कई बार महिला के हेल्थ पर पड़ता है, खास कर उनकी हड्डियों पर. मेनोपॉज के बाद बोन हेल्थ का ध्यान रखना बेहद जरुरी हो जाता है.

फिट हिंदी ने एक्सपर्ट से जाना महिलाओं की हड्डियों पर मेनोपॉज का क्या असर पड़ता है, मेनोपॉज से पहले और बाद में महिलाएं अपनी हड्डियों का ध्यान कैसे रखें और 30 से 60 साल की महिलाओं की आदर्श बोन डेंसिटी क्या होनी चाहिए?

महिलाओं की हड्डियों पर मेनोपॉज का क्या असर पड़ता है?

"मेनोपॉज का हड्डियों के हेल्थ पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, खास कर महिला के जीवन के इस चरण के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण. मेनोपॉज से जुड़ा सबसे बड़ा बदलाव होता है हार्मोनल परिवर्तन यानी एस्ट्रोजेन उत्पादन में बड़ी कमी है."
डॉ. अमित चौधरी, कंसलटेंट-बोन एंड ज्वाइंट स्पेशलिस्ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम

एस्ट्रोजन हड्डियों के हेल्थ को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसकी गिरावट से हड्डियों की डेंसिटी पर कई तरह के प्रभाव पड़ सकते हैं. उनमें से कुछ ये हैं:

  • हड्डियों के रिसॉर्प्शन में वृद्धि: एस्ट्रोजन, ऑस्टियोक्लास्ट (पुरानी हड्डी के टिशूज को तोड़ने के लिए जिम्मेदार कोशिकाएं) की एक्टिविटी को रेगुलेट करने में मदद करता है. एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट के साथ, हड्डियों के रिसॉर्प्शन में वृद्धि होती है यानी कि नई हड्डियां बनने की तुलना में अधिक हड्डियां टूट जाती हैं, जिससे हड्डियों का नुकसान होता है.

  • हड्डियों के निर्माण में कमी: एस्ट्रोजेन, ऑस्टियोब्लास्ट की गतिविधि को बढ़ावा देकर हड्डियों के निर्माण पर भी पॉजिटिव प्रभाव डालता है, जो नई हड्डी के सेल्स के निर्माण के लिए जिम्मेदार टिशूज हैं. एस्ट्रोजन का लेवल कम होने से हड्डियों का निर्माण कम हो सकता है.

  • ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क बढ़ जाता है: हड्डियों की डेंसिटी में कमी और हड्डी के माइक्रोआर्किटेक्चर के बिगड़ने से ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है. यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें हड्डियां कमजोर और भंगुर होती हैं. साथ ही फ्रैक्चर होने की आशंका भी बढ़ जाती है. मेनोपॉज के बाद महिलाओं के लिए ऑस्टियोपोरोसिस एक चिंता का विषय बना रहता है.

  • फ्रैक्चर के रिस्क में वृद्धि: हड्डियों की डेंसिटी में कमी और हड्डियों के कमजोर होने के कारण मेनोपॉज वाली महिलाओं में फ्रैक्चर का खतरा अधिक होता है, खास कर कूल्हों, रीढ़ और कलाई जैसी वजन उठाने वाली हड्डियों में.

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मेनोपॉज से पहले महिलाएं कैसे रखें अपनी हड्डियों का ध्यान?

  • कैल्शियम खाएं: डेयरी प्रोडक्ट्स, हरी पत्तेदार सब्जी और फोर्टिफाइड फूड्स के जरिए कैल्शियम का पर्याप्त सेवन करें.

  • विटामिन डीः धूप या सप्लीमेंट्स से विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लें.

  • वेट बियरिंग एक्सरसाइज: आप वेट बियरिंग एक्सरसाइज जैसे वेटलिफ्टिंग कर सकती हैं. साथ ही दौड़ या सैर से भी आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं.

  • स्मोकिंग (धूम्रपान) छोड़ेंः स्मोकिंग के कारण आपकी हड्डियां कमजोर होती हैं, इसलिए अगर आप स्मोकिंग करती हैं, तो इस लत से छुटकारा पाने के बारे में विचार करें.

  • अल्कोहल का सीमित सेवनः बहुत अधिक शराब का सेवन करने से आपकी बोन हेल्थ प्रभावित हो सकती है, इसलिए इसका सेवन घटाने या सीमित करने पर विचार करें.

मेनोपॉज के बाद महिलाएं कैसे रखें अपनी हड्डियों का ध्यान?

"अपने हेल्थकेयर प्रोफेशनल से पसर्नलाइज्ड सलाह लें, खासतौर पर अगर मेनोपॉज से पहले या बाद में आपके मन में बोन हेल्थ को लेकर कुछ सवाल हैं."
डॉ. अमित चौधरी, कंसल्टैंट-बोन एंड ज्वाइंट स्पेश्यलिस्ट, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम
  • कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन जारी रखेंः अपनी खुराक में कैल्शियम और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें क्योंकि यह बोन हेल्थ के लिए जरूरी है.

  • स्ट्रेंथ ट्रनिंगः बोन लॉस के असर को कम करने के लिए स्ट्रेंथ ट्रनिंग अपनी दिनचर्या में जरुर शामिल करें.

  • हार्मोन थेरेपीः अपने डॉक्टर से हार्मोन थेरेपी के विकल्प पर विचार करें, कुछ महिलाओं को इससे बोन लॉस रोकने में मदद मिलती है.

  • बोन डेन्सिटी टेस्टिंगः अपनी बोन हेल्थ पर नजर बनाए रखने के लिए नियमित रूप से बोन डेन्सिटी टेस्टिंग करवाएं.

  • संतुलित खुराकः संतुलित भोजन लें जिसमें फलों, सब्जियों और लीन प्रोटीन शामिल हों ताकि आपकी ओवरऑल हेल्थ सही रहे.

30 से 60 साल की महिलाओं की आदर्श बोन डेंसिटी क्या होनी चाहिए?

हर किसी की बोन डेंसिटी में फर्क होता है, लेकिन इस विषय में कुछ गाइडलाइंस उपलब्ध कराए गए हैं. आमतौर पर इसकी जांच T-स्कोर से होती है, जिसके लिए ड्यूल-एनर्जी एक्स-रे (DXA) स्केन का उपयोग किया जाता है.

T-स्कोर आपकी बोन डेंसिटी की तुलना युवा, हेल्दी एडल्ट से करता है.

अलग-अलग आयुवर्ग की महिलाओं में अनुमानित T-स्कोर रेंज इस प्रकार हैः

  • 30-39: इस आयुवर्ग में -1.0 या अधिक का T-स्कोर महिलाओं के लिए सामान्य होता है.

  • 40-49: इस आयुवर्ग में -1.0 से -2.5 का T-स्कोर सामान्य से कम माना जाता है, जो ऑस्टियोपोरोसिस की ओर इशारा करता है.

  • 50-59: इस आयुवर्ग में भी, 1.0 से -2.5 का T-स्कोर सामान्य से कम होता है, जो ऑस्टियोपीनिया हो सकता है, जबिक 2.5 से कम T-स्कोर आपके शरीर में ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है.

  • 60: इस आयुवर्ग में भी, 50s की तरह T-स्कोर रेंज रहती है और सच तो यह है कि इस आयुवर्ग में बोन हेल्थ और भी नाजुक हो जाती है.

एक बात का ध्यान रखें कि ये T-स्कोर अलग-अलग महिलाओं के मामले में बहुत से अन्य फैक्टर्स से भी प्रभावित होता है और यही कारण है कि बोन हेल्थ का मूल्यांकन करते समय हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को इन सभी पहलुओं पर भी गौर करना चाहिए.

नियमित रूप से बोन डेंसिटी टेस्ट करवाएं और अपनी बोन हेल्थ के बारे में खास जरूरतों को समझने के लिए अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर के साथ बातचीत करें.

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