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दशहरा 2021 को जब बिलिपुरम नागराजू Billipuram Nagaraju हैदराबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर मारपल्ली के अपने गांव पहुंचा, तब उसने अपने परिवार को इस बारे में बताया कि उसकी एक मुस्लिम महिला से शादी करने की योजना है जिसका नाम सैयद अश्रीन सुल्ताना है. लेकिन उसके परिवार के लिए इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि वह इस्लाम अपनाने के लिए भी राजी है ताकि सुल्ताना के परिवार को शादी के लिए राजी किया जा सके.
31 जनवरी 2022 को नागराजू ने सुल्ताना से आर्यसमाज मंदिर में शादी की. आर्यसमाज मंदिर हिंदुओं का धार्मिक स्थान है, जहां अंतर-धार्मिक विवाह भी होता है. हालांकि नागराजू कभी मुसलमान नहीं बन सका, क्योंकि सुल्ताना का परिवार कथित तौर पर एक दलित शख्स से सुल्ताना की शादी कराने के लिए राजी नहीं था.
4 मई 2022 को हैदराबाद के सरूरनगर में खुले आम सबके सामने कथित तौर पर सुल्ताना के भाई सैयद मोबिन अहमद (30) और उसके रिश्तेदार मोहम्मद मसूद अहमद (29) द्वारा 26 वर्षीय नागराजू पर चाकू से हमला किया गया.
5 मई 2022 को मारपल्ली में नागराजू का अंतिम संस्कार किया गया. तब जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस हत्या को एक हिंदू शख्स पर हमला कहा वहीं दूसरी ओर नागराजू के दोस्तों और रिश्तेदारों ने उन्हें माला (दलित) के रूप में संदर्भित किया. वहीं नागराजू की बात करें तो हिंदू शब्द उनके शब्दकोष में नहीं था.
मृतक नागराजू की आंटी बी संजीवा ने क्विंट को बताया कि 'उसकी समस्या उसकी जाति थी. क्या दलितों को इंसाफ नहीं मिलना चाहिए? जब अन्य प्रभावशाली या ऊंची जाति के लोग दूसरे धर्मों में शादी करते हैं तो किसी को कोई समस्या नहीं होती है.' ये कहने के बाद उन्होंने तुरंत कहा कि 'लड़की का परिवार नहीं चाहता था कि वह एक हिंदू से शादी करे.'
इस मामले की जांच करने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि 'आरोपी इस बात से खुश नहीं थे कि वह (मृतक नागराजू) हिंदू था. वे इस बात से भी नाराज थे कि मृतक दलित था.' पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी (धारा 302, हत्या) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम-1989, दोनों लगाया है.
जातीय संरचना के अनुसार माला, अनुसूचित जातियों के अंतर्गत आने वाली एक उप-जाति है.
नागराजू का परिवार दो कमरों वाले घर में रहता है, वहां सुल्ताना बात करने के लिए काफी थकी हुई दिख रही थी, लेकिन कुछ मिनट बाद उसने ताकत जुटाते हुए कहा कि 'मेरे भाई मोबिन ने कहा था कि भले ही वह (नागराजू) इस्लाम अपना ले, लेकिन शादी की इजाजत नहीं दी जाएगी. मैंने उन्हें इस बारे में चर्चा करते हुए सुना था कि वह दूसरी जाति से है. मैंने उन्हें माला कहते सुना.'
सुल्ताना आगे कहती है कि छह महीने पहले जब परिवार को हमारे रिश्ते के बारे में पता चला था. तब उसके बाद मेरे घर पर नागराजू की जाति के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी. हालांकि, महिला के परिवार ने सुल्ताना से कहा था कि अगर वह जीना चाहती है, तो उसे 'मुसलमान बने रहना होगा.'
नागराजू के बचपन के दोस्त टी विनय ने कहा कि 'मुस्लिम बनने को लेकर वह (नागराजू) बात कर रहा था, लेकिन यहां मुख्य मुद्दा जाति का था.' आर्यसमाज, हैदराबाद द्वारा जारी एक प्रमाण पत्र के अनुसार सुल्ताना ने शादी के दौरान हिंदू धर्म अपनाया था. तब उसे पल्लवी नाम दिया गया था.
मारपल्ली के सरकारी जूनियर कॉलेज में नागराजू की मुलाकात सुल्ताना से हुई थी. एक दशक पहले दोनों कॉलेज स्टूडेंट थे. सुल्ताना उस समय मारपल्ली के पास के गणपुर नामक गांव में रहती थी.
दोस्तों के मुताबिक नागराजू और सुल्ताना, दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया था. संजीवा ने कहा कि 'पिछले साल अक्टूबर 2021 में दशहरा में जब तक उसने (नागराजू ने) अपने रिश्ते के बारे में नहीं बताया तब तक हमें उसके रिलेशनशिप के बारे में कुछ भी नहीं पता था.' उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि 'हत्या "जाति की भावना" के कारण हुई थी. आरोपी का परिवार एक हिंदू को अपने परिवार में नहीं चाहता था.'
यहां भी बात आगे बढ़ नहीं पायी क्योंकि सुल्ताना के परिवार ने नागराजू के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार कर दिया था. इसके बाद जनवरी 2022 में इस जोड़े ने शादी कर ली और विकाराबाद में दो पुलिस शिकायतें दर्ज कराईं.
क्विंट ने जब विकाराबाद पुलिस से संपर्क किया तब उन्हें जनवरी 2022 में नागराजू और सुल्ताना द्वारा दायर की गई एक संयुक्त शिकायत की याद आई.
शिकायत में दोनों ने कहा था कि उनकी जान का खतरा है. एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बात करते हुए कहा कि शिकायत में नागराजू ने खुद को माला बताया था.
पुलिस अधिकारी ने कहा कि 'शिकायत में कहा गया है कि क्योंकि वह माला है इसलिए उसकी जान को खतरा है. उसने (नागराजू) यह भी कहा कि पत्नी (सुल्ताना) के रिश्तेदार नहीं चाहते थे कि वह एक माला हिंदू से शादी करे. उसकी पत्नी (सुल्ताना) ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की थी.' तब पुलिस ने प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एक्ट यानी अत्याचार निवारण अधिनियम लागू नहीं लगाया था. क्विंट ने स्वतंत्र रूप से शिकायत की प्रति प्राप्त नहीं की है.
शादी करने के बाद नागराजू और सुल्ताना गांव नहीं लौटकर नहीं आए. वे हैदराबाद के सरूरनगर के पास किराए के मकान में बस गए. मारुति ने कहा कि 'परिवार ने उनके बारे में कुछ भी नकारात्मक नहीं सुना. ये जो हुआ उनको लगे झटके की वजह से हुआ.'
नागराजू का परिवार चावल की खेती करता है. उसकी आंटी संजीवा कहती है कि 'एकमात्र वही (नागराजू) था जो अपने माता-पिता की आर्थिक रूप से सहायता कर रहा था. उनके पास कृषि योग्य भूमि का एक छोटा सा टुकड़ा है.' वे आगे कहती हैं कि 'सुल्ताना ने अपने परिवार में वापस जाने से इनकार कर दिया है, वह हमारे साथ ही रहना चाहती है.'
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