चुनावों के इस सीजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फिल्म और वेब सीरीज, दोनों आ रही है. जहां फिल्म को रिलीज होने में अभी वक्त है, वहीं वेब सीरीज 'मोदी: जर्नी ऑफ ए कॉमन मैन' के कुछ एपिसोड्स रिलीज हो गए हैं. प्रोपगेंडा बताई जा रही ये सीरीज वाकई वही है. इसमें बस नरेंद्र मोदी का महिमामंडन किया गया है.
सीरीज की शुरुआत इमरजेंसी से होती है, जब इंदिरा गांधी के फैसले के बाद पूरे देश में प्रदर्शन शुरू हो गए थे. आरएसएस के सच्चे कार्यकर्ता के तौर पर युवा नरेंद्र मोदी संघ के वरिष्ठ लोगों के साथ मिलकर विरोध का प्लान बनाते हैं. सीरीज में नरेंद्र मोदी के बचपन की भी कहानी साथ-साथ चलती है. एक तरफ 1975 में इमरजेंसी के समय 25 वर्षीय नरेंद्र मोदी नजर आते हैं, तो वहीं 1960 में स्कूल जाता 12 साल का नरेंद्र.
शुरुआत के पांच एपिसोड में नरेंद्र मोदी के चाय बेचने से लेकर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ से जुड़ने और फिर इमरजेंसी के दौरान आरएसएस कार्यकर्ता के तौर पर काम करने की कहानी दिखाई गई है. मोदी की शादी का जिक्र भी एक जगह आता है, लेकिन जसोदाबेन शुरुआती पांच एपिसोड्स से गायब हैं.
सीरीज में कुछ सीन काफी लंबे हैं. इन्हें आसानी से छोटा किया जा सकता था, लेकिन कैरेक्टर बिल्डिंग के कारण इन्हें जबरदस्ती घुसाया गया है, जैसे बात-बात पर ज्ञान देने या फिर जॉर्ज फर्नांडिज को ‘अहिंसा’ का पाठ पढ़ाने वाले. मोदी का 'सेंस ऑफ ह्यमूर' दिखाने के लिए जिन सीन का इस्तेमाल किया गया है, वो इरिटेट करते हैं. हर एपिसोड को देखकर आपका मन सोचेगा कि ये कब खत्म होगा. इस सीरीज में बांध के रखने वाला कुछ नहीं है.
फिल्म का डायरेक्शन उमेश शुक्ला ने किया है, जो इससे पहले 'ओएमजी: ओह माय गॉड' और '102 नॉट आउट' जैसी सक्सेसफुल बना चुके हैं, लेकिन लगता है इस बार वो अपना टारगेट हिट नहीं कर पाए. सीरीज देखकर ऐसा लगता है कि ये कम बजट और जल्दी में बनाई गई है.
फिल्म की पूरी कास्ट लगभग टीवी स्टार्स की है. 12 वर्षीय नरेंद्र मोदी का रोल फैजल खान और 25 साल के नरेंद्र का रोल आशीष शर्मा ने निभाया है. बचपन में मोदी का हाव-भाव कैसा था, ये तो हमें नहीं मालूम, लेकिन 25 वर्षीय मोदी के रोल में आशीष नरेंद्र मोदी को कॉपी करने में असफल रहे हैं. सीरीज में हर नाम के पीछे ‘भाई/बेन’ और एक-आध डायलॉग्स छोड़कर लगता नहीं कि ये शो गुजरात और गुजरातियों पर आधारित है.
प्रोपगेंडा नहीं तो और क्या है?
चुनावों से पहले सीरीज के रिलीज होने का एक ही मतलब है, जिसपर ये बनी है, उस शख्स को फायदा पहुंचाना. ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले लाइमलाइट में नहीं थे. वो 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने.
किशोर मकवाना की जिस किताब- Common Man’s PM- Narendra Modi, पर ये वेब सीरीज बनी है, वो भी साल 2015 में आई थी. ऐसे में बतौर पीएम, मोदी के पांचवें साल, चुनावों से ठीक पहले इस सीरीज को रिलीज करने का कोई और मतलब तो नहीं निकलता दिखता.
आगे के पांच एपिसोड में मोदी के रोल में महेश ठाकुर होंगे, जो मोदी की राजनीति में एंट्री और फिर सीएम और पीएम बनने का सफर दिखाएंगे. वो एपिसोड कैसे होंगे, ये तो अभी नहीं कहा जा सकता, लेकिन शुरुआती पांच एपिसोड काफी बोर करते हैं. नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम के शानदार शो छोड़कर क्या आपको ये सीरीज देखनी चाहिए? बिल्कुल भी नहीं!
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