फ्रांस (France) की नेशनल साइबरसिक्योरिटी एजेंसी ANSSI ने पुष्टि की है कि दो फ्रेंच पत्रकारों के फोन पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) से संक्रमित हुए थे. ये पहली बार है जब किसी सरकारी एजेंसी ने पेगासस से जासूसी (pegasus snooping) की पुष्टि की है. दोनों पत्रकार फ्रांस के मीडिया संस्थान मीडियापार्ट का हिस्सा हैं.
मीडियापार्ट उस इंटरनेशनल कंसोर्टियम का हिस्सा है, जो पेगासस प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट्स छाप रहा है. ANSSI ने 29 जुलाई को पेगासस से हैकिंग की पुष्टि की.
ANSSI के आईटी स्पेशलिस्ट्स ने मीडियापार्ट के लेनेग ब्रेडोक्स और एडवी प्लेनेल के फोन की जांच की थी. ये जांच पेरिस के प्रॉसिक्यूशन ऑफिस की आधिकारिक जांच का हिस्सा थी.
फ्रांस पेगासस स्पाइवेयर के जरिए पत्रकारों और राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों की संभावित जासूसी की जांच कर रहा है. खुलासा हुआ था कि मोरक्को की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इस संभावित जासूसी को अंजाम दिया है.
मीडियापार्ट ने अपने बयान में कहा, "ANSSI की जांच उसी नतीजे पर पहुंची है जो एमनेस्टी इंटरनेशनल के तकनीकी आकलन में आया था."
जासूसी आरोपों को गंभीरता से ले रहे: फ्रांस से इजरायल
इजरायल के रक्षा मंत्री बेनी गेंट्ज ने अपनी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली को 28 जुलाई को बताया कि वो पेगासस से जासूसी के आरोपों को गंभीरता से ले रहे हैं.
गेंट्ज ने पार्ली को बताया कि आरोपों की जांच करने वाली इजरायली अथॉरिटीज 29 जुलाई को पेगासस बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप के दफ्तर पहुंचे थे और इजरायल इस मुद्दे को 'बहुत गंभीरता' से देख रहा है.
इजरायली अथॉरिटीज का ये इंस्पेक्शन रक्षा मंत्रालय के ट्विटर पर 28 जुलाई को घोषित किया गया था. इसमें कहा गया, "कई संस्थाओं के प्रतिनिधि NSO के दफ्तर पहुंचे और केस से जुड़े आरोपों की जांच की."
NSO ने पेगासस प्रोजेक्ट को खारिज किया है. कंपनी ने कहा कि जो 50,000 नंबरों की लिस्ट जारी की गई है, उनमें शामिल लोग जासूसी के लिए टारगेट नहीं थे. कंपनी ने इस पूरे खुलासे को एक 'साजिश' बताया है.
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