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लगभग एक साल पहले उत्तर प्रदेश की सियासत में भूचाल लाने वाला उन्नाव रेप केस फिर से सुर्खियों में है. 28 जुलाई की शाम रायबरेली में हुए सड़क हादसे में केस की अहम गवाह और रेप पीड़िता की कार को सामने से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी. हादसे में रेप पीड़िता गंभीर रुप से जख्मी हो गई जबकि उसकी मौसी और चाची की मौत हो गई. इसके बाद सवाल उठने लगे हैं. क्या वाकई कार और ट्रक की टक्कर महज एक सड़क हादसा है, या फिर किसी सोची समझी साजिश के तहत पीड़िता को खत्म करने की कोशिश? मौके पर ट्रक के नंबर प्लेट पर पुती कालिख और पीड़िता के गनर का ना होना खुद-ब-खुद संदेह पैदा करने के लिये काफी है.
रेप पीड़िता अपनी मौसी, चाची और एक वकील के साथ रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलकर लौट रही थी. इसी बीच गुरबख्शगंज इलाके में पीड़िता की कार को सामने से आ रहे ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी. शुरुआती स्तर पर लोगों को लगा ये महज हादसा है, लेकिन जब नजर ट्रक के नंबर प्लेट पर गई तो सभी चौंक गए. ट्रक के नंबर प्लेट पर काला ग्रीस लगा था, यानि नंबर छिपाने की कोशिश. इसके बाद लोगों का हादसे को देखने का नजरिया बदल गया. हालांकि पुलिस इसे महज हादसा बता रही है. नंबर प्लेट को लेकर पुलिस का अपना तर्क है. पुलिस के मुताबिक मौरंग की ओवरलोडिंग के दौरान आरटीओ से बचने के लिए कुछ ट्रक वाले अपने नंबर प्लेट पर काला रंग लगा देते हैं. हालांकि ये बात लोगों के गले नहीं उतर रही है क्योंकि जिस वक्त ये हादसा हुआ, ट्रक खाली था.
उन्नाव रेप मामले की पीड़िता को सरकार की ओर से सुरक्षा देने के लिए 1 पुरुष और दो महिला गनर मुहैया कराए गए हैं, जो 24 घंटे पीड़ित परिवार के साथ रहते थे. बताया जा रहा है कि पीड़िता आमतौर पर गनर के साथ ही घर से बाहर निकलती थी. लेकिन जिस वक्त हादसा हुआ, सुरक्षाकर्मी उसके साथ मौजूद नहीं थे. सवाल ये है कि जब पीड़िता बगैर गनर के घर से बाहर नहीं निकलती, तो वो घर से करीब 150 किमी दूर दूसरे शहर के लिए आखिर कैसे बगैर गनर लिए चल पड़ी. इस सवाल के जवाब के तौर पर कहा जा रहा है कि पीड़िता और उसका परिवार जिस कार में सवार था, उसमें सिर्फ पांच लोगों के ही बैठने की जगह थी.
इस घटना को लेकर कई तरह की चर्चा चल रही हैं. मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि जिस वक्त ट्रक ने कार को टक्कर मारी, उस दौरान बाइक सवार एक शख्स कार को ट्रैक करते हुए मौके पर पहुंचा था. चूंकि मौसम बारिश का है, लिहाजा बाइक सवार रेनकोट पहने था. स्थानीय लोगों के अनुसार वह युवक जब घटनास्थल पर पहुंचा तो लगातार किसी से बात कर रहा था. ये शख्स पीड़ितों को बचाने के बजाय उनका वीडियो बनाने लगा. ये देख आसपास के लोगों से उसे डांटा. लोगों ने कहा कि हादसे के शिकार लोगों को बचाने के बजाय वीडियो बना रहे हो. इसके कुछ देर बाद वह युवक भाग निकला.
उस वक्त लोगों को ये नहीं मालूम था कि हादसे का शिकार परिवार उन्नाव रेप कांड से जुड़ा है. लेकिन जैसे ही लोगों को इस बात की जानकारी हुई. उनके कान खड़े हो गए. लोगों के बीच रेनकोट वाले युवक को लेकर कानाफूसी शुरू हो गई. युवक कौन था ? फिलहाल पुलिस भी उस युवक की तलाश कर रही है.
हो सकता है कि ये घटना एक हादसा हो. लेकिन जिस तरह से इस घटना में एक के बाद एक तीन इत्तेफाक सामने आएं हैं, अगर इन तीनों कड़ियों को जोड़ दिया जाए, तो ये साफ हो जाता है कि घटना के पीछे एक साजिश है.
इत्तेफाक नंबर -1
जिस ट्रक से कार का एक्सीडेंट हुआ, उसके नंबर प्लेट के साथ क्यों छेड़छाड़ की गई ?
इत्तेफाक नंबर-2
हर वक्त गनर के साए में रहने वाली रेप पीड़िता के साथ घटना के दिन गनर ना होना. क्या ड्यूटी पर ना रहने के दौरान गनर ने अपने सीनियर्स को इस बात की सूचना दी थी?
इत्तेफाक नंबर-3
घटनास्थल पर पहुंचे रेनकोट वाले शख्स की क्या मिस्ट्री है. पहले उसका वीडियो बनाना और फिर अचानक गायब हो जाना, किस बात की ओर इशारा कर रहा है?
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पिछले साल बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उनके गांव की युवती ने जून 2017 में किये गए रेप का आरोप लगाया था. पीड़िता के अनुसार कुलदीप सिंह सेंगर ने अपने घर पर उस वक्त रेप किया जब वह अपने रिश्तेदार के साथ विधायक के घर नौकरी मांगने गई थी. इस मामले में पुलिस ने लड़की की एफआईआर नहीं लिखी तो उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लड़की का आरोप था कि विधायक और उसके साथी पुलिस में शिकायत नहीं करने का दबाव बनाते रहे. इस बीच जब लड़की के पिता थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने उल्टे उन्हें ही हिरासत में ले लिया. आरोप है कि हवालात में उनकी जमकर पिटाई की गई. इस बीच इंसाफ ना मिलता देख पीड़िता ने अपने परिवार के साथ लखनऊ में आत्मदाह की कोशिश भी की थी. उस वक्त ये मामला इतना तूल नहीं पकड़ पाया. अधिकारियों ने इस मामले को बहुत गंभीरता से नहीं लिया.
मामला चूंकि सत्ता पक्ष के बाहुबली विधायक से जुड़ा था. ऐसे में सरकार भी उनके ऊपर शिकंजा नहीं कस रही थी. कहा तो ये भी जाता है कि आखिरी वक्त तक सरकार ने कुलदीप सेंगर को बचाने की भरपूर कोशिश की. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गिरफ्तारी के दिन जब विधायक अपने आवास से निकले तो पूरे तेवर में थे. उनके गुर्गों ने कुछ मीडियाकर्मियों के साथ बदलसूलकी भी थी. फिलहाल मामले में सीबीआई जांच चल रही है. बताया जा रहा है कि युवती के चाचा इस मामले में पैरवी कर रहे थे लेकिन कुछ महीने पहले एक दूसरे मामले में उन्हें जेल भेजा गया है. वह रायबरेली जेल में बंद है.
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