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तेलंगाना में इंटरमीडिएट परीक्षा के नतीजे आने के बाद असफल छात्रों की आत्महत्या का सिलसिला जारी है. जानकारी के मुताबिक, पिछले हफ्ते जारी हुए इस रिजल्ट के बाद अब तक खुदकुशी करने वाले छात्रों की संख्या बढ़कर 18 हो चुकी है. तेलंगाना इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड के 11वीं और 12वीं के रिजल्ट को लेकर छात्रों और अभिभावकों ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है. इसके खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन भी जारी है.
इस साल 9.74 लाख स्टूडेंट परीक्षा में बैठे थे. इनमें से 3.28 लाख स्टूडेंट फेल हो गए और उनकी आंसरशीट अब दोबारा चेक होंगी.
खुदकुशी करने वाले छात्रों में टीडीपी के राज्यसभा सदस्य सीएम रमेश के भतीजे धरम राम भी शामिल हैं.
परीक्षा में असफल होने से निराश चकाली राजू ने मेडक जिले के चिन्ना शकरमपेट गांव में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं, वारंगल ग्रामीण जिले के छात्र मलोथू नवीन ट्रेन से छलांग लगाकर अपनी जान दे दी.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने छात्रों की मौत पर गहरा शोक जताया है.उन्होंने छात्रों से परीक्षा में असफल होने के कारण अपनी जिंदगी देने जैसा कदम नहीं उठाने का आग्रह किया.
ट्विटर पर चंद्रबाबू नायडू ने लिखा, “मेरा छात्रों से एक अनुरोध है. जीवन केवल परीक्षा पास करने के बारे में नहीं है. परीक्षा सिर्फ आपकी प्रतिभा की पहचान है. लेकिन आपका जीवन परीक्षा से ज्यादा अहम है. आपका जीवन अमूल्य है.”
वहीं विपक्षी दल के नेताओं ने छात्रों की खुदकुशी का जिम्मेदार इंटरमीडिएट बोर्ड को ठहराया है. विपक्षी दलों का दावा है कि 18 छात्रों ने खुदकुशी की है. अब इन नतीजों के विरोध में छात्र, अभिभावक और राजनेता सड़क पर उतर आए हैं.
बोर्ड के अधिकारियों ने हालांकि रिजल्ट घोषित करने में अपनी गलती मान ली है, लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि छात्रों की खुदकुशी इससे संबंधित है.उन्होंने कहा कि छात्रों की मांग का समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है. शिक्षामंत्री जगदीश रेड्डी का आरोप है कि विपक्षी दल मसले को राजनीतिक रूप देने की कोशिश कर रहे हैं.
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