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आपातकाल ने लोकतंत्र को कैसे कुचला, किताबों में पढ़ेंगे बच्चे

43 साल पहले 26 जून 1975 को लागू किए आपातकाल के बुरे दौर अब सिलेबस का हिस्सा हो सकते हैं.

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43 साल पहले 26 जून 1975 को लागू किए आपातकाल के बुरे दौर अब सिलेबस का हिस्सा हो सकते हैं. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को इसके संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि भावी पीढ़ियों को आपातकाल के काले दौर के बारे में बताने के लिए इसे टेक्स्ट बुक का हिस्सा बनाया जाएगा.

आपातकाल पर हमारे टेक्स्टबुक्स में चैप्टर और रेफरेंस हैं. लेकिन हम सिलेबस में ये भी शामिल करेंगे कि कैसे आपातकाल के ‘काले दौर’ ने लोकतंत्र को प्रभावित किया है. ताकि भावी पीढ़ियों को इसके बारे में पता चल सके. 
प्रकाश जावडेकर, मानव संसाधन विकास मंत्री
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बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी. इस ऐलान के बाद देश में हाहाकार मच गया. सरकार की आलोचना करनेवालों को जेलों में ठूंस दिया गया. लिखने, बोलने यहां तक कि सरकार के खिलाफ हर विचार तक पर पाबंदी लगा दी गई. आपतकाल की आलोचना आज भी जमकर होती है और दूसरी पार्टियां इसके लिए कांग्रेस को जमकर निशाने पर लेती हैं.

क्या हिटलर से प्रेरित होकर आपातकाल की पटकथा लिखी गई थी: जेटली

जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच तुलना करते हुए केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में तब्दील कर दिया. 3 भाग वाले अपने लेख ‘ द इमरजेंसी रिविजिटेड ' के दूसरे भाग में जेटली ने कहा कि हिटलर के विपरीत इंदिरा गांधी ने एक कदम आगे बढ़कर भारत को ‘ वंशवादी लोकतंत्र ' में तब्दील करने की कोशिश की. अपने फेसबुक पोस्ट में जेटली ने आश्चर्य जताया कि आपातकाल की पटकथा नाजी जर्मनी में 1933 में जो कुछ भी हुआ क्या उससे प्रेरित थी.

लोकतंत्र के लिए काला दिन है 25 जून: केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह

केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र के लिए 25 जून काला दिन है. आईआईटी गुवाहाटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,‘‘ ये बहुत खास दिन है. न सिर्फ आईआईटी-गुवाहाटी के छात्रों के लिए बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए भी और हम इसे काला दिन कहते हैं. करीब 43 साल पहले इसी दिन- 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था. इसलिए मैं इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन कहता हूं. '' सिंह ने कहा , ‘‘ मुझे यकीन है कि अपनी डिग्री हासिल कर रहे छात्र इस दिन को याद रखेंगे. उनके लिए यह बहुत अच्छा दिन है, लेकिन लोकतंत्र के लिए ये काला दिन है. ''

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