अगर आपको सोते समय खर्राटे आते हैं, नींद बार-बार टूटती है, तो जान लें ये खतरे की घंटी है. खर्राटे लेना हमारे समाज में सामान्य रूप से नजरअंदाज की जाने वाली समस्या है. इससे ना सिर्फ खर्राटे लेने वाले की नींद और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है बल्कि आसपास के लोगों को भी खासी दिक्कत होती है. कई मामलों में तो खर्राटों की वजह से लोगों की शादियां तक टूट गई हैं. तो आखिर खर्राटे क्यों आते हैं? खर्राटे लेना कब खतरनाक हो जाता है? खर्राटे का इलाज क्या है? खर्राटे की प्रॉब्लम से कैसे बचा जा सकता है? आइए जानते हैं.
हम खर्राटे क्यों लेते हैं?
नींद के दौरान जब हम सांस लेते और छोड़ते हैं तब हमारी गर्दन और सिर के सॉफ्ट टिशू में कंपन की वजह से हम खर्राटे लेते हैं.
फरीदाबाद, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में पल्मोनोलॉजी के डायरेक्टर, डॉ. रवि शेखर झा ने फिट हिंदी से कहा, "खर्राटे आने का सबसे बड़ा कारण होता है सांस लेने के रास्ते में आने वाली रुकावट, जो ज्यादातर नाक और गले में देखने को मिलती है. जब आप जोर से सांस लेते हैं खासतौर पर सोते हुए, उस समय आपकी मसल की टोन कम होती है, तो सांस लेते हुए आपकी नाक के रास्ते में कोई रुकावट है, चाहे आपको साइनस है, चाहे आपके गले के आसपास काफी ज्यादा फैट है, तो आपके गले के अंदर का या सांस की नालियों का ओवरऑल डायमीटर कम हो जाता. हवा को उस कम जगह से गुजरने के लिए काफी तेज वाइब्रेशन करनी पड़ती है, जिसकी वजह से ये वाइब्रेशन का साउंड खर्राटे के रूप में निकल के आता है".
"खर्राटे आने का मतलब है आपकी सांस में कहीं ना कहीं कोई ना कोई रुकावट है, जो जब ज्यादा बढ़ती है, तो स्लीप एपनिया जैसी खतरनाक बीमारी का रूप ले सकती है."डॉ. रवि शेखर झा, डायरेक्टर- पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद
खर्राटे लेना अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, लेकिन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी बीमारी का संकेत हो सकता है. याद रखें, खर्राटे और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बीच अंतर होता है.
खर्राटे आने के लक्षण क्या हैं?
खर्राटे आने पर ये सभी लक्षण दिख सकते हैं:
सोते समय तेज आवाज के साथ सांस लेना और छोड़ना
दिन भर सुस्ती और आलस से भरे रहना
सुबह सिर में दर्द रहना
ज्यादा नींद आना
याददाश्त कमजोर होना
मानसिक तनाव रहना
खर्राटे आने के कारण क्या हैं?
खर्राटे आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे:
मोटापा
ज्यादा शराब पीना
बढ़ती उम्र
सर्दी-जुकाम
पुरुषों और वृद्ध लोगों में खर्राटे और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया अधिक आम है. खासकर अगर उनका वजन ज्यादा है (बीएमआई>30 किग्रा/ मी 2) और अगर उनकी जीभ बड़ी और गर्दन छोटी है, साथ ही अगर उनके कॉलर का आकार (गर्दन का घेरा) 17 इंच से अधिक हो. बच्चों में खर्राटे भी आ सकते हैं, जब उनके टॉन्सिल या एडेनोइड बढ़े हों.
खर्राटे लेना कब खतरनाक हो जाता है?
डॉ. रवि शेखर झा बताते हैं कि खर्राटे वाली नींद अच्छी नहीं होती. खर्राटे की समस्या बढ़ कर स्लीप एपनिया में बदल सकती है. स्लीप एपनिया जानलेवा भी हो सकता है.
खर्राटे के साथ सांस का रुकना
नींद में पैर तेजी से हिलना
नींद में सिर को हिलाना
खर्राटे के साथ दिन में नींद आना
खर्राटा लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है, जिस वजह से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा भी व्यक्ति खर्राटे के कारण कई और गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है.
खर्राटे की समस्या का इलाज क्या है?
खर्राटे की समस्या का इलाज निर्भर करता है लक्षणों पर. डॉक्टर लक्षणों के आधार पर इस समस्या का उपचार करते हैं. जैसे:
साइनस होने पर नाक के लिए स्प्रे या दवा लेनी चाहिए.
मोटापा का शिकार होने पर वजन घटाने और लाइफस्टाइल में बदलाव लाने चाहिए.
थायरॉइड की समस्या होने पर डॉक्टर की दवाओं को समय पर बिना नागा किए खाना चाहिए.
खर्राटे के साथ अगर स्लीप एपनिया की शिकायत है, तो ऐसे में सबसे असरदार है, CPAP मशीन.
कुछ लोगों को सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है.
खर्राटे की समस्या से कैसे दूर रहें?
इस समस्या से दूर रहने के लिए सचेत रहने और डॉक्टर से संपर्क कर, बताए गये सभी उपाय करने चाहिए.
खर्राटे के कारण का पता लगाना जरुरी है
वजन कंट्रोल में रखें
थायरॉइड कंट्रोल में रखें
बच्चों में एडेनोइड की सर्जरी करने की जरूरत पड़ सकती है
रात में शराब से दूरी बनाएं
खर्राटे आ रहे हैं, तो स्लीप स्पेशलिस्ट के पास जरूर जाना चाहिए, जो आपका स्लीप स्टडी टेस्ट कर पता करेंगे कि यह केवल खर्राटे की समस्या है या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)