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Lok Sabha Election 2024: 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी चल रही है. इसके मद्देनजर ऐसी कई हिंदी फिल्में रिलीज हुई हैं, जो साफ तौर से हिंदुत्व समर्थक या बीजेपी समर्थक नेरेटिव पेश करती हैं. जैसे, 'स्वतंत्र वीर सावरकर', 'जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी', 'अनुच्छेद 370', 'मैं अटल हूं' वगैरह.
इस फेहरिस्त में कुछ कम चर्चित फिल्में भी शामिल हैं, जो रिलीज हो चुकी हैं या होने वाली हैं, जैसे 'बंगाल 1947', 'रजाकार' और 'एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी: गोधरा'.
बेशक, ये फिल्में एक अहम राजनैतिक नेरेटिव तैयार करती हैं. लेकिन यह कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है. क्विंट हिंदी ने इस बात की गहराई से जांच की कि ये फिल्में किस तरह बनाई गईं, किस तरह इनका प्रचार किया गया. हमारे नतीजे इस प्रकार हैं:
इनमें से बहुत सी फिल्मों को बनाने वालों का बीजेपी और एक मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से साफ तौर से संबंधित हैं.
बीजेपी नेता और पदाधिकारी, और कुछ मामलों में बीजेपी के नेतृत्व वाली राज्य सरकारें, इन फिल्मों का प्रचार करने में सक्रिय रूप से शामिल हैं.
इन दोनों पहलुओं को हम इस स्टोरी में साबित करेंगे.
लोकसभा चुनाव अप्रैल और मई में होने वाले हैं. हमने पाया कि जनवरी 2024 के बाद से रिलीज हुई कई फिल्मों का निर्देशन और निर्माण बीजेपी, और एक मामले में आरएसएस से जुड़े लोगों ने किया है. कई फिल्में अभी रिलीज होनी बाकी हैं, लेकिन उनके टीजर ने पहले ही बड़े पैमाने पर दर्शक जुटा लिए हैं.
फिल्म को वामपंथी स्टूडेंट राजनीति की आलोचना के तौर पर पेश किया जा रहा है, और इसका टाइटल दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी का अप्रत्यक्ष संदर्भ देता है.
फिल्म का निर्माण महाकाल मूवीज प्राइवेट लिमिटेड ने किया है. इस कंपनी के निदेशकों में से एक विष्णु टांटिया हैं. वह गोपाल गोयल के व्यापारिक सहयोगी हैं, जिन्हें गोपाल कांडा के नाम से जाना जाता है. गोपाल कांडा हरियाणा में बीजेपी के गठबंधन वाले नेता हैं.
तांतिया और गोयल एक साथ कई कंपनियों में निदेशक हैं, जैसे एमडीएलआर एयरलाइंस, एमडीएलआर स्टील और एमडीएलआर इंफ्रास्ट्रक्चर. कई दूसरी कंपनियों में टांटिया गोपाल कांडा के परिवार के सदस्यों के साथ निदेशक हैं.
फिल्म की रिलीज की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है.
कट्टर हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर पर बनी इस बायोपिक का निर्देशन रणदीप हुड्डा ने किया है, जो इसमें मुख्य भूमिका भी निभा रहे हैं. यह सिनेमाघरों में 22 मार्च 2024 को रिलीज हुई थी.
फिल्म के निर्माताओं में से एक आनंद पंडित हैं, जो खुद यह कह चुके हैं कि वह 30 सालों से भी ज्यादा वक्त से बीजेपी के सदस्य हैं. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वह महाराष्ट्र बीजेपी के कोषाध्यक्ष थे.
आनंद पंडित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक के भी निर्माता थे, जिसमें विवेक ओबरॉय ने अभिनय किया था. इत्तेफाक से, वह फिल्म भी 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज हुई थी.
पंडित को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब आनंद पंडित फिल्म उद्योग से उनके करीबी व्यक्ति माने जाते थे.
इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स ने ऑफशोर एकाउंट होल्डर्स का जो डेटाबेस जारी किया था, आनंद पंडित का नाम उसमें भी शामिल था. वैसे उनका पूरा नाम आनंद कमलनयन पंडित है और डेटाबेस से पता चलता है कि 2008 से ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में उनके नाम से बैंक अकाउंट्स हैं.
आनंद पंडित के साथ पीएम मोदी और सावरकर की बायोपिक का निर्माण करने वाले लोगों में से एक हैं, संदीप सिंह. वह 'मैं अटल हूं' के निर्माताओं में से एक भी हैं, जो हाल ही में पंकज त्रिपाठी अभिनीत पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक है.
विपक्ष पहले भी आरोप लगा चुका है कि संदीप सिंह का बीजेपी से संबंध है.
2020 में जब संदीप सिंह पर ड्रग्स के आरोप लगे थे, तब कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि संदीप ने बीजेपी नेताओं को 53 कॉल किए थे. तब महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मांग की थी कि बीजेपी के साथ संदीप के संबंधों की सीबीआई जांच की जाए.
इस तेलुगू फिल्म को 'रजाकर: द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद' के रूप में भी प्रचारित किया जा रहा है. यह हिंदी, कन्नड़, मलयालम में डब है.
इसका निर्माण गुडुर नारायण रेड्डी ने समरवीर क्रिएशन्स के तहत किया है. रेड्डी तेलंगाना में बीजेपी की कार्यकारी समिति का हिस्सा हैं और वह 2023 के विधानसभा चुनावों में भोंगिर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार थे. उन्हें सिर्फ 9200 वोट मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी.
2002 के गोधरा रेल नरसंहार पर दो फिल्में बनी हैं, जो 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले रिलीज होने वाली हैं. एक है, विक्रांत मैसी अभिनीत 'द साबरमती रिपोर्ट'. इसका निर्माण एकता कपूर की बालाजी फिल्म्स ने किया है, और दूसरी एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी: गोधरा है. इसकी तरफ ज्यादा लोगों का ध्यान नहीं गया है.
इसका निर्माण ओम त्रिनेत्र प्रोडक्शंस और आर्टवर्स स्टूडियो ने किया है. फिल्म में रणवीर शौरी, मनोज जोशी और हितू कनोडिया जैसे कलाकार हैं. गुजराती अभिनेता हितू कनोडिया 2017 से 2022 तक गुजरात के इदर निर्वाचन क्षेत्र से बीजेपी विधायक भी रहे हैं. उनके पिता नरेश कनोडिया भी बीजेपी विधायक रहे हैं जबकि चाचा महेश कनोडिया बीजेपी सांसद रहे हैं.
कई हिंदी और गुजराती फिल्मों में भी काम कर चुके मनोज जोशी बीजेपी के कैंपेन एड्स में काम कर चुके हैं.
फिल्म के निर्देशक एमके शिवाक्ष को उत्तर प्रदेश सरकार ने 2022 में विधानसभा चुनानवों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए प्रचार गीत बनाने का काम दिया था.
गोधरा फिल्म के निर्माता बीजे पुरोहित भी बीजेपी समर्थक माने जाते हैं.
यह फिल्म विभाजन के दौरान बंगाल हिंसा पर केंद्रित है. हालांकि, हिंसा दोनों तरफ से हुई थी, लेकिन फिल्म मुख्य रूप से हिंदुओं पर मुस्लिम अत्याचारों की कहानी है. यह फिल्म 29 मार्च, 2024 को रिलीज हुई.
फिल्म का निर्देशन आकाशादित्य लामा और निर्माण कॉम्फेड प्रोडक्शंस ने किया है.
लामा भारतीय चित्र साधना (BCS) नामक संगठन के संयुक्त सचिव हैं. यह संगठन 2016 में बना था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा हुआ है, और फिल्मी दुनिया में संघ की पहुंच बढ़ाने का काम करता है.
संगठन के अध्यक्ष बीके कुठियाला हैं, जो एक प्रमुख हिंदुत्व विचारक माने जाते हैं. 2019 में उन्हें हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य उच्च शिक्षा परिषद का अध्यक्ष बनाया था.
बीसीएस ने 23-25 फरवरी, 2024 तक हरियाणा के पंचकुला में एक भव्य फिल्म महोत्सव आयोजित किया. महोत्सव का उद्घाटन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया था, और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पुरस्कार समारोह के अध्यक्ष थे. इसमें कई बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं ने हिस्सा लिया था, जिन्होंने हाल ही में कई हिंदुत्व समर्थक फिल्में बनाई हैं. जैसे विवेक अग्निहोत्री ('कश्मीर फाइल्स' के निर्देशक), विपुल शाह ('द केरल स्टोरी' और 'बस्तर: द नक्सल स्टोरी' के निर्माता) और सुदीप्तो सेन ('द केरल स्टोरी' और 'बस्तर: द नक्सल स्टोरी' के निर्देशक).
बीसीएस सलाहकार बोर्ड में सुभाष घई, हेमा मालिनी, मधुर भंडारकर, विवेक अग्निहोत्री और प्रियदर्शन जैसी प्रमुख हस्तियां शामिल हैं.
अब तक हमने यह बताया कि कैसे बीजेपी, और एक मामले में आरएसएस से जुड़े लोग चुनावों से पहले रिलीज हुई कुछ हिंदुत्व समर्थक फिल्मों के पीछे हैं और कैसे बीसीएस जैसी संस्था व्यवस्थित रूप से ऐसे फिल्म निर्माताओं को एक मंच पर इकट्ठा कर रही है.
अब यह जानिए कि कैसे इन फिल्मों को प्रमोट करने में बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोग भी सक्रिय रूप से शामिल हैं?
13 मार्च को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संबद्ध राष्ट्रीय कला मंच ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में निर्देशक सुदीप्तो सेन की 'बस्तर: द नक्सल स्टोरी' की स्क्रीनिंग की.
इस कार्यक्रम में सुदीप्तो सेन और ऐक्टर अदा शर्मा मौजूद थे. ये दोनों पहले 'द केरल स्टोरी' के साथ जुड़े हैं जो फिल्म पिछले साल रिलीज हुई थी और कथित तौर पर इस्लामोफोबिया को बढ़ावा देने के कारण कानूनी पेचीदिगों में फंस गई थी.
वामपंथी समूहों ने जेएनयू में बस्तर की रिलीज की काफी आलोचना की और कहा कि इसमें जेएनयू स्टूडेंट्स को 'बदनाम' किया गया है. “बस्तर जैसी फिल्में खुले तौर पर सड़कों पर जेएनयू स्टूडेंट्स को गोली मारने की अपील करती हैं. अगर सच में किसी स्टूडेंट को गोली मार देगा तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?” हाल ही में निर्वाचित, जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के प्रेज़िडेंट धनंजय ने क्विंट हिंदी को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही.
एबीवीपी ने 18 मार्च को हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के परिसर में भी फिल्म की स्क्रीनिंग की
ये घटनाएं अलग-थलग नहीं हैं. मुफ्त स्क्रीनिंग, टैक्स छूट और सोशल मीडिया पर प्रचार के जरिए बीजेपी, और एबीवीपी और भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) सहित उसके सहयोगी लोकसभा चुनाव से पहले ऐसी कई फिल्मों का प्रचार कर रहे हैं.
मिसाल के तौर पर 'आर्टिकल 370' को लें. भारत के संविधान में इसी अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा मिला था और 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इसे निरस्त कर दिया था. फिल्म उसी पर आधारित है.
दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार के कई शुरुआती अहम फैसलों में से एक फैसला इस अनुच्छेद को रद्द करना भी था.
जम्मू में मौलाना आजाद स्टेडियम में एक सार्वजनिक रैली को में प्रधानमंत्री ने कहा था:
फिल्म को दो बीजेपी शासित राज्यों- छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में टैक्स फ्री किया गया था.
विभिन्न राज्यों में इस फिल्म की स्क्रीनिंग में पार्टी के कई नेता शामिल हुए. कुछ जगहों पर फिल्म की स्क्रीनिंग और चुनाव प्रचार साथ-साथ किए गए. जैसे, कर्नाटक के उडुपी-चिकमगलूर से बीजेपी उम्मीदवार कोटा श्रीनिवास पुजारी ऐसे एक कार्यक्रम में पहुंचे.
2019 में भी बीजेपी पदाधिकारियों ने फिल्म 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' की स्पेशल स्क्रीनिंग की थी. दिलचस्प बात यह है कि 'उरी' भी उसी साल लोकसभा चुनाव से पहले रिलीज हुई थी.
इत्तेफाक से, 'आर्टिकल 370' और 'उरी', दोनों फिल्मों के निर्माता एक ही हैं- आदित्य धर.
2024 में वापस आते हैं. 'मैं अटल हूं' को महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में प्रदर्शित किया गया था.
महाराष्ट्र बीजेपी नेता निरंजन वसंत डावखरे ने फिल्म की मुफ्त स्क्रीनिंग भी की थी.
ऐसी ही एक और स्क्रीनिंग रता साहा ने की थी, जो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा के भाई हैं.
बीजेपी पदाधिकारियों ने 'रजाकार' फिल्म का भी प्रचार किया है. करीमनगर के सांसद बंदी संजय कुमार ने तेलंगाना के लोगों से फिल्म देखने की अपील की. उन्होंने मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से कहा कि फिल्म को इंटरटेनमेंट टैक्स से छूट दी जाए.
कई दूसरे बीजेपी नेताओं ने भी फिल्म की स्क्रीनिंग कराई.
ऐसी कई स्क्रीनिंग में मौजूद युवा मोर्चा के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द क्विंट को बताया कि “दशकों तक भारतीय सिनेमा पर वामपंथियों का कब्जा था. यह एकदम सही है कि सच्चाई आखिरकार सामने आ रही है."
उन्होंने इस बात को खारिज किया कि चुनावों के समय ऐसी फिल्मों की रिलीज की जा रही है, और इसमें गड़बड़झाला है. युवा मोर्चा पदाधिकारी ने कहा, “हमें चुनाव जीतने के लिए इन फिल्मों की जरूरत नहीं है. ये सिर्फ लोगों को हमारे देश का सही इतिहास जानने के लिए हैं."
फिल्म 'बंगाल 1947' को बीजेपी से ज्यादा, आरएसएस से जुड़े लोग प्रमोट कर रहे हैं. आरएसएस विचारक रतन शारदा और आरएसएस दिल्ली मीडिया प्रभारी राजीव तुली दोनों ने फिल्म का प्रचार करते हुए एक्स पर पोस्ट किया.
फिल्म निर्माता लगातार भी इस बात से इनकार करते रहे हैं कि इन फिल्मों की रिलीज के समय का लोकसभा चुनाव से कोई लेना-देना है.
यह बात अलग है कि इस ताकतवर इकोसिस्टम की मदद के बावजूद इन फिल्मों की व्यावसायिक सफलता की कोई गारंटी नहीं है.
इन फिल्मों में से सिर्फ 'आर्टिकल 370' ही बॉक्स ऑफिस पर हिट रही है. 'बस्तर' और 'मैं अटल हूं' दोनों ही बुरी तरह असफल रहीं, जबकि 'सावरकर' का प्रदर्शन औसत रहा.
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