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दुनिया भर में हर साल 13 अगस्त को वर्ल्ड ऑर्गन डोनेशन डे (World Organ Donation Day) यानी विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है. ऑर्गन डोनेशन डे को मनाने के पीछे का उद्देश्य अंगदान के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करके उसका संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करना भी है.
हमारे देश में हर साल 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत समय पर ऑर्गन नहीं मिलने की वजह से होती है. जबकि कहा जाता है कि एक इंसान ऑर्गन डोनेट कर के कम से कम 8-10 लोगों को नया जीवन दे सकता है.
देश में ऐसे हजारों मरीज हैं, जो किसी न किसी अंग के खराब होने की वजह से जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं और ऑर्गन ट्रांसप्लांट के इंतजार में हैं.
नेत्रदान/आई डोनेशन का मतलब क्या है?
किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसकी आंखें दान की जा सकती हैं. जिससे वह किसी ऐसे व्यक्ति की आंखों को रोशनी दे सकता है, जो देख नहीं सकता है.
नेत्रदान/आई डोनेशन कौन कर सकता है?
दो वर्ष से अधिक आयु का कोई भी बच्चा/व्यक्ति नेत्रदान/आई डोनेट कर सकता है. नेत्रदान के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती है. जो लोग चश्मा पहनते हैं, जिनकी मोतियाबिंद की सर्जरी हुई है, मधुमेह है, या उच्च रक्तचाप है, वे भी अपनी आंखें दान कर सकते हैं.
आंख के ऊतकों को ट्रांसफर (transfer) करने से पहले, प्राप्तकर्ता को गंभीर संक्रमण के ट्रांसमिशन से बचाने के लिए विस्तृत मेडिकल हिस्ट्री देखी जाती है. इसके अलावा किसी भी सामान्य स्वस्थ व्यक्ति को नेत्रदान का संकल्प लेना चाहिए.
आई बैंक क्या है?
आंखों का बैंक एक प्रतिष्ठान (establishment) होता है, जो सरकारी या गैर-सरकारी संगठन भी हो सकता है. यह किसी व्यक्ति की मौत पर उनकी मर्जी से डोनेट की गई आंखों (कॉर्निया) को, इनके इस्तेमाल तक इकट्ठा और प्रोसेस्ड करने के लिए जिम्मेदार होता है. आंखों के बैंक में किसी डोनर द्वारा डोनेट की गई आंखों (कॉर्निया) को सुरक्षित रखा जाता है.
आई बैंक एक संस्था है, जो नेत्रदान के मिशन की दिशा में काम करता है.
आई बैंक के कार्य क्या हैं?
आई बैंक के पांच प्रमुख कार्य हैं:
1. नेत्रदान/आई डोनेशन के बारे में जागरूकता बढ़ना
2. डोनर्स के गुजरने के बाद डोनेटेड आई प्राप्त करना
3. आंख के ऊतकों को प्रोसेस्ड करना
4. दान की गई आंखों की सही जांच परख करना
5. गुणवत्ता आश्वासन बनाए रखते हुए जरूरतमंद व्यक्ति को डोनर आई वितरित करना
मृत्यु के बाद नेत्रदान/आई डोनेशन करने का सही समय क्या है? परिवार के सदस्यों के लिए निर्देश और नेत्रदान/आई डोनेशन के लिए दिशा-निर्देश क्या हैं?
मृत्यु के 6-8 घंटे के भीतर नेत्रदान करना चाहिए.
ये हैं दिशानिर्देश:
डोनर की आंखें बंद कर, गीली रुई को पलकों पर रखें (कॉर्निया को नम और स्वस्थ रखने के लिए).
कमरा का पंखा/एसी बंद कर दें
मृत व्यक्ति के सिर को तकिये से उठा कर रखें
नजदीकी प्रमाणित आई बैंक केंद्र तक पहुंचने के लिए 1919 पर कॉल करें
नेत्र दाता से 10 सीसी रक्त लिया जाता है. एचआईवी / हेपेटाइटिस बी, सी और सिफलिस के परीक्षण के लिए दाता से रक्त का नमूना एकत्र किया जाता है.
मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार रखें
आई डोनेशन की प्रक्रिया में केवल 20 मिनट लगते हैं
दान की गई आंखें कभी भी बेची या किसी अन्य तरीके से उपयोग नहीं की जाती हैं
एक नेत्रदान/आई डोनेशन से दो कॉर्निया नेत्रहीन व्यक्तियों को लाभ हो सकता है
परिवार की लिखित सहमति से नेत्रदान किया जाता है
कॉर्निया को 96 घंटे तक सुरक्षित रखना चाहिए
नेत्रदान/आई डोनेशन की सहमति कौन देता है?
डोनर की सहमति के साथ परिवार भी दान के लिए सहमति दे सकते हैं. एक डोनर कार्ड कानूनी प्रतिनिधि और अस्पतालों के लिए एक संकेत के रूप में काम कर सकता है कि आप एक नेत्र दाता बनना चाहते हैं. बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर पाए गए फॉर्म का उपयोग करके पंजीकरण किया जा सकता है. कोई भी अपने पास के किसी भी अच्छे आई बैंक में जा कर आई डोनेशन की इच्छा व्यक्त कर सकता है.
आई बैंक कैसे काम करता है?
आई बैंक नेत्र अस्पतालों से संबद्ध हैं, जिनके पास एक प्रशिक्षित कॉर्नियल विभाग है, जैसे श्रॉफ चैरिटी अस्पताल, जहां प्रशिक्षित कॉर्नियल सर्जन प्रत्यारोपण सर्जरी की जाती है. नेत्रदान के लिए HOTA-अनुमोदित कॉर्नियल केंद्रों का उपयोग किया जाना चाहिए.
सरकार ने HOTA, या ह्यूमन ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन एक्ट इनैक्ट् किया है, जो किसी भी कारण से मृत्यु की स्थिति में ट्रांसप्लांटेशन के लिए गुर्दे, हृदय, यकृत और कॉर्निया को हटाने को नियंत्रित करता है और अनुमति देता है. और आंखों के लिए, अब एक अलग रेगुलेशन है, जिसे THOTA रेगुलेशन कहा जाता है, जो मानव अंग और ऊतक अधिनियम के ट्रांसप्लांटेशन के लिए है.
कैसे करें नेत्रदान के लिए पंजीकरण?
कोई भी व्यक्ति नेत्रदान के लिए प्रतिज्ञा कर सकता है और 1919 डायल करके दान कर सकता है, यह एक टोल-फ्री नंबर है, जो देश में निकटतम पंजीकृत नेत्र बैंक से जुड़ता है. वर्तमान में, भारत में लगभग 760 पंजीकृत नेत्र बैंक हैं, जिनमें से 250 ऐक्टिव हैं.
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