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यूपी के बाराबंकी जिले में जहरीली शराब पीने से एक बार फिर कोहराम मचा है. बाराबंकी में जहरीली शराब से अब तक 23 लोगों की मौत हुई है और अभी भी काफी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें कई गंभीर हालत में है. बड़ी बात यह है कि प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब सरकारी शराब के ठेके से जहरीली शराब बेची गई हो. वो भी प्रॉपर रैपर और हॉलमार्क के साथ.
कहा जा रहा है कि इस तरह की पैकिंग में असली-नकली का फर्क सिर्फ आबकारी विभाग या इस धंधे के बेहद करीबी ही समझ सकते हैं. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. लेकिन सवाल यह है कि अभी तक चोरी छिप्पे बिक रही नकली शराब सरकारी ठेके तक कैसे पहुंच गई?
यूपी में जहरीली शराब की यह पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी यूपी में शराब कांड ने कोहराम मचाया है. लेकिन इस बार शराब माफियाओं ने सभी सीमाओं को तोड़ दिया. नकली शराब को असली बोतल में पैक कर सरकारी तय रेट पर बेचा है. आखिर मुनाफाखोर माफिया इस हैसियत तक पहुंचे कैसे ? पुलिस और आबकारी विभाग के मिलीभगत पर तो पहले से ही आरोप लगते रहे हैं. फिर भी कभी ऐसा तरीका सामने नही आया. कहा जा रहा है कि बाराबंकी शराब कांड के तार हाल में हुए लोकसभा चुनाव से भी जुड़े हो सकते हैं.
देसी शराब में क्रेजी रोमियो, बांम्बे विस्की, रेस, रॉयल पटियाला, स्टार और पावर हाउस जैसे ब्रांड खूब चलन में है. लिहाजा माफिया इसका जमकर फायदा उठाते हैं. पहले अवैध शराब छिप कर गली-मोहल्लों और गांव में बेची जाती थी. यहां तक कि डिमांड डिलिवरी भी होती थी. लेकिन चुनाव में बढ़ी डिमांड में यह ठेके तक पहुंच गई. ये बात तब और पुख्ता हो गई जब बाराबंकी के रानीगंज स्थित शराब के ठेके से महज कुछ ही दूरी पर भारी मात्रा में शराब पैकिंग की शीशियां, रैपर और ढक्कन बरामद हुए.
यूपी में वैध देसी शराब की कीमत 1800 रुपए से लेकर 3600 रुपए प्रति पेटी है. लेकिन शराब माफिया अवैध शराब 800-900 रुपए प्रति पेटी में उपलब्ध कराते हैं. ऐसे में कह सकते हैं शराब माफियाओं को प्रति पेटी तीन गुने से भी ज्यादा की बचत होती है.
चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस और आबकारी विभाग ने विशेष अभियान चलाकर 11 लाख लीटर अवैध शराब बरामद की. 19 मई को सातवें व अंतिम चरण के मतदान के बाद ये अभियान समाप्त हो गया. अभी दस दिन भी नहीं बीते थे कि ये हादसा हो गया.
हैरान करने वाली बात यह है कि सरकारी खजाने की कमाई में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी के बाद भी लखनऊ में जहरीली शराब में मिलावट परखने की तकनीक रीजनल लैब में नहीं है.
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार अब तब आठ बार जहरीली शराब से करीब 172 लोगों की मौत हुई है-
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