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अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) पर आज पूरे देश में बवाल मचा हुआ है. कई जगह उग्र विरोध प्रदर्शन (Violent Protest) हुए, जिसमें ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया गया. लेकिन इस शोर-शराबे की बीच में कुछ अहम सवाल और इस योजना से जुड़ी जरूरी जानकारियां गुम हो गईं, जिनके बारे में हमें और आपको जानना बेहद जरूरी है.
अग्निपथ योजना, सशस्त्र बलों में नियमित होने वाली भर्तिय में बड़ा बदलाव आएगी. इसके तहत एक निश्चित संख्या में अग्निवीरों की भर्ती 4 साल के लिए की जाएगी. बाद में इनमें से सिर्फ 25 फीसदी तक को ही नियमित कैडर दिया जा सकेगा. सरकार का कहना है कि बचे हुए लोगों को दूसरी प्रादेशिक व मंत्रालय की भर्तियों में वरीयता दी जाएगी.
अगर पिछले सात साल का आंकड़ा उठाएं, तो इसमें कोरोना के 2 साल में भर्तियां नहीं हुईं. इस साल मार्च में रक्षा मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अधिकारियों को छोड़कर सिर्फ थल सेना में पिछले सात साल में सबसे ज्यादा भर्ती 2019-20 में हुई थी, तब 80,572 पदों पर भर्ती की गई थी. औसत तौर पर केवल थल सेना ही 50,000 सैनिकों की भर्ती करती आई है.
अभी तक ऐसे कोई आंकड़े तो नहीं हैं जिनसे पता चल सके कि अग्निवीर सिस्टम के बाद सैनिकों की संख्या में कितनी कमी आएगी. लेकिन इस साल जो 46,000 पद अब तक सृजित किए गए हैं, उनमें से सिर्फ एक चौथाई को ही परमानेंट कैडर दिया जाएगा. यह संख्या अब तक सालाना होने वाली भर्ती से काफी कम है.
अब सवाल उठता है कि सेना में अग्निवीरों का अनुपात कितना होगा व साल दर साल यह किस हिसाब से बढ़ेगा. फिलहाल जितने पद जारी किए गए हैं, उन पर भर्तियां होने के बाद सेना में अग्निवीरों का अनुपात 97:3 होगा. भविष्य में यह संख्या बढ़ने पर इनकी हिस्सेदारी भी बढ़ती जाएगी, क्योंकि पुराने लोग भी तेजी से रिटायर होते जाएंगे.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक लंबे समय में इस योजना के जरिए अनुभवी व युवा सैनिकों का अनुपात 50:50 करने की योजना है.
सरकार द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक, अग्निपथ के चलते रेजीमेंट व्यवस्था पर कोई असर नहीं होगा. बल्कि अग्निवीरों में से ज्यादा बेहतर सैनिक ही आगे बढ़ पाएंगे, जिससे रेजीमेंट व्यवस्था ज्यादा सुदृढ़ होगी.
लेकिन अगर भविष्य में सैनिकों की संख्या में कमी आती है, तो निश्चित तौर पर इस व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
भारतीय सेना में अग्निपथ योजना को लागू किए जाने के बाद देशभर में सेना में जाने की तैयारी कर रहे युवा सड़क पर आ गए हैं. प्रदर्शनकारी युवाओं की तरफ से जगह-जगह ट्रनों को फूंका जा रहा है. सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. यही नहीं बिहार में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी नेताओं के घरों और कार्यालयों को भी निशाना बनाया.
अग्निपथ योजना को लेकर बिहार से उठी विरोध की चिंगारी 11 राज्यों में फैल चुकी है. बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और राजस्थान के बाद अब तेलंगाना में भी प्रदर्शन हुए हैं. बलिया, समस्तीपुर जैसे कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन को आग लगा दी.
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