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“सरकार की लापरवाही से हुई है ऑक्सीजन की कमी” - प्रियंका गांधी

“क्या यह मौका हंसने के लिए है? पूरा देश आंसुओं में है. अस्पताल के बिस्तर नहीं हैं, श्मशान भरे हुए हैं...”

आईएएनएस
भारत
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(फोटो: Altered by Quint)
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि वह महामारी के कारण पूरी तरह तबाह हो गई हैं, बिना चिकित्सा सहायता के लोगों के मरने की खबर मिल रही है. IANS से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह समय प्रधानमंत्री के लिए प्रचार अभियान चलाने का नहीं, बल्कि लोगों की आंखों के आंसू पोंछने और नागरिकों को घातक वायरस से बचाने का समय है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी करुणा के साथ काम कर रही है और जरूरतमंदों की मदद करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह प्रधानमंत्री से सवाल करती हैं- “क्या राजनीतिक रैलियों में हंसने का समय है?”

देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद सरकार की प्रतिक्रिया को आप किस रूप में देखते हैं?

सरकार की प्रतिक्रिया बेहद निराशाजनक रही है. प्रधानमंत्री अभी भी अपने चुनाव अभियान में लगे हुए हैं, जबकि लोग कोविड की सबसे बुरी लहर से जूझ रहे हैं. ऐसे समय में, जब सरकार को हमारे चारों ओर फैली भयावह स्थिति से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वह व्यावहारिक रूप से अनुपस्थित प्रतीत होती है. यहां तक कि विपक्षी दलों के रचनात्मक सुझावों को स्वीकार करने के बजाय राजनीतिकरण के रूप में खारिज किया जा रहा है. देश गंभीर संकट में है और हर एक जीवन मायने रखता है, इसलिए हम सभी को एक साथ खड़े होकर जीवन बचाने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, करना चाहिए.

पहली और दूसरी लहर के बीच योजना और तैयारी की कमी जैसी लापरवाही और अक्षम शासन का मैंने पहले कभी नहीं देखा है.

क्या आपको लगता है कि टीकों के निर्यात से बचा जा सकता था?

मैं कहना चाहूंगी कि सत्तर वर्षों के अग्रगामी सोच वाले शासन की बदौलत आज भारत विश्व में टीकों का सबसे बड़ा निर्माता है. फिर भी, जनवरी 2021 और मार्च 2021 के बीच, मोदी जी की सरकार ने दुनिया भर के देशों को टीकों की 6 करोड़ खुराकों का निर्यात किया. नेपाली सेना को एक लाख खुराक भेंट की गई थी, मॉरीशस को कई अन्य राष्ट्रों की तरह 2 लाख खुराकें मिलीं. इसी अवधि के दौरान भारतीय नागरिकों को टीकों की केवल 3 से 4 करोड़ खुराकें ही दिलाई गईं. मोदी सरकार ने भारतीय जीवन को दांव पर लगाकर विदेशी जनसंपर्क और आत्म-संवर्धन को प्राथमिकता क्यों दी?

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क्या आपको लगता है कि सरकार तैयार नहीं थी और अनदेखी की गई?

जब अन्य देशों में दूसरी लहर चरम पर थी, पिछले 6 महीनों में भारत ने 10.1 लाख रेमडेसिविर इंजेक्शन निर्यात किया. अभी 5 दिन पहले निर्यात रोका गया है. अब साफ हो गया है कि देशभर में रेमडेसिविर की कमी हो गई है.

मोदी सरकार ने यह सुनिश्चित क्यों नहीं किया कि रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाया जाए और इसे दूसरे देशों को निर्यात करने की अनुमति देने से पहले हर भारतीय को उपलब्ध कराया जाए?

आगे की सोच वाले वर्षो के शासन के सौजन्य से आज भारत दुनिया में ऑक्सीजन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. हालांकि, पूरे भारत के अस्पतालों में डॉक्टर, मरीज और उनके परिवार के सदस्य ऑक्सीजन के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, क्योंकि यह बीमारी एक बार फिर से उछाल पर है. दरअसल, ऑक्सीजन का पर्याप्त उत्पादन न होना समस्या है. भारत में प्रतिदिन 7500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन होता है. कोविड की पहली लहर जब चरम पर थी, हमारे अस्पतालों की सामूहिक आवश्यकता प्रति दिन आधे से भी कम मात्रा में थी. अभी ऑक्सीजन का परिवहन बढ़ने पर भी किल्लत हो गई है, क्योंकि 2000 से कम ही विशेष ट्रक उपलब्ध हैं.

मोदी सरकार ने मार्च 2020 में महामारी की पहली लहर के बीच वर्ष में पूरे भारत में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए पर्याप्त रसद के उत्पादन और उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए क्या किया और मोदी सरकार ने पिछले एक साल में अस्पताल के बिस्तरों और वेंटिलेटरों की संख्या के लिहाज से भारत की क्षमता बढ़ाने के लिए क्या किया?

यूपी में दूसरी लहर आई विनाशकारी, देखिए, राज्य की राजधानी से आ रही हैं, परेशान करने वाली तस्वीरें. मैंने राज्यभर में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ कई बैठकें की हैं और इस बात पर चर्चा की है कि इन दुखद समय के दौरान हम लोगों के समर्थन के लिए क्या कर सकते हैं. मैंने अपने सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा है कि वे जनता के साथ लगातार संवाद में रहें और अस्पताल के बिस्तरों, ऑक्सीजन, दवाइयों आदि तक पहुंच के साथ लोगों की सहायता करने के लिए जो कुछ भी अपनी शक्ति में है, वह करें. हमारे सभी नेता और कार्यकर्ता इस उद्देश्य के लिए जितना कर सकते हैं, कर रहे हैं.

“ऐसे समय में आवश्यक समर्थन और संवेदनशीलता प्रदान करने के बजाय जब लगभग हर एक परिवार संकट से जूझ रहा है, यूपी सरकार जनता के प्रति हमलावर के रूप में काम कर रही है. संवेदनहीनता, लालफीताशाही और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली का पतन हर मोर्चे पर लोगों को कुचल रहा है, चाहे वह अस्पताल में भर्ती के लिए आवश्यक अनुमति हो या रेमडेसिविर का इंतजाम या बिस्तरों व दवा की कमी वगैरह. हम संवेदनशीलता और करुणा के साथ इन मुद्दों को सुविधाजनक बनाने के लिए उन सभी की सहायता करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.”

एक पार्टी के रूप में, हम उन स्थानों का पता लगाने और आयोजन करने की प्रक्रिया में हैं जिन्हें अस्थायी सुविधाओं में परिवर्तित किया जा सकता है और उन्हें गंभीरतम संकट का सामना कर रहे यूपी के शहरों में उपयोग के लिए सरकार को सौंप दिया जा सकता है. हम इन स्थानों को सौंपने से पहले बुनियादी सुविधाओं से लैस करने की योजना बना रहे हैं. कुछ स्थानों पर हम ऑक्सीजन पैदा करने वाले उपकरणों की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि जरूरतमंद लोगों को मुफ्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा सके. हम उम्मीद कर रहे हैं कि इनमें से कुछ प्रयास अगले कुछ दिनों के भीतर लागू हो जाएंगे.

“हम लगातार ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, जिनका सरकार को तत्काल समाधान करने की जरूरत है और उन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा सके, जिनमें तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है. मैंने कुछ मुद्दों के बारे में मुख्यमंत्री को लिखा है, जो सरकार को पारदर्शी बनाने, सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने और प्रभावित लोगों की मदद करने की जरूरत के बारे में है.”

इस संकट के दौरान रचनात्मक और सहायक बने रहने के लिए यूपी के लोगों के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता है. हम किसी भी हालत में इस अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी का राजनीतिकरण नहीं करेंगे. हम यूपी के लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से समझते हैं. मैंने यूपी सरकार को भी अपना सहयोग देने की पेशकश की है.

लोग देशभर में असहाय महसूस कर रहे हैं, क्या आपको नहीं लगता कि सरकार आवश्यक तत्परता के साथ जवाब देने में विफल रही है?

प्रधानमंत्री इस व्यापक मानव संकट के दौरान सुरक्षा, दिशा या नेतृत्व की भावना प्रदान करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं. यह चौंकाने वाला है कि परसों वह एक सार्वजनिक मंच पर थे, हजारों लोगों को संबोधित कर रहे थे, जहां कोई कोविड प्रोटोकॉल नहीं था और ऐसा करते हुए हंस रहे थे.

“क्या यह मौका हंसने के लिए है? पूरा देश आंसुओं में है. अस्पताल के बिस्तर उपलब्ध नहीं हैं, दवाइयां कम चल रही हैं, श्मशान भरे हुए हैं, फ्रंटलाइन कार्यकर्ता समाप्त हो गए हैं...”

नेतृत्व कहां है? योजना कहां है? हमारे पास सुविधाओं की कमी क्यों है? पीएम फंड से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल कहां किया जा रहा है? उन्होंने टीकों, बिस्तरों, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर- पांच बड़ी कमी को दूर करने के लिए कुछ क्यों नहीं किया? क्या वह अपनी सरकार की खराब योजना और अक्षमता की जिम्मेदारी लेंगे?

और देशभर में छोटे व्यवसायों में लाखों गरीबों और लाखों ईमानदार कामगारों के बारे में क्या? अब वे क्या करेंगे कि हम आसन्न लॉकडाउन और आगे की पीड़ा का सामना कर रहे हैं? मोदी सरकार उन्हें समर्थन देने के लिए क्या कर रही है? यूपी सरकार के अपने सेरो सर्वे के नतीजों से पता चला है कि 5 करोड़ लोगों को मिला है वायरस, कई अन्य सेरो सर्वे में दूसरी लहर आने के संकेत दिखाई दिए, मोदी सरकार ने इस शोध में से कुछ को ब्लॉक क्यों किया और इसके निष्कर्षों को नजरअंदाज कर दिया.

देशभर में डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और फ्रंटलाइन वर्कर्स कोविड के खिलाफ युद्ध लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और प्रधानमंत्री ने उनके बीमा कार्यक्रमों को रद्द करके उन्हें दंडित किया है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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