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जब मैं छोटी थी, तो मुझे बार-बार सपना आता था कि मैं अपनी अलमारी खोलती हूं और अंदर रखे सारे कपड़े मेरे ऊपर गिरने लगते हैं. कपड़े वास्तव में मुझ तक या जमीन तक कभी नहीं पहुंचे, लेकिन मैं उन्हें गिरते हुए, मेरे करीब आते हुए, मेरा पीछा करते हुए देख रही होती थी. फिर मैं घुटन महसूस करते और हांफते हुए उठती थी.
अब सालों से मुझे यह सपना नहीं आया है (या फिर यह एक नाइटमेर था?) लेकिन मुझे अभी भी याद है कि इस सपने के कारण मुझे कैसा महसूस होता था. तो अब, एक वयस्क के रूप में जिसके पास थेरेपी के लिए तो पैसे नहीं हैं, लेकिन जिसका (सौभाग्य से) काम लोगों से सवाल पूछना है, मैं यह समझने के लिए विशेषज्ञों के पास पहुंची कि हमारे सपने हमें हमारे स्लीप पैटर्न के बारे में क्या बताते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, हमारे सोने के पैटर्न और हमारे सपनों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. लेकिन, पहले नींद और सपनों से जुड़ी बेसिक बातें समझते हैं.
फोर्टिस हॉस्पिटल में डायरेक्टर और एचओडी, पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप डिसऑर्डर, डॉ. विकास मौर्य बताते हैं कि स्लीप साइकिल दो प्रकार के होते हैं, जो रोज साथ में काम करते हैं.
REM नींद वह है, जिसमें हम सपने देखते हैं. गैर-REM नींद एक गहरी नींद है, जो हमारे शरीर को हर दिन अच्छी तरह से काम करने के लिए आवश्यक आराम देती है. ये दोनों चक्रीय रूप (cyclic) से होते हैं और दोनों ही हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं.
"दिलचस्प बात यह है कि जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारा मस्तिष्क शायद ही कभी गहरी नींद में जाता है. यही वजह है कि बुजुर्गों को सपने अधिक आते हैं", डॉ. मौर्य कहते हैं.
हालांकि, कुछ नींद संबंधी विकार हैं, जो हमारे सपने देखने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं. उदाहरण के लिए स्लीप एपनिया और नार्कोलेप्सी.
स्लीप एपनिया एक विकार है, जिसमें नींद की गुणवत्ता बहुत खराब होती है और व्यक्ति जागता रहता है, इसलिए वह दिन में भी जरूरत से ज्यादा सोता है. डॉ. मौर्य फिट को बताते हैं कि हो सकता है कि उन्हें सपने न आते हों क्योंकि हो सकता है कि उनका दिमाग आराम पाने के लिए REM नींद को स्किप कर रहा हो.
दूसरी ओर नार्कोलेप्सी के रोगियों को बार-बार बुरे सपने आ सकते हैं क्योंकि मरीज सीधे REM स्लीप में चले जाते हैं.
आइए अब हम अपने सोने के तरीके और सपनों के बीच के संबंध को समझते हैं.
डॉ. मनीष जैन, सीनियर कंसल्टेंट, साइकेट्री, बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली, शेयर करते हैं,
लेकिन वह यह भी कहते हैं कि कुछ मानसिक स्थितियां हैं, जो आपके सपनों को अधिक डरावना या नकारात्मक बना सकती हैं. उदाहरण के लिए, डिप्रेशन या एंजाइटी से ग्रस्त लोगों के सपनों में हो सकता है कि उनका डर पूरी तरह से बाहर आता हो.
डॉ. जैन एक उदाहरण देते हैं. जिन लोगों में अबैन्डन्मन्ट (abandonment) का डर है, वे ऐसा सपना देख सकते हैं, जिसमें वे एक कार, हाइवे, या रेलवे स्टेशन पर अकेले हैं, जहां दूसरे लोग आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन वे नहीं.
हालांकि 24 वर्षीय शिबानी कृष्णत्रेय, का अनुभव अलग रहा है.
जबकि आपके सपनों और आपके सोने के पैटर्न का सीधा संबंध नहीं है, लेकिन सपनों से स्लीपिंग पैटर्न के बारे में कुछ बातें पता चल सकती हैं.
अगर आपके सपने स्पष्ट हैं, यह एक संकेत है कि मस्तिष्क REM नींद से आपको जगा रहा है. इसी तरह, यदि आप जागने के बाद अपने सपनों को स्पष्ट रूप से याद करते हैं, तो इसका मतलब है कि जब आप उठे तो आप अपनी नींद के REM चक्र में थे या आप अपनी नींद के बीच में थोड़ी देर के लिए बिना एहसास के जागते रहे.
अगर आपको बार-बार बुरे सपने आते हैं, हो सकता है कि आपका मस्तिष्क किसी दर्दनाक घटना से निपटने की कोशिश कर रहा हो.
अगर आपको लगता है कि आपको सपने कभी नहीं आते, हो सकता है कि आपका शरीर REM नींद की तुलना में गहरी गैर-REM नींद को प्राथमिकता दे रहा हो. यह शायद इसलिए हो सकता है क्योंकि आप नींद से वंचित हैं या थके हुए हैं और आपके शरीर को फिर से सक्रिय करने के लिए आराम की जरूरत है.
डॉ. जैन कहते हैं, ''सपने देखे बिना किसी के लिए भी सोना लगभग नामुमकिन है.''
यहां तक कि, 23 वर्षीय आकांक्षा (अनुरोध पर नाम बदला गया), जो दिल्ली की रहने वाली है, को लगता है कि उसके सपनों की फ्रीक्वेंसी (frequency) में उसकी भावनात्मक या मानसिक स्थिति की भूमिका होती है.
हार्वर्ड के एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका की 3-7% आबादी बुरे सपनों से पीड़ित है. यह संख्या, 3-6 आयु वर्ग के बच्चों में और भी अधिक है.
डॉ जैन का कहना है कि बुरे सपने सामान्य नहीं हैं. हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि कोई भी इंसान बुरे सपने के प्रति अतिसंवेदनशील हो सकता है, खासकर अगर वे किसी अंतर्निहित मनोवैज्ञानिक या मानसिक स्वास्थ्य परेशानी से पीड़ित हों. लेकिन अगर बुरे सपने बार-बार आ रहे हों, तो ये चिंता का कारण है.
यदि किसी को बार-बार बुरे सपने आते हैं, तो नींद की कमी के कारण जब वे सो जाते हैं, तो हो सकता है उनका शरीर REM नींद चक्र को प्रेरित कर दे, जिससे नींद की कमी और क्रोनिक इंसोम्निया भी हो सकती है.
लेकिन बार-बार आने वाले बुरे सपने जागने के बाद भी अक्सर एक खराब "आफ्टर टेस्ट" छोड़ देते हैं, जैसा कि कृष्णत्रेय बताती हैं. उन्हें अक्सर बुरे सपने आते थे, जिसके कारण उन्हें नींद में रोना आता था और फिर उनकी नींद उड़ जाती थी. कृष्णत्रेय ने शेयर किया,
ऐसी स्थितियों में, डॉ. जैन और डॉ. मौर्य, दोनों ही सलाह देते हैं कि आप किसी विशेषज्ञ से मिलें जो आपको इससे निपटने में मदद करें.
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