Tips On Insomnia: नींद की कमी कब शारीरिक और मानसिक समस्या में बदल जाए पता भी नहीं चलता. अच्छी सेहत के लिए सिर्फ अच्छा खाना-पीना और एक्सरसाइज ही नहीं बल्कि अच्छी नींद भी उतनी ही जरुरी है. आजकल के बदलते लाइफस्टाइल और बढ़ते तनाव के बीच नींद कहीं खोती चली जा रही है. घंटों बिस्तर पर लेटे रहने के बावजूद सुकून भरी नींद की जगह हम करवटें बदलते रह जाते हैं.
क्या कम सोना या नींद नहीं आना बीमारी का संकेत है? कम सोना और नींद कम आने में क्या अंतर है? क्या हैं कम सोने के नुकसान? कितने घंटे सोना चाहिए? इस समस्या से कैसे बचें? अच्छी नींद सोने के लिए क्या करना चाहिए? अगर ये सारे सवाल आपके मन में भी हैं, तो फिट हिंदी के इस आर्टिकल में जानिए इन सवालों पर एक्सपर्ट्स के जवाब.
क्या कम सोना या नींद नहीं आना कोई बीमारी है?
इस बीमारी को अंग्रेजी में इंसोमनिया (Insomnia) कहा जाता है. यह एक प्रकार का नींद संबंधी विकार है, जिसमें व्यक्ति को सोने में असुविधा, नींद की कमी या नींद पूरी नहीं हो पाने की समस्या रहती है. ऐसा होने से स्वास्थ्य पर असर होता है और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं.
"स्लीप डिसऑर्डर कम सोने की परेशानी या इंसोमनिया एक ऐसी चीज है, जो आज कल आबादी में बदलते लाइफस्टाइल के कारण आम समस्या बन गई है. कई बार ऐसा देखा गया है, जिनको एंजाइटी और डिप्रेशन की परेशानी होती है उनको सोने में परेशानी होती है."डॉ. कपिल सिंघल, डायरेक्टर- न्यूरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
क्या हैं कम सोने के नुकसान?
वहीं मेदांता के डॉ. आशीष कुमार प्रकाश कहते हैं, "जब हम सोते है हमारा शरीर/ बॉडी रिस्टोर करता है. अगर कोई ठीक ढंग से नहीं सोता तो उसके कारण शरीर में तमाम मेटाबोलिज्म गड़बड़ होती है, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसके कारण व्यक्ति का बीपी बढ़ सकता सकता है, ब्रेन काम करना बंद कर सकता है, पल्मोनरी हेमरेज हो सकता है, बॉडी में हाइपोक्सिया (जिसमें शरीर या शरीर के अंग को ऊतक स्तर पर पर्याप्त ऑक्सीजन नही मिल पाता है) हो सकता है.
"डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का डिसबलेंस और हार्ट से जुड़ी बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार साबित होता है. ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं, जो नींद पूरी न होने से हो सकती है".डॉ. आशीष कुमार प्रकाश, कंसलटेंट- रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन, मेदांता, गुरुग्राम
डॉ. कपिल सिंघल के अनुसार, जो लोग सही से नहीं सो पा रहे हैं या कम सोते हैं उनको भी इस प्रकार की समस्या हो जाती है. अगर आपकी रात की नींद पूरी नहीं हुई है, तो आप सुबह फ्रेश नहीं उठते हैं. आप कई बार चिड़चिड़े होते हैं. आप अपने घर और वर्कप्लेस में सही से ध्यान नहीं दे पाते हैं. आपकी वर्क परफॉरमेंस कम हो जाती है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार कम सोने के कई नुकसान हो सकते हैं, जिन्हें शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में बांटा जाता है.
कम सोने से जीवन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर असर पड़ता है
दिन में नींद आना
सर में दर्द रहना
चक्कर आना
कम सोने का असर आपके काम के अलावा आपके परिवार पर भी पड़ सकता है
एंजाइटी और डिप्रेशन की परेशानी होती है
अगर किसी को बहुत दिनों तक अच्छी नींद नहीं आ रही है, तो उसका असर पूरे शरीर पर पड़ने लगता है. शरीर के मेटाबोलिज्म पर असर पड़ता है, जिससे डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल बिगड़ना, बीपी बढ़ना जैसी दिक्कते आ सकती हैं
"अगर हम कम सोएं तो सबसे कॉमन दिमाग की समस्या जो देखने को मिलती है, वो है डिप्रेशन और एंजाइटी. कम नींद आना खुद में बीमारी का एक लक्षण है लेकिन अगर हम कम सोए तो डिप्रेशन और एंजाइटी के शिकार होने की आशंका बाढ़ जाती है."डॉ. मंतोष कुमार, सीनियर कंसलटेंट एवं क्लीनिकल लीड, मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
अगर किसी को खर्राटे आते हैं और सोते-सोते वो चोक हो जाता है तो उसकी वजह होती है उनके ब्रेन को पूरा ऑक्सीजन नहीं मिलना, जिसके कारण याददाश्त पर भी असर पड़ता है. अगर कोई लंबे समय तक ठीक से नहीं सो पाता और उसके ब्रेन में ऑक्सीजन लेवल कम रहता है, तो उसे फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती है.
कम सोना और नींद कम आने में क्या अंतर है?
डॉ. आशीष कुमार प्रकाश फिट हिंदी को बताते हैं कि कम सोना और नींद नहीं आने में थोड़ा सा फर्क है. कई लोग कम सोते हैं फिर भी एक्टिव रहते हैं क्योंकि वह डीप स्लीप ले पाते है और कई लोगों को नींद नहीं आती. वह घंटों बिस्तर पर लेटे रहते हैं पर उन्हें गहरी नींद नहीं आती जिससे उनकी नींद की क्वालिटी पर असर पड़ता है.
नींद के कई स्टेजेस होते हैं, जैसे N1, N2, N3 और REM .
"एक व्यक्ति को अच्छी नींद के लिए ये चारों स्टेज प्राप्त करना बहुत जरूरी है. किसी को नींद नहीं आ पाती तो उसका कारण यह है कि वह यह चारों स्टेजेस नहीं प्राप्त कर पा रहा है. 6-7 घंटे की नींद की प्रक्रिया में शरीर इन सारे स्टेजेस में जाती है और व्यक्ति साउंड स्लीप ले पाता है. इसलिए इन दोनों में अंतर है."डॉ. आशीष कुमार प्रकाश, कंसलटेंट- रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन, मेदांता, गुरुग्राम
डॉ. मंतोष कुमार कहते हैं, "अच्छी नींद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरुरी है. जब इंसान सोता है, तो बहुत सारे कैमिकल्स बॉडी में निकलते हैं, जो कि बॉडी को रिपेयर करने में मदद करते हैं और साथ ही ब्रेन लग जाता है मेमोरी, इमोशन और दूसरी चीजों को समझने में. सोने पर ब्रेन रिलैक्स करता है ताकि आगे के लिए खुद को तैयार कर सके".
इस समस्या से कैसे बचें?
"हम जिस प्रकार से अपना मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रॉनिक घड़ी चार्ज करते हैं उसकी तरह नींद के दौरान हमारा ब्रेन भी चार्ज होता है. हमारे ब्रेन के अंदर जो हमारे कैमिकल्स हैं जो नूरोट्रांसमीटर्स हैं उनका जो भी बैलेंस है वो नींद के दौरान दोबारा से आ जाता है. नहीं सोयेंगे तो हम एक नार्मल इंसान नहीं रहेंगे."डॉ. कपिल सिंघल, डायरेक्टर- न्यूरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरुरी होता है. डॉक्टर आपको बता सकते हैं कि यह किस कारण हो रहा है. एक्सपर्ट आपकी बीमारी की स्टेज बताते हैं यानी इंसोम्निया है या हाइपर इंसोम्निया. ग्रसित व्यक्ति को स्लीप स्पेशलिस्ट और पुलमोनोलॉजिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए जो बीमारी के डायग्नोसिस के बाद ही ट्रीटमेंट दे सकते हैं.
अच्छी नींद लेने से आपका स्वास्थ्य अच्छा रहता है. बीपी, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर पर भी अच्छा असर पड़ता है साथ में मेमोरी लॉस होने की आशंका भी कम होती है.
कितने घंटे सोना चाहिए?
कुछ लोग 5-6 घंटे सो कर काम चला लेते हैं तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनकी गाड़ी 9-10 घंटे सोए बिना नहीं चलती है. बड़ी आबादी पर किए गये स्टडीज में देखा गया है कि 7-8 घंटे की नींद अगर आप ले रहे हैं, तो वो एक स्वस्थ तन और मन के लिए काफी होता है.
"हर व्यक्ति को कम से कम 6 से 8 घंटे की रात की नींद लेनी जरुरी है. रात की नींद इसलिए क्योंकि इसका कनेक्शन ब्रेन के बायोलॉजी सिस्टम से होता है. जब सूरज ढलता है तब ब्रेन में कुछ केमिकल निकलते हैं और उससे नींद कि शुरुआत होती है. रात में नींद पूरी करने से ब्रेन रिलैक्स करता है."डॉ. मंतोष कुमार, सीनियर कंसलटेंट एवं क्लीनिकल लीड, मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
अच्छी नींद सोने के लिए क्या करें?
"बहुत सारे लोगों को लगता है कि वो शराब पीने के बाद ही सोते हैं जबकि ऐसा नहीं है. शराब से हमारी नींद की क्वालिटी खराब हो जाती है. लोगों को लगता है कि वो सो रहे हैं पर उन्हें पता ही नहीं होता है कि जिस प्रकार की नींद मिलनी चाहिए वो उन्हें नहीं मिली है."डॉ. कपिल सिंघल, डायरेक्टर- न्यूरोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा
डॉ. मंतोष कुमार कहते हैं, "लाइफस्टाइल में क्या बदलाव लाएं, जिससे सोने की समस्या नहीं हो. आजकल लोग बहुत सारी ऐसी चीजें कर रहे हैं, जो हमारी नींद में खलल डालती है".
डॉ. कपिल सिंघल कहते हैं, "सोने से पहले किताबें पढ़ें जो ब्रेन को स्टिमुलेट करता है. ये हमारे लिए लाभदायक है और सबसे अच्छी चीज ये है कि आप सोने से पहले कोई चीज पढ़ाई से संबंधित पढ़ रहे हैं तो उसको रिटेन करने की संभावना बेहतर हो जाती है. कुछ बदलाव के साथ कुछ चीजों को समझ कर हम अपनी नींद और उसकी क्वालिटी को जरुर बेहतर कर सकते हैं".
"हमें स्लीप हाइजीन फॉलो करनी चाहिए. स्लीप हाइजीन फॉलो करने के लिए कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए."डॉ. मंतोष कुमार, सीनियर कंसलटेंट एवं क्लीनिकल लीड, मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियरल साइंसेज, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव
अच्छी नींद के लिए फॉलो करें ये टिप्स
हर रोज समय पर सोना और समय पर उठना चाहिए. खास कर हर रोज एक ही समय पर उठना बहुत जरूरी है.
दिनभर में अपने कैफीन इंटके का ध्यान रखें. चाय और कॉफी का सेवन कम से कम करने की कोशिश करें. खास कर शाम में 4-5 बजे के बाद कैफीन का सेवन न करें.
सोने से पहले किस समय पर खाना खाना चाहिए ये जानना भी बहुत जरुरी है. रात के खाने और सोने के बीच डेढ़ से दो घंटे का समय है, तो वो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है.
फल, सब्जी और मछली खाने से नींद में पॉजिटिव असर पड़ता है. बहुत ज्यादा फैटी और मीठी चीजें खाने से भी अच्छी नींद में परेशानी होती है.
पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पियें.
शाम के वक्त फिजिकल एक्टिविटी कम करें. जिम, एक्सरसाइज जैसी एक्टिविटी सुबह कर लें.
शाम में 8 बजे के बाद अपना स्क्रीन से दूरी बना लें. फ़ोन, लैपटॉप, टीवी को बंद कर दें. स्क्रीन ब्रेन को सोने की तैयारी में रुकावट डालता है.
सोने से थोड़ी देर पहले हल्के गुनगुने पानी से नहा लें.
सोने से पहले गुनगुना दूध या कैमोमाइल चाय भी पी सकते हैं.
किताब या मैगजीन पढ़ें जिससे नींद आने में मदद मिले
नींद नहीं आने पर बिस्तर पर करवटें बदलने से बेहतर है बेडरूम से निकल कर थोड़ी देर किसी दूसरे रूम में बैठ कर किताब पढ़ें. आधे घंटे बाद वापस बेडरूम में सोने की कोशिश करें.
अगर आपका स्लीप साइकिल बना हुआ है, जिसमें रेगुलर एक्सरसाइज-योग शामिल है तो वो भी हमारे नींद पर पॉजिटिव असर डालता है.
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