Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ कश्मीरी पंडितों ने दायर की याचिका

आर्टिकल 370 हटाने के खिलाफ कश्मीरी पंडितों ने दायर की याचिका

कश्मीरी पंडितों ने ही बीजेपी सरकार के फैसले को बताया गैर संवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
श्रीनगर के लाल चौक में गश्त लगाती पुलिस की टुकड़ी
i
श्रीनगर के लाल चौक में गश्त लगाती पुलिस की टुकड़ी
(फोटो: PTI)

advertisement

आर्टिकल 370 हटाए जाने के फैसले से नाराज जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले कश्मीरी पंडित, डोगरा और सिख समुदाय के लोगों ने एक पेटीशन साइन किया है. ये पेटीशन साइन करने वाले लोगों का मानना है कि सरकार ने ये कदम उठाकर जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ धोखा किया है. इस पेटीशन के मुताबिक सरकार का ये कदम गैर लोकतांत्रिक, एकतरफा और संविधान के खिलाफ है.

जिन लोगों ने ये पेटीशन साइन किया है उनमें प्रोफेसर, थिएटर कलाकार, पत्रकार, डॉक्टर, वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी, छात्र और रिसर्च स्कॉलर शामिल हैं.

पेटीशन में मांग की गई है जम्मू-कश्मीर के लोगों का बाहरी दुनिया के साथ कटा हुआ संपर्क जल्द से जल्द वापस लाया जाए. सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों को रिहा किया जाए. जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से सेना की संख्या को बढ़ाकर एक तरह की घेराबंदी की गई है उसे भी हटाया जाए.

पेटीशन में क्या लिखा है ?

हम राज्यविहीन लोग, जो पहले जम्मू-कश्मीर में रहते थे, साफ तौर पर आर्टिकल 370 के हटाए जाने की निंदा करते हैं. हम भारत के लोगों को बता देना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर भारत के साथ इसके लोकतांत्रिक और सेकुलर होने की वजह से आया था. केवल जम्मू-कश्मीर ही ऐसा राज्य था जिसने 1949 में भारत की संविधान सभा की कार्यवाही के दौरान भारत में मिलने के लिए कुछ शर्तें तय की थी. इसी के बाद आर्टिकल 370 अपने वजूद में आया था.
ऐसे में हम मानते हैं कि आर्टिकल 370 हटाने का फैसला ताकत के दम पर लिया गया है. साथ ही इस कदम से जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ किए गए वादों को तोड़ा गया है और ये असंवैधानिक है. जम्मू-कश्मीर विधानसभा की राय और मंजूरी लिए बगैर भारत सरकार ने ये फैसला चुपके से लिया है.
हम इस तथ्य को फिर से बताना चाहते हैं कि हमसे कोई बात नहीं की गई और हमारे भविष्य पर हमारी मंजूरी के बगैर लिया गया कोई भी फैसला वैध नहीं हो सकता. हम इस एकतरफा, अलोकतांत्रिक और गैरसंवैधानिक थोपे गए फैसले की निंदा करते हैं. हम जम्मू-कश्मीर पर लिए गए इस फैसले को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग करते हैं. जो जम्मू-कश्मीर के लोगों पर कम्यूनिकेशन गैग लगाया गया है उसे भी हटाया जाए. कैद किए गए सभी राजनीतिक प्रतिनिधियों को रिहा किया जाए.
हम अपने गृहराज्य के बंटवारे को लेकर भी दुखी हैं और हम इस इम्तेहान की घड़ी में एकजुट होकर खड़े रहने की मांग करते हैं. हम हर उस फैसले का विरोध करेंगे जो हमें धार्मिक या सांस्कृतिक तौर पर बांटने की कोशिश करेगा.

बता दें, आर्टिकल 370 से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था. इसके तहत जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान और झंडा था. अब आर्टिकल 370 हटने से जम्मू-कश्मीर से ये सभी विशेषाधिकार छिन गए हैं. जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित राज्य में बांट दिया गया है. एक केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर होगा, वहीं दूसरा लद्दाख.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 10 Aug 2019,10:41 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT