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कोरोना वायरस के खतरे के बीच रेस्टोरेंट कैसे चलेंगे ? कोविड-19 महामारी के बाद हाइजीन और सोशल डिस्टेंसिंग के स्तर पर रेस्टोरेंट्स किस तरह खुद को नया रूप देंगे?
क्विंट ने ऐसे ही कई रेस्टोरेंट से बात की, जो गैर-जरूरी मानव संपर्क को खत्म कर कॉन्टैक्टलेस डाइनिंग के नए मॉडल काे अपना रहे हैं. साथ ही रेस्टारेंट में आने वाले मेहमानों और रेस्टोरेंट कर्मचारियों की सुरक्षा कैसी हो, उन चिंताओं का समाधान भी कर रहे हैं.
खास तरह के रेस्टोरेंट्स, जैसे मेनलैंड चाइना ने भारत सरकार की गाइडलाइंस का पालन करते हुए डाइनिंग स्पेस का ख्याल रखा है. उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग, कस्टमर्स और स्टाफ के बॉडी टैम्प्रेचर की हर दिन जांच, टेबल के बीच में खाली जगह छोड़ने जैसे कई निर्देशों को सुनिश्चित किया है.
मेनलैंड चाइना ग्रुप के जनरल मैनेजर देबाशीष घोष ने बताया, “टेबल पर अब पहले की तरह कटलरी या प्लेट्स नहीं रखी जाती. सभी चीजों को मेहमानों के सामने ही सैनेटाइज्ड किया जाता है. फिर चाहे वो कुर्सी या टेबल ही क्यों न हों. मैनलैंड चाइना हमेशा से टचलेस मेन्यू सिस्टम पर वर्क करता है, जैसे रेस्टाेरेंट में आने वाले मेहमानों को अलग से इलेक्ट्रॉनिक टैबलेट दिया जाता है ताकि वह खुद से ही अपना मेन्यू चुन सकें. हम इस सुविधा को जारी रखे हुए हैं.”
उन्होंने बताया, “हम सेल्फ सर्विस मैथड पर जा रहे हैं. यहां खाना टेबल पर रखा होगा और मेहमान खुद ही सर्व करेंगे. बुफे सिस्टम को फिलहाल के लिए बंद कर दिया है. अब सिर्फ बैठने वाला बुफे सिस्टम होगा, यहां फिक्स मेन्यू ही ग्राहकों को उनकी टेबल तक परोसा जाता है.”
दिल्ली के ग्रेटर कैलाश मार्केट स्थित कैफे “म्यूजिक एंड माउंटेन्स” भी कॉन्टैक्टलेस डाइनिंग के साथ डिजिटल मेन्यू और सेल्फ सर्विस को अपना चुका है.
रेखी आगे बताते हैं कि हमने कैफे के बार सेक्शन को अपने स्टाफ के लिविंग क्वार्टर में बदल दिया है. “वैसे हम काफी कम स्टाफ के साथ काम कर रहे हैं. लेकिन जब तक बार खोलने की इजाजत नहीं दी गई है, तब तक अपने स्टाफ के लिए कैफे की बिल्डिंग में रहने की व्यवस्था की है. ताकि संक्रमण का खतरा कम हो.”
फिर भी स्थानीय रेस्टोरेंट्स को इस महामारी ने भारी झटका दिया है. राजस्थान के सीकर में फास्ट फूड रेस्टोरेंट के मालिक विनायक मिनोचा बताते है, “हालांकि हम हर दिन स्टाफ का बॉडी टेम्प्रेचर जांचते हैं और सैनेटाइजेशन को सुनिश्चित करते हैं. बावजूद इसके उनके ग्राहकों की संख्या तेजी से घटी है. जब मेहमानों को टेम्प्रेचर को चैक कराने को कहा जाता है तो वे इसे पसंद नहीं करते. वह बड़े रेस्टाेरेंट में ऐसा करने की इजाजत देते हैं, लेकिन स्थानीय रेस्टोरेंट्स में रियायत चाहते हैं.”
वह कहते हैं, “हमने अभी तक रेस्टोरेंट को पूरी तरह से बैठने के लिए नहीं खोला है. इसलिए हमने इसके एक खास हिस्से को ग्राहकों के लिए डिजाइन किया है, जहां वह आते हैं और अपना खाना पैक कराकर ले जाते हैं.”
टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन देने वालों ने क्विंट को बताया कि इस डर का मुकाबला करने के लिए रेस्टोरेंट्स को भरोसा बनाने और आदतें बदलने की जरूरत है ताकि खाना खाने वाले ग्राहक चिंता से मुक्त हो जाएं.
इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि मेन्यू सबसे बड़ा उदाहरण है, जो लगातार एक हाथ से दूसरे हाथ में घूमता रहता है. इसकी सतह पर कोरोना वायरस 5 से 6 घंटे तक जिंदा रहता है. टेबल जैसी चीजों को सैनेटाइज्ड करना आसान है, लेकिन पेपर मेन्यू को सैनेटाइज्ड करना मुमकिन नहीं होता.
रेस्टोरेंट्स और टेक्नोलॉजी प्राेवाइडर्स मेन्यू को अब ऐप पर ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. कुछ इसी तरह की सर्विस का इस्तेमाल फूड डिलिवरी ऐप जैसे स्विगी, जोमाटो, और उबर ईट्स में पहले से ही हो रहा है.
क्विंट ने डाइनआउट के सीईओ और फाउंडर अंकित मेहरोत्रा से बात की. डाइनआउट ने हाल ही में देश की पहली एंड-टू-एंड कॉन्टैक्टलेस डाइनिंग सुईट को तैयार किया है. यह कोविड-19 के दौरान रेस्टोरेंट्स को ऑपरेट करने में मदद करती है. यह यूजर्स के मोबाइल फाेन को ताकत देकर कॉन्टैक्टलेस अनुभव को सुनिश्चित करती है.
“हमने चीन, ताइवान और कोरिया जैसे देशों के रिसर्च को देखा है. रेस्टाेरेंट्स इंडस्ट्री में वापस से तेजी आएगी, खासतौर से डाइनिंग आउट में. अभी इसकी बड़ी वजह है लोगों को छुट्टी में ट्रैवल न करना, लेकिन ये शुरू हो जाएगा. ठीक इसी तरह से लोग मूवीज के लिए नहीं जाना चाहते, इसकी मुख्य वजह ठीक से सीटिंग न होना, सीमित जगह और एसी भी है.”
मेहरोत्रा ने क्विंट को बताया, “कोविड के पहले हमें उम्मीद थी कि भारत में टेक्नोलॉजी अपनाने की प्रक्रिया काफी धीमी हो रही है. लेकिन हाल ही रेस्टोरेंट्स और ग्राहकों की तकनीक को लेकर उत्सुकता को देखकर लगता है कि लोग अपनी सुरक्षा के लिए इसे अपनाएंगे. अगर ये टेक्नोलॉजी सिर्फ सहूलियत के लिए होती तो शायद इसे पकड़ने में काफी समय लगता.”
महामारी ने 3 महीने में बिजनेस और रेवेन्यू को काफी नुकसान पहुंचाया. ऐसे में नया मॉडल एक मुसीबत को मौके में बदल रहा है. इससे इन्वेंट्री, ग्राहकों को और लागत को अधिक कुशलता से मैनेज किया जा सकता है.
महामारी ने एक और चिंता को जन्म दिया- किसी प्रतिष्ठान में लोगों की संख्या को मैनेज करने का. मॉल, ऑफिस बिल्डिंग, होटल और रेस्टोरेंट्स जैसी बड़ी जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है. यानी व्यस्त समय में एक साथ इतने लोगों का कुशलतापूर्वक मैनेजमेंट जरूरी है.
वीएएमएस ग्लोबल कॉर्पोरेट ऑफिसों में विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम मुहैया कराती है. उसने भी अपने प्रोडक्ट को अपग्रेड कर लिया है, वह इससे बॉडी टेम्प्रेचर स्कैन कर सकते हैं, रिकॉर्ड कर सकते हैं और मास्क कम्प्लायंस से फेस रीड कर सकते हैं.
वीएएमएस ग्लोबल के सीईओ निखिल कोठारी कहते हैं कि चेहरे और हथेली की पहचान करने वाले सेंसर्स हैंड्स फ्री यूजर ऑथेंटिकेशन मुहैया कराते हैं. एआई की मदद से इसका इस्तेमाल गाइडलाइंस का पालन करने वाले रेस्टोरेंट्स के कर्मचारियों और मेहमानों को एंट्री की मंजूरी देने के लिए होता है.
कोविड-19 के दौर में रेस्टाेरेंट आने वालों का एंट्री के लिए पहले से ही बुकिंग करवाना या स्लॉट फिक्सिंग नए बदलाव का हिस्सा हो सकते हैं.
उन्होंने बताया, “मौजूदा विजिटर मैनेजमेंट प्रोडक्ट के साथ हमने टेम्प्रेचर्स स्कैन और मास्क कम्प्लाइंस की क्षमता बढ़ा ली है. यह एंट्रेंस कंट्रोल को मैनेज करने का एक टूल बन गया है.”
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