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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल स्थित नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी (NLIU) में तब विवाद खड़ा हो गया जब छात्रों ने यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव (Young Thinker's Conclave) की मेजबानी करने के विश्वविद्यालय के फैसले का विरोध किया. वेबसाइट के मुताबिक, इसका उद्देश्य "भारत के उज्ज्वल, युवा और बौद्धिक विचारकों को एक मंच प्रदान करना और उनका पोषण करना है".
हालांकि, शनिवार, 30 सितंबर और रविवार, 1 अक्टूबर को होने वाले कार्यक्रम का विरोध शुरू हो गया. दरअसल, रामचंद्र गुहा, इतिहासकार इरफान हबीब, रोमिला थापर और कांग्रेस नेता शशि थरूर जैसे विद्वानों के विरोध में पोस्ट लगाए गए थे.
हालांकि, सोशल मीडिया पर नाराजगी के बाद कॉलेज प्रशासन ने ये पोस्टर हटा दिए थे.
इस दो दिवसीय सम्मेलन में आमंत्रित वक्ताओं में रश्मी सावंत, स्वाति गोयल शर्मा और नीरज अत्री समेत अन्य शामिल हैं. द क्विंट से बात करने वाले कई छात्रों ने दावा किया कि इन लोगों ने अतीत में भेदभावपूर्ण और ध्रुवीकरण वाले सामाजिक और राजनीतिक विचारों को प्रसारित किया है.
NLIU के एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया, "हमने कुलपति (VC) से बात करने की कोशिश की लेकिन प्रशासन को पहले से ही इंटरनेट पर प्रसारित होने वाले हमारे पोस्ट के बारे में पता था. हमारा करियर खतरे में पड़ सकता है. स्टूडेंट बार एसोसिएशन (एसबीए) प्रशासन को हमारे नामों की एक सूची भी दे सकता है.”
उन्होंने आगे कहा, “अगर आप इवेंट के लाइव लिंक की जांच करेंगे, तो आप देखेंगे कि यह पूरी तरह से नफरत भरा और प्रोपेगेंडा है. हमें सवाल पूछने की भी अनुमति नहीं है क्योंकि वे ऐसे छात्रों का चयन कर रहे हैं जो रजिस्ट्रेशन कराने के बाद कन्वेंशन सेंटर में प्रवेश कर सकते हैं. कुछ छात्र जो सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम के खिलाफ मुखर थे, उन्हें हॉल से बाहर भी निकाल दिया गया.”
कई छात्रों ने क्विंट से पुष्टि की कि न तो छात्रों और न ही अधिकांश संकाय सदस्यों को विषयों की प्रकृति और आमंत्रित किए जाने वाले पैनलिस्टों की पसंद के बारे में पता था.
"असली महिला कौन है?" कार्यक्रम के दौरान दिखाए जा रहे प्रेजेंटेशन का एक स्लाइड.
"सर्वनाम की लड़ाई!" एक स्लाइड इस पर भी था.
कॉन्क्लेव का विरोध करने वाले छात्रों में से एक ने द क्विंट को बताया, "जिस कंटेंट पर चर्चा की जा रही है वह ट्रांसफोबिक और इस्लामोफोबिक है, लेकिन वीसी 'फ्री स्पीच' की आड़ में इसका बचाव कर रहे हैं, और छात्रों को आश्वासन दिया कि कोई नफरत भरा भाषण नहीं होगा."
क्विंट को 30 सितंबर को एसबीए के सदस्यों द्वारा वीसी को भेजे गए ईमेल की एक कॉपी मिली, जिसमें उन्होंने कहा था कि कॉन्क्लेव "धार्मिक प्रोपेगेंडा के प्रचार के मंच जैसा प्रतीत हो रहा है."
ईमेल में कहा गया है कि कॉन्क्लेव में बेची जा रही किताबों के जरिए "धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है जो कि बेहद चिंताजनक और अस्वीकार्य है."
एक दिन पहले छात्रों द्वारा भेजे गए ईमेल के समर्थन में यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रों ने भी 1 अक्टूबर को वीसी को ईमेल किया है.
शनिवार 30 सितंबर को कॉन्क्लेव के पहले दिन केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव भी शामिल हुए.
द क्विंट के पास मौजूद कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग में देखा जा सकता की सभागार में 'जय श्री राम' के नारे लगाए जा रहे थे.
सबरीमाला मामले के बारे में बात करते हुए एक पैनलिस्ट ने इसे 'कट्टरपंथी नारीवाद' का उदाहरण करार दिया.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में केरल के सबरीमाला मंदिर में 'मासिक धर्म के वर्षों' में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को असंवैधानिक करार दिया था.
वकील और पूर्व छात्र प्रांजल अग्रवाल ने क्विंट को बताया, "जब मैं कॉलेज में था, तब मैं स्टूडेंट बार एसोसिएशन की ड्राफ्टिंग कमेटी का हिस्सा था. हमने तब भी ऐसी राजनीति देखी थी. 'यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव' पूरी तरह से बीजेपी का कार्यक्रम है. यह नफरत की राजनीति को एक प्रमुख संस्थान में संस्थागत रूप देना है.''
कई छात्रों के अनुसार, प्रोफेसर राका आर्या, डीन, छात्र कल्याण कथित तौर पर उन छात्रों को निशाना बना रहे हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर घटना के खिलाफ लिख रहे हैं.
विश्वविद्यालय के एक पूर्व छात्र ने कहा कि एक फैकल्टी मेंबर ने उन्हें इस घटना के बारे में पत्र लिखकर दावा किया कि छात्र 'डर हुए हैं'.
द क्विंट से बात करते हुए NLIU भोपाल के वीसी सूर्य प्रकाश ने कहा कि उन्हें "कार्यक्रम में चल रही चर्चाओं के बारे में जानकारी नहीं है और इसे गंभीरता से न लें."
वीसी की ओर से छात्रों को भेजे गए ईमेल में कहा गया था कि, "केवल, कार्यक्रम हमारे परिसर में आयोजित किया गया था, यह मत समझें कि हम उनके विचारों का समर्थन करते हैं."
द क्विंट से बात करते हुए, यंग थिंकर्स फोरम के डायरेक्टर आशुतोष ठाकुर ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य "18-35 आयु वर्ग के युवा दर्शकों के साथ संवाद स्थापित करना है."
कैंपस के छात्रों की ओर से उठाई गई आपत्तियों के बारे में जानकारी की बात स्वीकारते हुए, उन्होंने कहा कि उनकी टीम लगातार "उनके साथ बैठकर बात करने के लिए कह रही है, लेकिन आयोजक के रूप में, वे कार्यक्रम के दौरान उपद्रवियों को गड़बड़ी पैदा करने की अनुमति नहीं दे सकते."
इस बीच, कई पूर्व छात्रों ने भी कॉन्क्लेव और आमंत्रित पैनलिस्टों के प्रति अपनी अस्वीकृति व्यक्त करने के लिए प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) का सहारा लिया.
एक अन्य छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट से कहा, "इस तरह के आयोजनों के जरिए कैंपस, कॉलेज के बुनियादी ढांचे और छात्रों के राजनीतिकरण से हमें आपत्ति है."
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