World Menopause Day 2023: हर साल 18 अक्टूबर को दुनिया भर में वर्ल्ड मेनोपॉज डे मनाया जाता है. मेनोपॉज एक नेचुरल प्रक्रिया है, जो एक महिला के पीरियड्स और रिप्रोडक्टिव उम्र के अंत का प्रतीक है. ये कोई बीमारी नहीं है लेकिन मेनोपॉज के दौरान और उसके बाद महिलाओं को कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए.
फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से जाना- मेनोपॉज क्या है और कब शुरू होता है? कम उम्र में होने वाले मेनोपॉज को कैसे पहचानें? मेनोपॉज से जुड़े रिस्क क्या हैं? मेनोपॉज में कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए? क्या मेनोपॉज का असर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है?
मेनोपॉज कब शुरू होता है?
"मेनोपॉज उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक हिस्सा है, फिर भी यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महिलाओं में इसके लक्षण एक दूसरे से अलग हो सकते हैं. कुछ महिलाओं को कम या कोई लक्षण अनुभव नहीं हो सकता है, जबकि कुछ को यह अधिक चुनौतीपूर्ण लग सकता है."डॉ. दीपा दीवान, सीनियर डायरेक्टर-ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजी, क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गोल्फ कोर्स रोड, गुड़गांव
भारतीय महिलाओं में देखा जाता है कि मेनोपॉज 40 साल के बाद या 50 से पहले की महिलाओं में होता है, जो आमतौर पर 51 साल के आसपास खत्म हो जाता है. मेनोपॉज के दौरान, हार्मोनल परिवर्तन के कारण पीरियड्स बंद हो जाता है. इस दौरान मूड में बदलाव, अचानक बहुत तेज गर्मी लगना और नींद के पैटर्न में बदलाव जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं.
मेनोपॉज को कई स्टेप्स में बांटा गया है, यह प्रीमेनोपॉज से शुरू होता है, जो मेनोपॉज से कई साल पहले शुरू हो सकता है.
पेरिमेनोपॉज के दौरान, अंडाशय धीरे-धीरे कम एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन करने लगते हैं, जिससे अनियमित पीरियड्स और अचानक बुखार जैसी गर्मी लगना, रात को पसीना आना और मूड में बदलाव महसूस किया जा सकता है.
"जब किसी महिला को लगातार 12 महीनों तक पीरियड्स नहीं आया हो तब उसे मेनोपॉज कहा जाता है. यह आमतौर पर 51 वर्ष की आयु के आसपास होता है, लेकिन यह अलग-अलग भी हो सकता है."डॉ. सीमा शर्मा, एसोसिएट डायरेक्टर- गाइनेकोलॉजी एंड ऑब्स्टेट्रिक्स, क्लाउडनाइन हॉस्पिटल, चंडीगढ़
क्या है कम उम्र में होने वाले मेनोपॉज का कारण?
मेनोपॉज की एवरेज आयु लगभग 51 वर्ष है, जबकि मेनोपॉज इस उम्र से पहले भी हो सकती है. मेनोपॉज जब 40 वर्ष की आयु से पहले होता है, तो उसे प्रीमेच्योर माना जाता है. समय से पहले मेनोपॉज कई कारकों से प्रभावित हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
जेनेटिक कारण: पारिवारिक इतिहास उस उम्र को निर्धारित करने में अहम हो सकता है, जिस पर एक महिला को मेनोपॉज का अनुभव हो सकता है. अगर आपकी मां या बहनें जल्दी मेनोपॉज से गुजरी हैं, तो आपके साथ भी ऐसा हो सकता है.
मेडिकल कंडीशन: कीमोथेरेपी या रेडिएशन जैसे कुछ मेडिकल ट्रीटमेंट अर्ली मेनोपॉज का कारण बन सकते हैं.
ऑटोइम्यून रोग: कुछ ऑटोइम्यून स्थितियां अर्ली ओवेरियन फेलियर का कारण बन सकती हैं.
धूम्रपान: धूम्रपान करने वाली महिलाएं धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में जल्दी मेनोपॉज की स्थिति तक पहुंच जाती हैं.
मेनोपॉज से संबंधित बदलावों की जल्द पहचान, लक्षणों को मैनेज करते हुए लाइफ आसान बनाता है.
कम उम्र में होने वाले मेनोपॉज को कैसे पहचानें?
यहां ऐसे संकेतों के बारे में बताया गया है, जो प्रीमेनोपॉज की शुरुआत का संकेत दे सकते हैं:
अनियमित पीरियड्स: पीरियड्स का इर्रेगुलर होना, जैसे कि छोटा या लंबा साइकल, भारी या हल्का ब्लड फ्लो, मिस्ड पीरियड प्रीमेनोपॉज के संकेत हो सकते है.
अचानक बुखार वाली गर्मी महसूस होना और रात को पसीना: अचानक तेज गर्मी और पसीना महसूस होना, दिन के दौरान (हॉट फ्लैशेज) या रात में (नाइट स्वेट्स) हो सकती है.
नींद में खलल: अनिद्रा या बाधित नींद का पैटर्न अधिक ध्यान देने योग्य हो सकता है.
मूड में बदलाव: मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन और उदासी या चिंता की भावनाओं का अनुभव हो सकता है.
वजाइना में ड्राइनेस: एस्ट्रोजन के स्तर में कमी के कारण वजाइनल ड्राइनेस, खुजली और असुविधा हो सकती है.
स्किन और बालों में परिवर्तन: ड्राई स्किन, स्किन इलास्टिसिटी में परिवर्तन और बालों की बनावट में परिवर्तन हार्मोनल बदलाव से जुड़ा हो सकता है.
बोन हेल्थ में कमी: बोन डेंसिटी में गिरावट आई है या परिवार में मेनोपॉज का इतिहास है, तो इस पर ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है.
मेनोपॉज में कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?
आप मेनोपॉज या प्रीमेनोपॉज का अनुभव कर रहीं हैं, तो किसी स्त्री रोग एक्सपर्ट से सलाह लेना जरुरी है.
"डॉक्टर आपका टेस्ट करा सकते हैं, जैसे हार्मोन के लेवल को मापना (एफएसएच और एस्ट्रोजन), और लक्षणों के मैनेजमेंट की सही सलाह दे सकते हैं."डॉ. दीपा दीवान, सीनियर डायरेक्टर-ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजी, क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गोल्फ कोर्स रोड, गुड़गांव
मेनोपॉज के शुरुआती लक्षणों का समय पर पता लगा कर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी जैसे तरीकों को अपनाकर मेनोपॉज से जुड़े संभावित हेल्थ रिस्क्स को कम किया जा सकता है.
इन हालातों में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें:
वजाइनल ब्लीडिंग
वजाइनल डिस्चार्ज
भूख नहीं लगना
क्या मेनोपॉज का असर महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है?
"जब औरतें मेनोपॉज की तरफ जा रही होती हैं, उस समय कई बार नोटिस किया जाता है कि उनको मानसिक रूप से कई तरह के बदलाव अनुभव होते हैं. वैसे तो ये एक नोर्मल प्रक्रिया है".कामना छिबर, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, हेड- मेंटल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और बेहवियरल साइंस विभाग, फोर्टिस हेल्थकेयर
कामना छिबर आगे कहती हैं,"सबसे पहला असर महिला के मन पर हो सकता है. कई औरतों को चिड़चिड़ापन ज्यादा होने लगता है. उनका मन उदास होने लगता है. एक और बात जो देखी जाती है, वो ये कि होर्मोनल बदलाव की वजह से शरीर में भी बदलाव आते हैं और अचानक हो रहे बदलावों से महिलाएं तनाव महसूस करती हैं. बॉडी शेप में बदलाव के कारण कुछ महिलाओं के आत्मविश्वास में भी कमी आती है. बॉडी को लेकर जो सकारात्मकता होती है उस पर भी असर हो सकता है. उसको ले कर नेगेटिव सोच बनने की आशंका रहती है".
कुछ औरतों को मेनोपॉज के दौरान या उसके बाद सेक्सुअल ड्राइव में कमी महसूस होती है, जो पार्ट्नर के साथ मनमुटाव का कारण बन सकता है.
"सबसे जरुरी बात ये है कि हर महिला अपने आप को ये याद दिलाएं कि यह एक सामान्य अवस्था है और सभी महिलाएं इससे गुजरती हैं. धीरे-धीरे सब ठीक हो जाता है. अगर तकलीफ ज्यादा है, तो सही एक्स्पर्ट से बात करना बेहद जरुरी है.कामना छिबर, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, हेड- मेंटल हेल्थ, मेंटल हेल्थ और बेहवियरल साइंस विभाग, फोर्टिस हेल्थकेयर
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