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हरियाणा के नूंह में अवैध खनन रोकने गए डीएसपी सुरेंद्र सिंह की बेरहमी से कुचलकर हत्या (DSP Surendra Singh Murder) कर दी गई. जिससे पूरा सिस्टम हिल गया. लेकिन हरियाणा में ये अवैध खनन का खेल और खनन माफिया द्वारा अधिकारियों पर हमला कोई नया नहीं है. खनन माफिया हरियाणा में लगातार प्रशासन को चुनौती देते रहे हैं. इसी चुनौती से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसमें वन विभाग के अधिकारी और पुलिस को शामिल किया गया था. इसी टास्क फोर्स का हिस्सा डीएसपी सुरेंद्र सिंह भी थे.
खास बात ये है कि एनजीटी ने 1 जुलाई से 15 सितंबर तक हरियाणा में खनन पर पूरे तरीके से रोक लगाई थी. बावजूद इसके खनन का काम जोर-शोर से चल रहा है. खनन माफिया रात को अवैध खनन करते हैं और दिन में उस माल की सप्लाई करते हैं.
हरियाणा में अवैध खनन का खेल कितना बड़ा है. इसका अंदाजा आप पिछले तीन साल में वसूले गए जुर्माने और जब्त किये गए वाहनों से लगा सकते हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 में हरियाणा में 2020 वाहन पकड़े गए, जिन पर 21.65 करोड़ का जुर्माना लगा और 211 FIR भी दर्ज की गईं. इसके अगले साल यानी वित्त वर्ष 2020-21 में 3515 वाहन पकड़े गए, जिन पर 82.77 करोड़ का जुर्माना लगाया गया. इस साल 2021-22 में अब तक अवैध खनन में इस्तेमाल हो रहे 2192 वाहन पकड़े गए हैं, इन पर करीब 29 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. इसके अलावा 977 FIR भी अवैध खनन को लेकर की गई हैं.
अकेले नूंह में इस साल अब तक अवैध खनन में शामिल 68 वाहन जब्त किये गये हैं, 23 FIR दर्ज हुई हैं और करीब 4 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है.
पंचकूला में घग्गर और टांगरी नदी में अवैध खनन होता है. जबकि यमुना के किनारे यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत में रेत का अवैध खनन होता है. इसके अलावा गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और नूंह के अलावा भिवानी-महेंद्रगढ़ क्षेत्र में पहाड़ी से पत्थर का खनन होता है जिससे बजरी और डस्ट बनाई जाती है. इन जिलों में कुछ रेत का अवैध खनन भी होता है. जब हरियाणा में खनन पर बैन था तब भी यहां खनन होता था. एक जुलाई से अब फिर से एनजीटी ने प्रतिबंध लगाया था लेकिन इसके बावजूद अवैध खनन नहीं रुका.
अवैध खनन रोकने के लिए अधिकारियों पर खनन माफियाओं का हमला हरियाणा में कोई नई बात नहीं है. ये बात अलग है कि आज तक कोई बड़ा खनन माफिया सरकार और प्रशासन के हत्थे नहीं चढ़ा है. जनवरी 2014 की बात है, उस वक्त यमुनानगर में पुलिस ने अवैध खनन कर रही कुछ गाड़ियों को पकड़ा था जिन्हें खनन माफिया पुलिस से छुड़ा ले गए थे. इसी तरह जुलाई 2018 में पलवल में यमुना नदी से अवैध खनन कर रहे माफिया के गुर्गों ने पुलिस पर हमला कर दिया. इन्होंने पुलिसकर्मियों पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की और सरकार गाड़ी को टक्कर मारकर फरार हो गए.
2010 में बिलासपुर में तत्कालीन एसडीएम अश्वनी मैंगी पर खनन जोन में माफिया ने हमला कर दिया.
30 अप्रैल 2011: तत्कालीन माइनिंग फाइनेंस कमिश्नर युद्धवीर सिंह और अन्य पर मांडेवाला के पास पथराव.
27 अगस्त 2011: खनन माफिया का पीछा कर रहे प्रतापनगर के तत्कालीन एसएचओ पर बांबेपुर गांव में जानलेवा हमला.
4 जून 2012: सदर यमुनानगर थाना के कलानौर गांव में अवैध खनन की शिकायत करने पर माफिया ने सात किसानों पर जानलेवा हमला किया.
7 फरवरी 2013: वन विभाग कलेसर रेंज के दारोगा रमेश सैनी और दो कर्मचारियों पर हमला.
3 अगस्त 2013: गुमथला के पूर्व सरपंच सुरजीत सिंह भूरा पर हमला.
25 जून 2014: कलनौर चौकी के तत्कालीन प्रभारी अशोक कुमार व कांस्टेबल बलवान सिंह पर अवैध खनन करने वालों का हमला.
17 फरवरी 2015: खनन माफिया ने एसडीएम प्रेमचंद व CTM नवीन आहूजा पर जगाधरी में झोटा चौक पर ट्रक चढ़ाने का प्रयास किया.
फरवरी 2015 में जाट्टोवाला में डीडीपीओ गगनदीप सिंह पर माफिया द्वारा ट्रक चढ़ाने का प्रयास.
12 जुलाई 2018: बीबीपुर घाट पर खनन माफिया ने 20 वर्षीय शाहरूख को ट्रैक्टर ट्राली से कुचला.
21 अगस्त 2018: सिंचाई विभाग के एसडीओ पर हमला.
20 सितंबर 2018: बेलगढ़ में अवैध खनन रूकवाने गई पुलिस टीम पर हमला.
13 नवंबर 2018: खनन जोन के पास उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमा पर माफिया व पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई, बेहट थाना में केस दर्ज हुआ.
31 जनवरी 2019: ताजेवाला माइनिंग टीम के साथ हाथापाई हुई
19 जुलाई 2022: नूंह में हरियाणा पुलिस के डीएसपी को खनन माफिया ने कुचल दिया. जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
हरियाणा में पर्यावरण के लिए काम करने वाले कई सामाजिक कार्यकर्ता खनन का विरोध करते हैं. सेव अरावली के नाम से बाकायदा एक ट्रस्ट है जो इस पर काम कर रही है. हरियाणा में लंबे समय तक खनन पर रोक भी थी. सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में यहां किसी भी प्रकार के खनन पर रोक लगा दी थी. लेकिन 2014 में मनोहर सरकार आने के बाद 2019 में ‘हरियाणा संशोधन विधेयक 2019’ पारित करके पेडों की कटाई और दूसरे खनन को मंजूरी दे दी. जिसे कोर्ट की अवमानना बताते हुए कऊ पर्यावरणविद सुप्रीम कोर्ट चले गए. लेकिन अभी तक इस पर कुछ हुआ नहीं है.
लेकिन हरियाणा सरकार इतने विरोध के बाद भी खनन क्यों कराना चाहती है. तो जरा देखिए कि हरियाणा सरकार के मुताबिक उसे खनन से 2019 में 583 करोड़ रुपये की कमाई हुई. 2020 में 702 करोड़ की और 2021 में 770 करोड़ रुपये हरियाणा सरकार ने कमाये.
हरियाणा के खनन मंत्री मूलचंद शर्मा ने बयान दिया कि, नूंह के जिस इलाके में डीएसपी की हत्या हुई वो खनन का क्षेत्र ही नहीं है, वो वन विभाग का क्षेत्र है. उन्होंने कहा कि वहां पर अवैध माइनिंग हो रही थी, हम माइनिंग माफिया को पनपने नहीं देंगे.
अरावली रेंज में अवैध खनन रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक सेंट्रल एंपावरमेंट कमेटी बनाई थी. जिसने 2018 में एक रिपोर्ट दी, उसके मुताबिक, 1968 के बाद से राजस्थान में अवैध खनन के कारण अरावली रेंज का 25 फीसदी हिस्सा गायब हो चुका है. सेव अरावली ट्रस्ट के संस्थापक जितेंद्र भड़ाना कई बार ये दावा कर चुके हैं कि हरियाणा और राजस्थान के बीच 30 से ज्यादा अरावली पहाड़ की चोटियां गायब हैं.
हरियाणा में एनजीटी अदालत ने इसी साल जून के महीने में एक समिति का गठन किया है, जिसे चार हफ्ते में ये बताना था कि अवैध खनन से हरियाणा सरकार और पर्यावरण को पिछले पांच साल में कितना नुकसान हुआ है. इसके अलावा इस समिति को तीन महीने में एक सत्यापन रिपोर्ट एनजीटी अदालत में पेश करनी है. इस मामले में अगली सुनवाई 24 अगस्त को होनी है. इस समिति को अदालत के सामने ये भी बताना है कि पिछले पांच सालों में अवैध खनन की कितनी शिकायतें मिली और उन पर क्या कार्रवाई हुई.
हरियाणा में अगर आप कृषि कार्य या किसी और कार्य के लिए मिट्टी का खनन करना चाहते हैं तो उसके लिए विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इसमें आपको ये भी बताना होगा कि किन वाहनों से आप खनन करना चाहते हैं. साथ ही आप 100 घन मीटर से ज्यादा मिट्टी का खनन नहीं कर सकते हैं.
हरियाणा में खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण पर कार्रवाई के लिए भी नियम लागू किए गए हैं. इसके तहत यदि कोई भी व्यक्ति अवैध उत्खनन एवं उसका परिवहन करते पकड़ा गया तो उसे रॉयल्टी का 15 गुना अधिक जुर्माना भरना होगा. इसके अलावा इतनी ही राशि पर्यावरण क्षतिपूर्ति की भी वसूली जाएगी. अगर कोई अवैध उत्खनन कारोबारी यह राशि जमा नहीं करेगा तो उसके वाहन बेचकर जुर्माना वसूला जाएगा.
डंपर एवं 6 पहिया वाहन पर एक लाख रुपये
10 पहिया वाहन पर 2 लाख रुपये
दस पहिया से अधिक वाहन पर 4 से 6 लाख रुपये
जेसीबी मशीन पर 2 लाख रुपये
पोकलेन मशीन पर 4 लाख रुपये
ट्रैक्टर-ट्रॉली पर 25 हजार रुपये
इनपुट- परवेज खान
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