मेनोपॉज का मतलब मासिक धर्म का रूकना है. मेनोपॉज शब्द ग्रीक शब्द से लिया गया है. Meno का अर्थ है महीना और Pause का अर्थ है विराम. फीमेल हार्मोन्स का उत्पादन करने वाले अंडाशय की बढ़ती उम्र मेनोपॉज का कारण होती है. फीमेल हार्मोन का स्राव घटने से, बांझपन और कुछ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तन होते हैं. ये परिवर्तन आमतौर पर 45-50 साल की उम्र में होते हैं.
बढ़ती उम्र के साथ हर महिला को मेनोपॉज के सामान्य समस्याओं के साथ अपने जीवन का एक तिहाई या उससे अधिक समय बिताना पड़ता है.
मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल की डॉ रिश्मा ढिल्लोन पै, गायनेकोलॉजिस्ट और इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ, महिलाओं में मेनोपॉज की समस्या के बारे में विस्तार से बता रही हैं.
भारत में मेनोपॉज से महिलाओं में बढ़ रही समस्याएं
भारत में 45 वर्ष से अधिक आयु की लगभग 85 मिलियन महिलाएं मेनोपॉज के दौरान विभिन्न परिवर्तनों और शारीरिक समस्याओं से जूझ रही हैं. इनमें से 30 मिलियन महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं.
मेनोपॉज के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मेनोपॉज महिला के जीवन की सामान्य और प्राकृतिक अवस्था है. यह केवल एक अस्थायी चरण है, बीमारी नहीं. इसलिए यदि हम अच्छी तैयारी करते हैं, तो हम इस समस्या के खिलाफ आधी लड़ाई वहीं जीत सकते हैं. कई महिलाओं में मेनोपॉज के लक्षण दिखाई नहीं देते, और कई महिलाओ़ं को नीचे दिए गए सभी लक्षणों का अनुभव हो सकता है.
अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म रूक जाना
हॉट फ्लॅश (गर्माहट)
थरथराहट
योनि का सूखापन और ढीलापन
पेशाब रोकने में असमर्थता, खांसने या छींकने पर पेशाब का रिसाव होने जैसी यूरिनरी लक्षण
चिंता, अवसाद
यौन संबंध की इच्छा कम हो जाना
अनिद्रा
मेनोपॉज के बाद, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं.
मेनोपॉज प्राकृतिक रूप से जल्दी भी हो सकता है, तो कुछ मामलों में सर्जरी द्वारा अंडाशय निकाल देने के कारण होता है. इसके बाद ऑस्टियोपोरोसिस के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ सकता है.
आमतौर पर पतली, धूम्रपान करने वाली और सीटींग लाइफस्टाइल जीने वाली महिलाएं इस समस्या का अधिक शिकार होती हैं.
मेनोपॉज के बाद इस्केमीक जैसी दिल की बिमारी, अल्झायमर और स्ट्रोक आदि समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
एक बार मासिक धर्म बंद होने के बाद, योनि मार्ग से किसी भी प्रकार का रक्तस्राव (bleeding) नहीं होना चाहिए, अगर किसी महिला को लगता है कि उन्हें लंबे समय तक भारी मासिक धर्म या मासिक धर्म के बाद योनि से रक्तस्राव हो रहा है, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
मेनोपॉज निकट आने से पहले उन समस्याओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर, उनसे बचाव के उपाय करना जरूरी है.
शरीर में हो रहे बदलाव का सामना कैसे करें?
यदि आप नियमित रूप से स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधियां करती रही हैं और चुस्त व फुर्तिली हैं, तो आपको मेनोपॉज के दौरान अधिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा.
मेनोपॉज की बहुत सी समस्याएं रेग्युलर लाइफस्टाइल और खाने पीने में सुधार लाकर तथा पौष्टिक आहार और दवाईयों का सेवन करने से कम की जा सकती हैं.
मेनोपॉज के लक्षणों से राहत पाने के लिए आप बहुत सारे उपचार विकल्पों की मदद ले सकती हैं. जिनमें से एक है, अक्यूपंक्चर का विकल्प, जिसका परिणाम अच्छा है.
साथ ही सोया सप्लिमेंट्स के इस्तेमाल से आयसोफ्लाव्होन घटक शरीर की गर्मी नियंत्रण में रखता है, और हड्डियां भी मजबूत बनाता है.
योनि की लोच (elasticity) में कमी आने से, होने वाली असुविधा दूर करने के लिए एस्ट्रोजेन क्रीम या योनि जेल का इस्तमाल कर सकते है.
रेग्युलर लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से, जैसे कि कोल्ड ड्रिंक न पीना और बंद वातानुकूलित रूम में न बैठना.
मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना अच्छा परिणाम दिखता है.
इसके साथ विटामिन ई का इस्तेमाल करने से त्वचा और बालों को भी अच्छा फायदा हो सकता है.
शरीर में गर्माहट से कोई नुकसान नहीं होता, यदि हल्की गर्माहट हो, तो इसे नजरअंदाज कर सकते है. पर तेज गर्माहट हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर इलाज करें.
इन समस्याओं पर कौन सी दवाईयां उपलब्ध हैं ?
मेनोपॉज की समस्याओं के सामान्य उपचार प्रक्रिया में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरपी (HRT) महत्वपूर्ण योगदान करता है. इस उपचार का उपयोग कई वर्षों से सफलतापूर्वक किया जा रहा है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने 2002 के एनआईएच अध्ययन में पाया कि एचआरटी से स्तन कैंसर, स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है.
इसके अलावा, ऑस्टियोपोरोसिस, हिप फ्रैक्चर और कोलन कैंसर की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी भी दिखाई दी थी.
इस अध्ययन के बाद दुनिया भर में एचआरटी (एस्ट्रोजन + प्रोजेस्टेरोन) का उपयोग कम कर दिया गया.
हालांकि, यह अध्ययन वृद्ध महिलाओं (60-70 साल) के ऊपर किया गया था, जो अपने पूरे जीवनकाल में अधिकतम सामान्य और पुरानी दवाओं का उपयोग कर चुकी थीं.
आजकल, बाजार में नए प्रकार के हार्मोनल दवाओं के साथ नॉन हार्मोनल दवाईयां भी उपलब्ध हैं, जो काफी सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती हैं. साथ ही एथिनिल एस्ट्राडियोल को आज का सबसे अच्छा एस्ट्रोजन माना जाता है. अगर यह कम मात्रा में लें, तो इसका साईड इफेक्ट भी कम होता है और यह शरीर की गर्माहट (हॉट फ्लॅशेस) से काफी राहत देता है.
अगर गर्भाशय है, तो प्रोजेस्टेरॉन का समावेश बहुत जरूरी है. इस के साथ स्तन कैंसर के खतरे को कम करने वाली टिबोलोन जैसी दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है.
ऑस्टियोपोरोसिस समस्या के लिए बहुत सारी हार्मोनल दवाईयां उपलब्ध हैं, जो हफ्ते में या महीने में एक बार ले सकती हैं. जिसके कारण कुछ महीनों में ही हड्डियों की स्थिती में सुधार आ जाता है.
मेनोपॉज के दौरान होने वाले हॉट फ्लॅशेस कम करने के लिए, और अच्छी नींद के लिए ऐंजाइयटी रोकने की दवा सहायता कर सकती है.
उचित देखभाल, पर्याप्त जानकारी और अध्ययन से प्रत्येक महिला अपना मेनोपॉज फेज सफलता से पूरा कर सकती हैं. इसलिए जीवन के इस पहलू को सकारात्मक दृष्टिकोण से स्वीकार कर के आगे बढ़ते रहना ही उचित है.
किन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती?
मेनोपॉज की कोई निश्चित उम्र नहीं होती है. अगर आपकी माँ को मेनोपॉज जल्दी शुरू हो गया था, तो आप को भी जल्दी हो सकता है. कई महिलाओं को 45 या 55 साल की उम्र तक भी नॉर्मल पीरियड आते हैं.
इसलिए हर साल रूटीन हेल्थ चेक अप करवाएं. जिसमें, पीएपी स्मीअर टेस्ट, गर्भाशय और अंडाशय में होने वाले संभावित कैंसर की जानकारी के लिए सोनोग्राफी कराएं और ब्रेस्ट कैंसर के लिए मॅमोग्राफी चेक अप जरूरी है.
इसके बाद, बोन डेन्सिटी टेस्ट द्वारा हड्डियों की स्थिति का पता चल सकता है. हड्डी स्वस्थ है, तो केवल कैल्शियम और व्यायाम ही पर्याप्त है.
यदि ये सारी रिपोर्ट नियमित रूप से सामान्य हैं, तो आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
(यह लेख डॉ. रिश्मा ढिल्लोन पै, गायनेकोलॉजिस्ट और इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ, लीलावती हॉस्पिटल, जसलोक हॉस्पिटल ऑर हिंदुजा हेल्थकेअर सर्जिकल हॉस्पिटल द्वारा फिट हिंदी के लिए लिखा गया है.)
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