आपने घोटालों में अनाज, मकान, जमीन या शराब की धांधली तो बहुत सुनी होगी पर बलिया में एक योजना में हुई धांधली में शादियां ही बिक गईं. मामला यूपी (UP) के बलिया जिले में "मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना" का है, जहां शादी में दूल्हा-दुल्हन खड़ा करने के लिए गरीब परिवारों को निशाना बनाया गया. जांच में अपात्र पाए गए दूल्हा-दुल्हन के परिजनों की माने तो पैसे का लालच देकर उनके बच्चों को पंजीकृत किया गया.
वहीं, बलिया के मेरीटार गांव के कुछ लोगों ने इस धांधली से जुड़े तथ्यों को लेकर क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा कि 15 हजार रुपयों में दुल्हन और दो-तीन हजार में दूल्हे बनाकर लड़के-लड़कियों को लाया गया था. कार्यक्रम में शामिल होने पर गिफ्ट मिलने का भी झांसा दिया गया. उनका आरोप है कि अधिकारियों की मिली-भगत से दलालों ने इस योजना में बड़ी धांधली की पटकथा रच डाली.
क्या है पूरा मामला?
मामला यूपी के बलिया जनपद के मनियर ब्लॉक में पिछले माह 25 जनवरी को हुए 537 जोड़ों के सामूहिक विवाह का है. सामूहिक विवाह में जिले के मनियर, रेवती, बेरूआरबारी और बांसडीह ब्लॉक के आवेदकों ने हिस्सा लिया था. सामूहिक विवाह के दौरान कन्याओं द्वारा खुद से खुद को वरमाला डालकर शादी करने व भाड़े पर आए दूल्हों द्वारा अपने चेहरे छुपाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ.
वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद हरकत में आए जिला प्रशासन ने सभी लाभार्थियों को अनुदान में दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगा दी और मामले की जांच शुरू करने के आदेश दे दिए.
अधिकारी और दलालों का कैसे चला गठजोड़?
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत शादी करने वाले जोड़ों को सरकार की तरफ से कुल 51 हजार रूपए का अनुदान दिये जाते हैं. इसमें 35 हजार रुपये दुल्हन के खाते में, 10 हजार रुपये का खर्च वर-वधु के सामान और 6 हजार का खर्च बारातियों की आवभगत पर किया जाता है.
मामले में गरीब युवतियों के कल्याण के लिए खर्च किए जाने वाले पैसों के लालच में दलालों ने गरीब ग्रामीणों को अपना निशाना बनाया और किसी से 15,000 तो किसी से केवल सामान के बदले सामूहिक विवाह योजना का आवेदन करवा दिया और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से उन्हें सत्यापित भी करवा लिया.
सूत्रों के अनुसार, बेरूआरबारी ब्लॉक के मैरीटार गांव में 29 लाभार्थी अपात्र पाए गए हैं. ये गांव बांसडीह विधानसभा से बीजेपी विधायक केतकी सिंह का है. वे विवाह के दौरान मंगल गीत गाती और जोड़ों पर फूल छिड़क कर आशीर्वाद देती हुई नजर आईं.
"शादी में मिला सामान वापस ले लिया"- पीड़ितों ने क्या बताया?
क्विंट हिंदी ने मैरीटार गांव पहुंचकर दलालों की धांधली का शिकार बनी सुगंधी गोंड और रविंद्र पासवान से बात की. सुगंधी बताती है कि गांव की ही आरती नामक महिला ने उनसे कहा कि सामूहिक विवाह के फार्म भरे जा रहे हैं. उनसे उनकी बेटी के आधार कार्ड, पैन कार्ड और बैंक पासबुक की फोटो कॉपी मांगे. इसके बाद सुगंधी को आरती ने बताया की उनके खाते में 35000 रूपए आ जाएंगे, जिसमें से 20000 रूपए आरती को देना होगा और बाकी पैसे और सामान सुगंधी रख लेना.
मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं और मैंने अपनी बेटी के कागजात की फोटो कॉपी आरती को सौंप दिए. आरती ने मुझसे फॉर्म भरवाने के नाम पर 200 रुपए भी लिए. इसके बाद 25 जनवरी को मनियर के सामूहिक विवाह में मैं और मेरी बेटी पहुंच गए, जहां ढेर सारी लड़कियों के साथ मेरी बेटी ने भी खुद के गले में वरमाला डाली. कुछ दिनों बाद कुछ लोग घर आए और शादी में मिला सारा सामान अपने पास वापस लेकर चले गए. मेरी बेटी की शादी अभी कहीं तय नहीं हुई है. मेरे पति शरीर से दिव्यांग हैं और बेटे और मैं मेहनत मजदूरी करके अपना घर चलते हैं. मैं गांव में बनी एक झोपड़ी में रहती हूं और जैसे-तैसे मेहनत मजदूरी करके हमारा गुजारा होता है. मुझे अगर पता होता कि ऐसा होगा तो मैं यह काम कभी नहीं करती.सुगंधी गोंड
सामान मिलने का झांसा, शादी की भी नहीं थी जानकारी
मैरीटार गांव के ही निवासी रविंद्र बताते हैं कि गांव की ही आरती ने उनसे कहा था कि मौके पर सामान मिलेगा और उसमें रविन्द्र और अपनी बेटी को साथ में जाना होगा. उन्होंने (आरती ने) शादी- ब्याह की जानकारी मुझे नहीं दी थी.
रविंद्र का आरोप है कि आरती ने बैंक पासबुक की फोटो कॉपी और बेटी के आधार की फोटोकॉपी लेकर फॉर्म भरवा दिया.
मैं गरीब आदमी हूं. सूअर चरा कर जीवन यापन करता हूं. अगर मुझे सामान मिले तो मेरे लिए अच्छा होगा, यह सोचकर मैं सामान के लिए मनियर चला गया और जब वहां पहुंचा तो देखा कि वहां लोगों की शादियां हो रही हैं. हम अपने साथ शादी के लिए कोई लड़का तो ले नहीं गए थे कि वहां शादी हो सके. वहां 30 से 40 लड़कियां बिना दूल्हे के लाइन से खड़ी थीं, सबने अपने हाथ में वरमाला पकड़ी हुई थी. पंडित जी के आदेश पर सभी लड़कियों ने अपने गले में माला पहन ली. इसके बाद हमें सामान मिला और हम उसे लेकर अपने घर चले आए. अब हमसे वह सामान वापस ले लिया गया है. मैं गरीब आदमी हूं, मेरी पांच बेटियां और दो बेटे हैं. मेरी पत्नी की तीन-चार वर्ष पहले मौत हो चुकी है.रविंद्र पासवान
2-3 हजार रुपए में भाड़े पर लाए गए दूल्हे
जांच के दौरान यह बात भी निकाल कर सामने आ रही है कि कई नवयुवकों को पैसे का लालच देकर कार्यक्रम में बतौर दूल्हा शामिल किया गया था. शायद यही वजह है कि कार्यक्रम के दौरान लिए गए एक वीडियो में कुछ दूल्हे अपना चेहरा छुपाते हुए दिखाई दिए.
मनियर ब्लाक के घाटमपुर गांव निवासी बबलू ने बातचीत के दौरान बताया कि "कुछ युवा सामूहिक विवाह का कार्यक्रम देखने गए थे. वहां कुछ लोगों ने 2 से 3 हजार रुपए का लालच देकर उन्हें व अन्य कई युवकों को जबरदस्ती शादी में बैठा दिया था. पर कार्यक्रम के बाद उन्हें पैसे भी नहीं मिले".
'वर्दी उतार दी लेकिन डंडा साथ लेकर आया हूं'
यूपी सरकार में समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने 4 फरवरी को एक बयान में कहा कि "वर्दी तो उतार दी है लेकिन डंडा साथ लेकर आया हूं, कोई दोषी अधिकारी बच नहीं पायेगा."
"मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना" के तहत हुए विवाह में शिकायत मिली थी कि कुल 537 जोड़ों की शादियां कराईं गई हैं, जिनमें कुछ ऐसे जोड़े हैं जिनके विवाह पहले हो चुके हैं और उन्होंने केवल आर्थिक लाभ लेने के लिए आवेदन किया था. मामले में अब तक 240 लोग अपात्र पाए गए हैं. मामले में अनुदान में दी जाने वाली 35 हजार रूपए की धनराशि पर रोक लगा दी गई है तथा लाभार्थियों को दिए गए सामानों को वापस ले लिया गया है.
मुझे इस बात की संतुष्टि है कि इनमें अब तक चार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई और जो दलाल लोगों को ठग रहे थे, उन्हें भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. जांच टीम पूरे मामले की जांच कर रही है. कोई भी ऐसा दलाल या अधिकारी नही बचेगा जिसने सरकारी धन के गबन का प्रयास किया हो.असीम अरुण, समाज कल्याण मंत्री, यूपी
वहीं, समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने 4 फरवरी को मीडिया से बातचीत में बताया कि "मामले में दलालों की भूमिका सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर साठ-गांठ करके अपात्रों को पात्रता की श्रेणी में दिखाने की थी.
कितनों पर हुई कार्रवाई?
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में बलिया में हुए इस धांधली में छानबीन के दौरान जिला प्रशासन ने 4 सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया. पुलिस ने इन चारों सरकारी कर्मचारियों सहित 16 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. जिनमें 12 दलाल किस्म के लोगों के नाम भी शामिल हैं.
मुख्य विकास अधिकारी ओजस्वी राज ने क्विंट हिंदी से बातचीत में बताया "मामले की जांच 20 जिलास्तरीय अधिकारीयों की टीम बनाकर की जा रही है और अब तक जांच में सामने आए 4 सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है. जांच जारी है. जैसे-जैसे नाम सामने आएंगे, कार्यवाही जारी रहेगी. अब तक अनुदान में दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगा दी गई है तथा दिये गए सामानों की रिकवरी करा ली गई है".
(इनपुट-आदित्य कुमार वर्मा)
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