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मोहम्मद जुबैर और Zee के एंकर रोहित रंजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

Zee News एंकर रोहित रंजन को छत्तीसगढ़ पुलिस से पहले ही नोएडा पुलिस ने किया गिरफ्तार.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Zubair और Rohit Ranjan</p></div>
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Zubair और Rohit Ranjan

(फोटो-क्विंट हिंदी)

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फैक्ट चेक करने वाली न्यूज वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) और जी न्यूज के एंकर रोहित रंजन (Rohit Ranjan) की याचिकाओं पर आज 08 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होगी.

जुबैर को साल 2018 में किए गए उनके एक कथित आपत्तिजनक ट्वीट के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. वहीं रोहित रंजन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बारे में भ्रामक क्लिप प्रसारित करने का आरोप है.

जुबैर की सुनवाई जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जेके माहेश्वरी की बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है.

जुबैर पर क्या है आरोप

दिल्ली पुलिस ने जुबैर को अपने एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में 27 जून को गिरफ्तार किया था. दिल्ली पुलिस ने जुबैर के खिलाफ पहले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों में दुश्मनी बढ़ाने) और 295 के तहत मामला दर्ज किया था, बाद में रिमांड ऑर्डर में जुबैर पर 295 की जगह धारा 295A के तहत मामला दर्ज किया गया है. वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान जुबैर पर 120 बी (आपराधिक साजिश) और 201 (सबूत नष्ट करना) तथा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम की धारा 35 के प्रावधान भी लगाए गए हैं.

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जुबैर को लेकर एक और मामले में सुनवाई हो रही है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुस्लिम महिलाओं को रेप की धमकी देने वाले महंत बजरंग मुनि, यति नरसिंहानंद और स्वामी आनंद स्वरूप के खिलाफ किए गए एक ट्वीट के आधार पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

इस केस में जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करना है) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.

जुबैर ने मामले को रद्द करने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन कोर्ट ने अर्जी ठुकरा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जुबैर के ट्वीट में आईपीसी की धारा 295ए और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध नहीं किए गए हैं.

जहां तक ​​धारा 67 का संबंध है, याचिका में कहा गया है कि ट्वीट में कहीं भी याचिकाकर्ता ने किसी भी यौन कृत्य का उल्लेख नहीं किया है या ऐसा कुछ भी नहीं कहा है जो एक उचित और विवेकपूर्ण पाठक के मन में यौन इच्छाएं जगा सकता है जो कि धारा 67 के तहत पूर्व-आवश्यकता है.

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रोहित रंजन पर क्या है आरोप

न्यूज चैनल जी न्यूज (Zee News) के एंकर रोहित रंजन (Rohit Ranjan) पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को तोड़-मरोड़कर दिखाने पर कई राज्यों में FIR हुए हैं. इसी एक एफआईआर के सिलसिले में छत्तीसगढ़ पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने उनके घर पहुंची थी, लेकिन इसी बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें किसी और मामले में गिरफ्तार कर लिया और फिर जमानत पर छोड़ दिया.

रंजन पर रायपुर में भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (दो अलग-अलग वर्गों में वैमनस्य को बढ़ावा देना), 295ए (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य करना), 467 (जालसाजी), 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी) और 504 (जानबूझकर अपमान करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.

रंजन ने याचिका दायर कर कथित अपराध के लिए कठोर कार्रवाई से संरक्षण का आग्रह किया है.

रंजन की तरफ से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि न्यूज प्रोड्यूसर ने एक कार्यक्रम में गलती की थी और उसके लिए माफी मांग ली थी तथा खबर वापस ले ली गई थी. लूथरा ने अदलात से कहा, 'अब छत्तीसगढ़ पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है. कृपया इस पर तत्काल सुनवाई कीजिए, अन्यथा उन्हें बार-बार हिरासत में लिया जाएगा.'

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