Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इंदिरा साहनी, जिन्होंने रोका था नरसिम्हा सरकार का सवर्ण आरक्षण बिल

इंदिरा साहनी, जिन्होंने रोका था नरसिम्हा सरकार का सवर्ण आरक्षण बिल

एक ऐसी महिला भी हैं जो बिल के रास्ते में रोड़ा बन सकती हैं. पेशे से वकील इंदिरा साहनी के लिए ये बात नई नहीं है.

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
i
null
null

advertisement

सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला बिल फिलहाल चर्चा में है. लोकसभा में पास होने के बाद अब राज्यसभा से भी बिल पास करवाने की कवायद जारी है. कई नेता दावा कर रहे हैं कि आरक्षण बिल को कोई नहीं रोक सकता. लेकिन एक ऐसी महिला भी हैं जो अकेले बिल के रास्ते में रोड़ा बन सकती हैं. पेशे से वकील इंदिरा साहनी के लिए ये बात नई नहीं है. इससे पहले भी उन्होंने 1992 में नरसिम्हा राव सरकार को ऐसा करने से रोक दिया था.

1992 में हुई थी चर्चा

इंदिरा साहनी का नाम तब चर्चा में आया था, जब उन्होंने 1992 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. यह याचिका नरसिम्हा राव सरकार के सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के बिल के खिलाफ थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत आधार पर दिए जाने वाले आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय कर दी थी. इसके बाद इंदिरा साहनी का नाम खूब चर्चा में रहा.

सरकार इस बात की होशियारी बरत रही है कि ये संविधान संशोधन लाएगी. ताकि जब उसके बाद कानून बन गया तो सुप्रीम कोर्ट इसका सिर्फ रिव्यू कर सकता है, पूरी तरह से नकार नहीं सकता. रामविलास पासवान ने भी लोकसभा में इसे संविधान की नौंवी सूची में डालने की बात कही थी. 
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मोदी सरकार के फैसले को भी मिल सकती है चुनौती

अब कयास लगाए जा रहे हैं और मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि एक बार फिर 1992 का इतिहास दोहराया जा सकता है. इस बार नरेंद्र मोदी सरकार के इस फैसले को भी ठीक वैसी ही चुनौती मिल सकती है, जैसी नरसिम्हा राव सरकार के फैसले को मिली थी. हालांकि अभी तक इंदिरा साहनी की तरफ से इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. लेकिन अगर ऐसा हुआ तो मोदी सरकार की इस बिल को पास करवाने की मंशा पर पानी फिर सकता है.

इंदिरा साहनी केस

सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच ने बड़ा मशहूर फैसला है-इंदिरा साहनी केस. उसमें कहा गया था कि ये क्राइटेरिया लागू नहीं हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट के उसी फैसले में कहा गया था कि 'किसी नागरिक के पिछड़े होने की पहचान सिर्फ आर्थिक स्थिति पर नहीं हो सकती और नए क्राइटेरिया पर किसी भी विवाद पर विचार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट कर सकता है'.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT