विश्व स्तनपान सप्ताह/वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक अगस्त के पहले हफ्ते को कहा जाता है. आप पहले से ही जानते होंगे कि स्तनपान/ब्रेस्ट्फीडिंग के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर में इस सप्ताह को मनाया जाता है. 6 महीने तक के शिशुओं को केवल मां का ढूध पिलाने की सलाह देते हैं सभी डाक्टर्स और WHO भी.
आज हम इस विडियो में ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें, आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं.
स्तनपान/ब्रेस्ट्फीडिंग का महत्व
बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए ब्रेस्टफीडिंग सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हैं. WHO और UNICEF जीवन के पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से स्तनपान कराने की सलाह देते हैं, जो जन्म के एक घंटे के भीतर शुरू होता है.
UNICEF के मुताबिक, स्तनपान शिशु के पहले टीके के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें सभी प्रकार की ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है. बीमारी और वेस्टिंग सहित बाल कुपोषण के सभी रूपों के खिलाफ रक्षा करता है.
भारत में बच्चों को दूध पिलाने की प्रथा
हाल ही में आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, भारत में जन्म के बाद पहले घंटे में केवल 42% बच्चे ही ब्रेस्ट्फीड कर पाते हैं और केवल 64% बच्चे ही पहले छह महीनों के लिए विशेष रूप से ब्रेस्ट्फीड कर पाते हैं.
ब्रेस्टफीडिंग/स्तनपान से जुड़ी चुनौतियां
रेकमेंडेड ब्रेस्ट्फीडिंग प्रथाओं के महत्व के बारे में जागरूकता और शिक्षा की कमी एक बड़ी चुनौती है. जिस कारण कई बच्चे स्तनपान से वंचित रह जाते हैं. स्तनपान कराती कामकाजी मां को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. साथ ही परिवार और समाज से समर्थन की कमी से उन्हें दिक्कतें झेलनी पड़ती है.
पिता और परिवार के सदस्य निभाएं जिम्मेदारी
पिता और परिवार के सदस्य को अपनी जिम्मेदारी का एहसास हो ये बेहद जरुरी है. उन्हें स्तनपान कराने वाली मां के लिए पॉजिटिव माहौल बनाने और सपोर्ट देने की पूरी कोशिश करनी चाहिए. मां और बच्चे के बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए.
पिता को स्तनपान के महत्व और लाभों के बारे में पता होना चाहिए ताकि वे माताओं को सहायता प्रदान करें, किसी भी संबंधित चुनौतियों का समाधान करने में उनकी सहायता करें और बच्चों के विकास की निगरानी करें.
सामाजिक भागीदारी
सार्वजनिक स्थानों यानी कि पब्लिक प्लेस पर स्तनपान/ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य बनाएं. अक्सर महिलाओं को पब्लिक प्लेस में ब्रेस्ट्फीडिंग के समय बुरे अनुभवों से गुजरना पड़ता है.
ब्रेस्ट्फीडिंग के लिए अनुकूल स्थान बनाना जैसे कि स्कूलों, कार्यालयों, अस्पतालों सहित और सार्वजनिक स्थानों पर ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य बनाना भी स्तनपान के सपोर्ट और जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण है.
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