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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरकार कठुआ और उन्नाव रेप कांड पर मोर्चा संभाला. चार दिन से चौतरफा आलोचना झेलने के बाद पीएम मोदी ने कह दिया हम शर्मसार हैं, इन घटनाओं ने मानवीय झकझोर दिया है. लेकिन बीजेपी का डैमेज कंट्रोल करने वाले पीएम अकेले नहीं थे. सुबह से ही पार्टी ने इसकी कोशिश शुरू कर दी थीं.
सुबह से सीएम योगी सामने आए, फिर गृहमंत्री राजनाथ सिंह आए, बीजेपी के प्रवक्ताओं ने कठुआ और उन्नाव की धीरे धीरे निंदा शुरू की. सीबीआई तड़के ही हरकत में आ गई. सुबह साढ़े चार बजे उन्नाव के विधायक कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया. फिर माखी थाने के 6 पुलिसवालों को हिरासत में ले लिया.
खबर है कि कठुआ मामले में चार्जशीट के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले दो मंत्रियों लाल सिंह और चंद्रप्रकाश गंगा ने बीजेपी अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
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कठुआ और उन्नाव रेप दोनों मामलों में बीजेपी मुश्किल में थी. उन्नाव में बीजेपी विधायक ही बलात्कार और हत्या का आरोपी था जबकि कठुआ में बीजेपी के नेता बलात्कार आरोपियों के पक्ष में आंदोलन करने में सामने आ गए थे.
बीजेपी मीडिया, सोशल मीडिया और राजनीतिक आरोपों में घिर गई थी. कांग्रेस के आधीरात के कैंडल मार्च ने बीजेपी को पूरी तरह बैकफुट पर ला दिया.
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राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने बीजेपी के नेताओं से कहा है कि वे कठुआ जाकर हालात संभालने की पहल करें. बीजेपी के महासचिव और जम्मू-कश्मीर के पार्टी प्रभारी राम माधव ने भी कहा है कि कठुआ कांड का संप्रदायीकरण नहीं होना चाहिए. खुद राजनाथ ने कहा कि राम माधव से उन्होंने बात की है. संभव है माधव खुद जम्मू-कश्मीर जाएं.
उन्नाव कांड में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सीबीआई ने सुबह सुबह गिरफ्तार किया. इसके बार सीबीआई ने पूरे थाने को ही हिरासत में ले लिया. योगी ने ऐलान किया कि किसी को छोड़ेंगे नहीं.
कठुआ में रेप के एक मामले को लेकर जिस तरह के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश हुई और बीजेपी के नेताओं ने माहौल को हवा दी, उससे पार्टी की खूब किरकिरी हुई और प्रधानमंत्री के बेटी बचाओ के नारों को भी भरपूर मजाक उड़ा. सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल पूछे गए.
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राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम से पूछे सवाल
बीजेपी का इस तरह बैकफुट और बचाव की मुद्रा में आना अपने आप में अनोखा है. हैरानी की बात है कि बीजेपी दोनों मामलों में लोगों के गुस्से को भांप नहीं पाई और उसने एक्शन लेने में देरी कर दी. प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों को चेतावनी जरूर दी, पर जिस तरह से एक्शन लेने में ढिलाई की गई उसने विपक्ष को सरकार की कथनी और करनी पर सवाल उठाने का मौका बहुत जोर से मिल गया है.
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