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हॉन्ग कॉन्ग मामले पर घिरा चीन, भारत समेत कई देशों ने लगाई फटकार

हॉन्ग कॉन्ग में चीनी सरकार के खिलाफ लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन

क्विंट हिंदी
भारत
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हॉन्ग कॉन्ग में चीनी सरकार के खिलाफ लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन
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हॉन्ग कॉन्ग में चीनी सरकार के खिलाफ लगातार हो रहे हैं प्रदर्शन
(फोटो : PTI)

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कोरोना वायरस को लेकर चीन पूरी तरह से दुनिया की नजरों में आ चुका है. वहीं एक दूसरा मुद्दा भी है, जिस पर चीन अब चारों तरफ से घिरता हुआ नजर आ रहा है. हॉन्ग कॉन्ग में प्रदर्शनकारियों पर हो रहे आत्याचारों और उनके दमन के लिए चीन के विवादित कानून को लेकर अब विरोध शुरू हो चुका है. कई देशों के बाद अब भारत ने भी इस कानून पर सवाल उठाए हैं.

भारत ने बुधवार को यूएनएचआरसी में कहा कि हॉन्ग कॉन्ग को स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन बनाना और इसके लिए कानून लाना चीन का घरेलू मसला है, लेकिन भारत घटनाओं पर नजर रखे हुए है. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजीव चंदर ने कहा,

“हम हाल ही में हॉन्ग कॉन्ग में हुई घटनाओं को लेकर कई बयान सुन चुके हैं. जो काफी चिंताजनक हैं. हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित पक्ष (चीन) इन सभी बातों का खयाल रखेगा और इसका उचित और निष्पक्ष सामाधान करेगा.”
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कई देश कर रहे हैं विरोध

चीन की संसद ने हॉन्ग कॉन्ग के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया गया है. जिसके चलते अब सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. इस कानून के तहत सबसे ज्यादा प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई हो रही है. सरकार लगातार हर उठती आवाज को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि करीब 300 प्रदर्शनकारियों को इस कानून के आने के बाद गिरफ्तार किया गया है.

इसीलिए इस विवादित कानून को लेकर दुनियाभर के देश चिंता जता रहे हैं. ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने इस कानून को लेकर चीन को जमकर तलाड़ लगाई थी. उन्होंने कहा कि ये कानून अधिकारों और स्वतंत्रता पर खतरा है. बोरिस जॉनसन ने ब्रिटिश संसद में कहा कि,

“इस राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करना और लोगों पर लादना चीन-ब्रिटेन संयुक्त घोषणा पत्र का गंभीर उल्लंघन है. ये हॉन्ग कॉन्ग के मूल कानूनों के खिलाफ है और उसे मिली स्वायत्ता का उल्लंघन करता है.”
बोरिस जॉनसन

जॉनसन ने हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को ब्रिटेन की नागरिकता देने तक की बात कह डाली.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस विवादित कानून पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. अमेरिका ने कहा कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का ये कानून एकतरफा और मनमाने तरीके से लागू किया जा रहा है. यूएस ने बीजिंग को अपने इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने और हॉन्ग कॉन्ग की स्वायत्ता को बचाए रखने को कहा है.

UNHRC लगा चुका है फटकार

यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट काउंसिल (यूएनएचआरसी) भी चीन को हॉन्ग कॉन्ग मामले पर फटकार लगा चुका है. UNHRC ने चीन की पीपुल्स रिपब्लिक सरकार को कहा कि, यूनाटेड नेशंस के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने कई बार आपसे संपर्क किया, ताकि चीन में हो रहा मौलिक स्वतंत्रता का दमन रोका जा सके. लेकिन इसके बाद भी कुछ कार्रवाई नहीं हुई. यूएनएचआरसी ने कहा कि यहां चीन की तरफ से पुलिस फोर्स का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया गया और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केमिकल एजेंट्स का इस्तेमाल भी किया गया.

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