Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 ‘वो वापस देखने आए कि हम जिंदा हैं या नहीं’:दिल्ली हिंसा का पीड़ित

‘वो वापस देखने आए कि हम जिंदा हैं या नहीं’:दिल्ली हिंसा का पीड़ित

दिल्ली हिंसा के पीड़ित ने बताया, भीड़ ने कैसे पिता को मारा

ऐश्वर्या एस अय्यर & आदित्य मेनन
भारत
Updated:
दिल्ली हिंसा के पीड़ित ने बताया, भीड़ ने कैसे पिता को मारा
i
दिल्ली हिंसा के पीड़ित ने बताया, भीड़ ने कैसे पिता को मारा
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

“हम पर हमला करने के बाद, भीड़ वापस चेक करने आई कि हम जिंदा हैं या नहीं. मैं नहीं हिला. उन्होंने डंडे से मेरे सिर पर मारा और फिर मेरे पिता की तरफ बढ़ गए. उन्हें लगा कि मैं मर चुका हूं, लेकिन वो मेरे पिता के सिर पर लगातार मारते रहे. उन्हें शायद लगा होगा कि वो बचे हो सकते हैं.”

दिल्ली हिंसा में 47 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. ब्रह्मपुरी में रहने वाले 25 साल के नितिन कुमार ने 24 फरवरी की रात उस खौफनाक हिंसा को याद करते हुए ये बात बताई.

नितिन के सिर पर 40 टांके आए हैं और उनकी बाईं आंख पूरी लाल है. ब्रह्मपुरी की गली नंबर 1 में हुई हिंसा के बारे में नितिन ने द क्विंट को बताया कि कैसे उनके 51 वर्षीय पिता विनोद कुमार को उनकी आंखों के सामने मारा गया. पिता-बेटे की ये जोड़ी लोकल शादी और समारोह में डीजे बजाने का काम करती थी.

उनसे मिलने आने वालों में स्थानीय विश्व हिंदू परिषद के नेता मोहनलाल गरैय्या, बीजेपी नेता, घोंडा विधायक अजय महावर और जय भगवान गोयल शामिल हैं.

उस दिन क्यों निकलना पड़ा बाहर?

नितिन कुमार को इस बात का दुख है कि उन्होंने उस दिन पिता को घर से बाहर निकलने दिया. उन्होंने कहा, “मैं पहले खुद ही अपने बेटे के लिए दवाई लेने जा रहा था, लेकिन फिर पिता ने कहा कि वो भी साथ चलेंगे.”

परिवार के लिए खाने का इंतजाम देख रहे हैं नितिन के रिश्तेदार(फोटो: ऐश्वर्या एस अय्यर/क्विंट हिंदी)

नितिन और उनके पिता ने ब्रह्मपुरी की गली नंबर 1 को क्रॉस ही किया था कि दोनों पर सामने से हमला हुआ. याद करते हुए नितिन ने कहा, “कुछ मिनटों के लिए मैं समझ ही नहीं पाया कि क्या हुआ. कुछ सेकेंड्स पहले ही मेरा एक रिश्तेदार स्कूटी पर निकला था और वो ठीक था. उन्होंने पीछे मुड़कर देखा भी नहीं क्योंकि उन्हें एहसास नहीं हुआ कि हम पर हमला हुआ है.”

भीड़ ने न सिर्फ नितिन और विनोद पर हमला किया, बल्कि उनकी बाइक भी जला दी.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

एक शख्स ने ऐसे की मदद

नितिन ने बताया कि दो लोगों ने उनके पिता को जलती बाइक से दूर हटाने में मदद की.

“जब लगा कि वो चले गए तो मैं उठा. लेकिन वहां और भी कई लोग थे. कुछ लोगों ने पथराव करना बंद कर दिया था, तब भी करीब 15 लोग पथराव कर रहे थे. मैं उनसे अपने पिता को छोड़ने के लिए कहता रहा, लेकिन वो फिर भी ‘अल्लाह-हु-अकबर’ के नारे लगाते रहे .” 
नितिन कुमार, पीड़ित

लोग नितिन को देख रहे थे, उनके सिर से काफी खून बह रहा था. वो हर तरफ मदद के लिए गुहार लगा रहे थे. नितिन ने बताया, “अपने पिता को डॉक्टर के पास ले जाने के लिए मैंने सभी से मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया. फिर अचानक से एक शख्स बाइक पर आया और मुझसे बाइक पर बैठने के लिए कहा. वो हिंदू था.”

नितिन ने अपने पिता को उठाया, उनका शरीर बेजान और भारी लग रहा था. उसने पिता को अपने और अजनबी के बीच बाइक पर बिठाया. नितिन याद करते हुए बताते हैं कि कैसे वो अपने पिता की सांसों को महसूस कर पा रहे थे. गली नंबर 1 से, जहां उनकी बाइक जलती रही, वो कुछ किलोमीटर दूर शाहदरा के जगप्रवेश चंद्र अस्पताल पहुंचे.

जब मिली पिता की मौत की खबर

अस्पताल में नितिन को अपने पिता से अलग तुरंत सीटी स्कैन के लिए ले जाया गया. वहीं, उनके पिता को स्ट्रेचर पर इलाज के लिए कहीं और ले जाया गया. “जब मैं सीटी स्कैन के बाद बाहर आया, तो उन्होंने बताया कि मेरे पिता की मौत हो चुकी है.

घर में बैठा विनोद का परिवार(फोटो: ऐश्वर्या एस अय्यर/क्विंट हिंदी)

उनके बच्चे के रोने की आवाज को, जिसके लिए वो दवाइयां लेने बाहर निकले थे, कमरे के अंदर से सुना जा सकता था. जबकि नितिन बाहर बैठकर उन लोगों से मिल रहे थे, जो पिता की मौत का शोक जताने के लिए आए थे. कम से कम तीन दिनों तक, नितिन ने सिर पर लगे टांकों को चेक नहीं कराया. उनकी चोट पर सूख चुके खून को पट्टी के बावजूद देखा जा सकता था.

पति को खो चुकीं विनोद की पत्नी, अपने बेटे के बगल में खामोश बैठी थीं.

सड़कों पर लगाए गए बैरिकेड्स

जिन गलियों में मुस्लिम परिवारों की संख्या ज्यादा है, उनका कहना है कि तनाव कम हो गया है. एक बुजुर्ग मुस्लिम निवासी ने कहा, “कोई घटना नहीं हुई है. कुछ भी नहीं. तनाव बहुत कम हो गया है और चिंता की कोई बात नहीं है.” लेकिन हिंदू बस्तियों ने एक अलग तस्वीर पेश की - उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ संदेह और नाराजगी व्यक्त की.

ब्रह्मपुरी में बंद की गई एक सड़क(फोटो: ऐश्वर्या एस अय्यर/क्विंट हिंदी)

ब्रह्मपुरी की बाकी गलियों की तरह, गली नंबर 1 पर भी मुख्य रूप से हिंदू निवासियों ने बैरिकेड लगा दिए हैं. कुछ लोगों ने हिंसा के बारे में कहा, “वो ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगा रहे थे, लगातार पथराव कर रहे थे. हम काफी डरे हुए थे.” दूसरी गलियों में रहने वाले लोगों ने कहा कि वो पूरी रात सोए नहीं थे, क्योंकि वो रास्ते के दूसरी तरफ रहने वाले मुस्लिम मजदूरों से चौकन्ने थे. एक बुजुर्ग शख्स ने कहा, 'यहां इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर की छोटी-छोटी फैक्ट्रियां हैं, ये मजदूर ही हैं, जो इस हिंसा में शामिल हैं. उनके पास टूटे कांच, लाठी और रॉड है.”

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 04 Mar 2020,10:27 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT