Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 मोरारजी देसाई, देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री

मोरारजी देसाई, देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री

देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनने के पीछे की कहानी

स्तुति मिश्रा
भारत
Updated:
मोरारजी देसाई को देश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का प्रधानमंत्री होने का गौरव हासिल है.
i
मोरारजी देसाई को देश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का प्रधानमंत्री होने का गौरव हासिल है.
फोटो:Twitter 

advertisement

मैं टूट सकता हूं पर झुक नहीं सकता, मोरारजी भाई अक्सर ये कहा करते थे और उन्होंने कई बार इसको निभाया. उनके इसी अड़ियल रवैये की वजह से दो बार उन्होंने कुर्सी तक छोड़ दी. पहली बार 1970 में जब इंदिरा गांधी ने उनसे वित्त मंत्रालय छीनकर 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. दूसरी बार अपने मंत्रिमंडल में बीजेपी और आरएसएस के बीच दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर वो अड़ गए. नतीजा बीजेपी ने जनता पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले लिया और मोरारजी सरकार गिर गई.

मोरारजी देसाई को देश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का प्रधानमंत्री होने का गौरव हासिल है. लेकिन 1970 तक वो कांग्रेसी ही थे, पहले जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में फिर इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में वो गृहमंत्री और वित्तमंत्री रहे. उन्होंने महात्मा गांधी के साथ आजादी की लड़ाई भी लड़ी और जेल गए,

इमरजेंसी, जेपी आंदोलन, जनता पार्टी से गुजरते हुए देसाई देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. उनका कार्यकाल छोटा लेकिन विवादित रहा, फिर भी उनकी खुद की छवि पर कोई दाग नहीं लग पाया. आज उनकी पुण्यतिथि पर एक नजर डालिए उनके सफर पर..

ओम प्रकाश समेत कई फिल्म कलाकारों के साथ मोरारजी देसाईYoutube

गांव के एक अध्यापक के घर में जन्में मोरारजी देसाई ने अपनी पढ़ाई बंबई विश्वविद्यालय से पूरी की और बाद में सिविल सर्विसेस ज्वाइन कर ली.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

लेकिन 1930 में देसाई ने महात्मा गांधी की सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होने के लिए सिविल सेवाओं से इस्तीफा दे दिया. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वो लगभग 10 साल की जेल में रहे. इसके बाद के वर्षों में, देसाई कई बार और जेल गए लेकिन लगातार समाजिक कामों में सक्रिय रहे.

आजादी के बाद 1952 में मोरारजी देसाई बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री बने - बंबई प्रेसिडेंसी में उस वक्त बड़ौदा और गुजरात के राज्य भी शामिल थे.Youtube

आजादी के बाद 1952 में मोरारजी देसाई बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री बने - बंबई प्रेसिडेंसी में उस वक्त बड़ौदा और गुजरात के राज्य भी शामिल थे.

फिर 1956 में देसाई जवाहरलाल नेहरू सरकार में वित्त मंत्री बने, जहां से उन्होंने 1963 में इस्तीफा दे दिया. देसाई सबसे लंबे समय तक वित्त मंत्री रहे और उन्होने सबसे ज्यादा बजट पेश किए. 1967 में उन्हें इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में उप प्रधान मंत्री बनाया गया.

इंदिरा गांधी और कामराज के साथ मोरारजी देसाईYoutube

बाद में कांग्रेस पार्टी कई टुकड़ों में बंटना शुरु हो गई. मोरारजी देसाई पार्टी के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सिंडिकेट) में शामिल हुए, जबकि इंदिरा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (रूलिंग) नाम से संगठन बनाया. 1969 में वो कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष में चले गए.

1977 में जनता पार्टी की भारी जीत के बाद मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री चुना गया.Youtube

इसके बाद से वो लगातार विपक्ष में ही रहे. 1977 में जनता पार्टी की भारी जीत के बाद उन्हें प्रधानमंत्री चुना गया.

Youtube

1975 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से चुनाव में धोखधड़ी मामले में इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला आया. 1975-77 में इमरजेंसी के दौरान देसाई और अन्य विपक्षी नेताओं को इंदिरा गांधी ने जेल भिजवा दिया.

यह भी पढ़ें: VIDEO: भारतीय राजनीति के करिश्माई नेता वाजपेयी की जिंदगी का सफर

मोरारजी देसाई की गिरफ्तारी की खबर देता हुआ 1975 का अखबार Twitter

इमेरजेंसी के बाद 1977 में जयप्रकाश नारायण के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसने इंदिरा गांधी के शासन वाली कांग्रेस सरकार को पूरी तरह उखाड़ फेंका और 1977 के आम चुनावों में जनता पार्टी की भारी जीत हुई.

मोरारजी देसाई को जनता पार्टी ने संसदीय नेता के तौर पर चुना, और देसाई देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री बनें.

हालांकि मोरारजी की सांख पर आंच तब आई जब उनके बेटे के खिलाफ पैसों की हेराफेरी के आरोप लगे. चाहें खुद उनकी छवि हमेशा बेदाग रही हो, लेकिन बेटे के खिलाफ कार्यवाही ना करना उनके सहयोगियों के लिये चौंकाने वाला रहा.

यह भी पढ़ें: आपातकाल ने लोकतंत्र को कैसे कुचला, किताबों में पढ़ेंगे बच्चे

राजनीति से सन्यास लेने के बाद देसाई मुबई में रहते रहे और 10 अप्रैल 1995 को 99 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गयाYoutube

1979 में जनता पार्टी के दो और वरिष्ठ सदस्य राज नारायण और चरण सिंह ने देसाई सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद 83 साल के देसाई को प्रधानमंत्री पद और राजनीति से इस्तीफा देना पड़ा.

Reuters

राजनीति से सन्यास लेने के बाद देसाई मुबई में रहते रहे और 10 अप्रैल 1995 को 99 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

यह भी पढ़ें: Modi Web Series Review: सिर्फ मोदी जी का महिमामंडन और कुछ भी नहीं

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 10 Apr 2018,04:10 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT