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UP में भाई-बहन,जीजा-साली की शादी! 'सामूहिक विवाह योजना' में फर्जीवाड़ा कैसे हो रहा?

Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana में हो रहे फर्जीवाड़े का खुलासा अब तक बलिया, झांसी और महाराजगंज से हो चुका है.

पीयूष राय
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>भाई-बहन,जीजा-साली की शादी: UP में कैसे हो रहा 'सामूहिक विवाह योजना' में फर्जीवाड़ा?</p></div>
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भाई-बहन,जीजा-साली की शादी: UP में कैसे हो रहा 'सामूहिक विवाह योजना' में फर्जीवाड़ा?

(फोटो: अलटर्ड बाय क्विंट हिंदी)

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"मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना"(Mukhyamantri Samuhik Vivah Yojana) में फर्जीवाड़े की एक ऐसी कहानी सामने आई है जिसको सुनकर सब हैरान है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के महाराजगंज जिले में इस सरकारी योजना में धन के गबन के लिए भाई- बहन की ही शादी करा दी गई. जब मामला सामने आया तो समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए. आनन-फानन में अधिकारियों ने आरोपी भाई बहन के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज कर दिया है.

शादी के बाद दिए जाने वाले सरकारी धन पर भी रोक लगा दी गई और शादी के दौरान उनको दिया गया सामान वापस ले लिया गया है. यह पहला वाकया नहीं है जब मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत फर्जीवाड़े की खबर सामने आई है. फर्जीवाड़े से जहां एक तरफ सरकारी योजना का पतीला लगता दिख रहा है तो वहीं दूसरी तरफ लगातार सरकार की छवि धूमिल हो रही है.

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान यूपी के समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने बताया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में अभी हाल ही में आए भ्रष्टाचार के मामलों के बाद विभाग ने धांधली को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं.

योजना में पात्र वर- वधुओं को सामूहिक विवाह कार्यक्रम स्थल पर मैरिज सर्टिफिकेट दिए जाएंगे. मैरिज सर्टिफिकेट से विवाह पंजीकरण के बाद ही योजना में मिलने वाले अनुदान को आवेदिका के अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा. इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम के बाद इसमें सम्मिलित 10% जोड़ों का सर्वे भी कराया जाएगा.
असीम अरुण, समाज कल्याण राज्य मंत्री, यूपी

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना क्या है?

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा गरीब परिवारों की विवाह योग्य कन्याओं के विवाह हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध करते हुए उनकी धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों व परम्पराओं के अनुसार विवाह कराया जाता है.

योजनान्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रति युगल  ₹51,000 खर्च किया जाता है, जिसमें से ₹35,000 वधू के बैंक खाते में और ₹10,000 की उपहार सामग्री वर-वधू को प्रदान की जाती है तथा ₹6,000 समारोह के आयोजन को भव्यता प्रदान करने के लिए खर्च किया जाता है.

कैसे हो रही है धांधली?

इस योजना में धांधली और फर्जीवाड़े का केंद्र यह ₹35000 हैं जो वधू के खाते में शादी के उपरांत दिए जाते हैं. समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और दलालों की मिलीभगत से उन अपात्र और फर्जी जोड़ों को भी इस योजना में शामिल कर लिया जाता है जिनकी या तो शादी पहले से हो चुकी है या फिर गरीब परिवार के लड़के लड़कियों को पैसे का लालच देकर इस योजना में बतौर वर- वधू शामिल कर लिया जाता है.

यहां मीडिएटर का काम होता है कि वह गांव में मौजूद ऐसे गरीब परिवारों को चिन्हित कर, बहला फुसला कर उन्हें इस योजना में शामिल कर लें.

सक्रिय मीडिएटर इन परिवारों से योजना का फॉर्म भरवाते हैं और उनसे जरूरी दस्तावेज- आधार पैन कार्ड और बैंक पासबुक की फोटोकॉपी ले लेते हैं. भ्रष्टाचार में लिप्त समाज कल्याण विभाग के सरकारी अधिकारियों द्वारा इन फर्जी आवेदनों को सत्यापित भी कर दिया जाता है. योजना के अंतर्गत होने वाले सामूहिक विवाह के दिन परिवार में मौजूद लड़का या लड़की को बतौर वर- वधु विवाह स्थल पहुंचना होता है और उनकी फर्जी शादी कराई जाती है.

शादी के बाद समाज कल्याण विभाग की तरफ से वधू के खाते में ₹35000 ट्रांसफर किए जाते हैं. यही शुरू होता है बंदरबाट. इन ₹35000 में 10 से 15000 रुपए वधु या उसके परिजनों को दिए जाते हैं और बाकी बचा ₹20000 अधिकारियों और दलालों की जेब में जाते हैं.

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बलिया मामले के बाद नींद से जागा था विभाग

यूपी के बलिया जनपद में 25 जनवरी को हुए 537 जोड़ों के सामूहिक विवाह के दौरान कन्याओं द्वारा खुद से खुद को वरमाला डालकर शादी करने व भाड़े पर आए दूल्हों द्वारा अपने चेहरे छुपाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. वायरल वीडियो की जांच पड़ताल हुई तो पता चला कि 537 जोड़ों में से कम से कम 240 फर्जी जोड़े इस योजना का लाभ उठा रहे थे.

क्विंट हिंदी की एक पड़ताल में पता चला की ₹15000 में वधू और दो से तीन हजार रुपयों में वर इस योजना में शामिल करने के लिए तैयार किए गए थे. शासन की जांच में समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आई.

इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया जिसमें चार समाज कल्याण विभाग के अधिकारी और 12 दलाल किस्म के लोग थे जिन्होंने इस योजना में अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी जोड़ों को सत्यापित कर योजना का लाभ दिलवाने की कोशिश की थी.

अभी ताजा मामला यूपी के महाराजगंज जिले का है. 5 मार्च 2024 को विकासखंड परिषद लक्ष्मीपुर में सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत कार्यक्रम संपन्न हुआ था. इस योजना में आवेदिका प्रीति यादव ने वर के लिए रमेश यादव के नाम से आवेदन किया था. प्रीति और रमेश पहले से शादीशुदा हैं. सामूहिक विवाह कार्यक्रम में रमेश यादव विवाह स्थल पर नहीं पहुंचा तो आवेदिका प्रीति यादव ने अपने सगे भाई कृष्णा यादव को वर के रूप में बैठा दिया.

मीडिया के माध्यम से जब अधिकारियों को इसकी भनक लगी तो प्रीति यादव और कृष्णा यादव के खिलाफ महाराजगंज के पुरंदरपुर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 419 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान ग्राम विकास अधिकारी चंदन पांडे ने बताया कि इस मामले में सरकारी अनुदान के रूप में मिलने वाले ₹35000 पर रोक लगा दी गई है और योजना के अंतर्गत दिया गया सारा सामान वापस ले लिया गया है.

चंदन पांडे ने आगे बताया कि कार्रवाई के क्रम में ग्राम विकास विभाग के सचिव मिलिंद चौधरी को निलंबित कर दिया गया है.

कुछ ऐसा ही मिलता जुलता मामला झांसी जिले में देखने को मिला था. 27 फरवरी 2024 को सामूहिक विवाह कार्यक्रम के दौरान एक एक दुल्हन ने अपने जीजा के साथ सात फेरे ले लिए. शक होने पर जब पड़ताल हुई तो पता चला की दुल्हन के असली वर के कार्यक्रम स्थल पर न पहुंचने के कारण वधू ने योजना का लाभ लेने के लिए जीजा के गले में वरमाला डाल दी.

समाज कल्याण अधिकारी ललिता यादव ने सरकारी अनुदान पर रोक लगाते हुए इस मामले में जांच के आदेश दे दिए थे.

'धांधली की घटनाओं से विभाग ने ली है सबक'

क्विंट हिंदी से बातचीत के दौरान यूपी के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने बताया कि बलिया की घटना के बाद सबक लेते हुए इस योजना में कुछ बदलाव किए गए है.

सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल हो रहे वर वधुओं का विवाह स्थल पर ही फोटो युक्त "मैरिज सर्टिफिकेट" जारी किया जाने लगा है. इसे एक बात स्थापित हो जाएगी कि किसकी शादी किससे हुई. इसी मैरिज सर्टिफिकेट से विवाह का पंजीकरण भी होता है जिसके बाद यह आधिकारिक दस्तावेजों में आ जाता है. विवाह पंजीकरण के बाद आवेदिका के खाते में अनुदान की राशि ट्रांसफर की जाएगी.
असीम अरुण, समाज कल्याण राज्य मंत्री, यूपी

मंत्री ने आगे कहा, "इसी क्रम में धांधली को रोकने के लिए सामूहिक विवाह कार्यक्रम के बाद एक "पोस्ट इवेंट सैंपल सर्वे" भी कराया जा रहा है जिसमें कार्यक्रम में शामिल 10% जोड़ों की जांच कराई जा रही है. इसमें यह पता लगाया जा रहा है कि कहीं इन जोड़ो ने पहले से शादी तो नहीं कर रखी और सिर्फ योजना का लाभ लेने के लिए शामिल हुए है.

मंत्री असीम अरुण ने कहा कि इस योजना में पंजीकरण से लेकर विवाह पंजीकरण तक सारी प्रक्रिया अब ऑनलाइन की जाएगी. "यह नई योजना थी और इसमें अधिकतर काम कागजों पर हो रहे थे. अब इसको पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन कर दिया गया है जिससे चीजों को जांचने में सहूलियत होगी और कुछ गड़बड़ होता है तो जवाबदेही भी तय हो पाएगी."

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