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संसद का मॉनसून सत्र पेगासस विवाद के कारण बिना किसी काम-काज के हंगामे में धुलने की ओर है.जहां सरकार जांच की मांग को खारिज कर 'बचाव मोड' में है वही विपक्ष एक साथ पूरी मजबूती से पेगासस के मुद्दे पर दबाव बना रहा है.
पेगासस विवाद मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का सबब बनता जा रहा है. बीजेपी को यह याद होगा कि कैसे सिर्फ एक मुद्दे पर वो अतीत में पूरे सत्र को चलने देती थी और कांग्रेस सरकारों को घेरने में कामयाब रहती थी.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अगले हफ्ते 'द हिंदू' अखबार के पूर्व चीफ एडिटर एन. राम और एशियानेट के फाउंडर शशि कुमार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करेगा.इस याचिका में पेगासस की मदद से भारतीय नागरिकों की कथित जासूसी और इसके लिए जिम्मेदार संस्थाओं की पहचान करने के लिए एक सिटिंग या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच कराने की मांग की गई है.
मुख्य न्यायाधीश एन.वी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने दायर याचिका की तरफ से बोलते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि "इस मामले का नागरिक स्वतंत्रता पर बहुत बड़ा प्रभाव है क्योंकि इसमें विपक्षी नेताओं ,पत्रकारों और कार्यकर्ताओं की निगरानी से जुड़े मुद्दे शामिल हैं. यह न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी बहस का मुद्दा है."
सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित अब तक तीन याचिका दायर की गई है जिसमें से राज्यसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य जॉन ब्रिटास और वकील एमएल. शर्मा ने अन्य दो याचिकाएं दायर की है.
यह विवाद 18 जुलाई को सामने आया जब 'पेगासस प्रोजेक्ट' के तहत 18 मीडिया हाउस के साथ फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि भारत समेत कई देशों में पेगासस स्पाईवेयर की मदद से कथित जासूसी की जा रही थी.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में केंद्रीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं,पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों का नंबर संभावित टारगेट लिस्ट पर शामिल था.
मानसून सत्र के पहले ही दिन आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि "पेगासस प्रोजेक्ट के आरोप हमारे लोकतंत्र और सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगते हैं".
जहां भारत की सरकार ने पेगासस से संबंधित जासूसी के आरोप को सिरे से खारिज कर जांच की मांग को अस्वीकार कर दिया है वहीं पेगासस खुलासे की जद में आए चार अन्य देशों फ्रांस ,इजरायल, हंगरी और मोरक्को ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
इजरायली अधिकारी जांच के लिए NSO ग्रुप फर्म भी पहुंचे जिसके अगले दिन कथित रूप से NSO ग्रुप ने कुछ सरकारी एजेंसियों को पेगासस के इस्तेमाल से रोक दिया है. कंपनी का कहना है कि वह जांच में पूरा सहयोग कर रही है.
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