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भारत के सबसे बड़े धार्मिक और राजनीतिक विवाद का अंत हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार 9 नवंबर को अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर अंतिम फैसला सुना दिया. इस फैसले की अहमियत और संवेदनशीलता को देखते हुए दुनिया भर के मीडिया की निगाहें भी इस पर टिकी थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित 2.77 एकड़ की जमीन हिंदू पक्षकारों के हवाले करते हुए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया, जो मंदिर निर्माण और उसकी पूरा हक रखेगा. इसके साथ ही कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ की जमीन देने का भी आदेश दिया.
इस फैसले के बाद अलग-अलग देशों के मीडिया ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की.
अमेरिका के सबसे बड़े अखबारों में से एक द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा-
अखबार ने आगे लिखा- ‘इस फैसले से विवादित स्थान पर हिंदू मंदिर बनाने को हरी झंडी मिल गई है. इसी जगह पर बनी बाबरी मस्जिद को हिंदुओं ने 1992 अपने हाथों से हथौड़े मारकर गिराया था और इसमें पीएम मोदी की पार्टी बीजेपी के भी कई नेता शामिल थे.’
वहीं अमेरिका के ही एक और प्रतिष्ठित अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी रिपोर्ट में लिखा कि इस फैसले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ी जीत दिलाई, जो अपने दूसरे कार्यकाल में तेजी से अपना एजेंडा लागू कर रहे थे.
ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन ने अपनी रिपोर्ट में ये जिक्र किया है कि कैसे 2014 में सत्ता में आने के बाद से राम मंदिर के निर्माण पर बीजेपी ने जोर दिया.
पाकिस्तानी अखबार Dawn ने लिखा- “इस फैसले से भारत के हिंदू और मुस्लिमों के पहले से ही मुश्किल रिश्ते और प्रभावित हो सकते हैं.”
अमेरिका के ही नामी न्यूज चैनल CNN ने फैसले को लेकर अपनी रिपोर्ट में लिखा-
हालांकि भारत में इस मामले से जुड़े सभी पक्षकारों समेत सभी राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संतोषजनक और स्वागत योग्य बताया. मामले के मुख्य मुस्लिम पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और इकबाल अंसारी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि वो इसके खिलाफ रिव्यू पिटीशन नहीं डालेंगे.
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