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कांग्रेस ने घोषणापत्र से क्या साधा? युवाओं-आधी आबादी पर फोकस, वोट पर नजर लेकिन OPS पर चुप्पी

Congress Manifesto: कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में तमाम बड़े घोषणाओं से समाज के किन तबकों को साधने की कोशिश की है?

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भारत
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लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha Election 2024) का रण तैयार है. चुनावी बिसात पर शह और मात के खेल का हर खिलाड़ी अपनी-अपनी चाल रहा रहा है. कांग्रेस (Congress Manifesto) पार्टी भले ही उम्मीदवारों के ऐलान को लेकर बीजेपी (BJP) के सामने सुस्त दिखाई पड़ रही है लेकिन उसने अपना घोषणापत्र पहले जारी करके दिखा दिया है कि उधर से भी तैयारी कम नहीं है. जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस देना, देश भर में जाति जनगणना कराना, अग्निपथ योजना को हटाना और सरकारी नौकरियों में 30 लाख रिक्तियों को भरना, ये कुछ ऐसे वादे हैं जो कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपने घोषणापत्र में किए हैं.

चलिए समझते हैं कि पार्टी ने अपने तमाम बड़े घोषणाओं से समाज के किन तबकों को साधने की कोशिश की है:

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युवा वोटर्स

कांग्रेस रोजगार के मोर्चे पर नरेंद्र मोदी सरकार के रिकॉर्ड की तीखी आलोचना करती रही है. पार्टी को उम्मीद है कि बेरोजगारी प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक बनकर उभरेगी और उसने युवाओं को साधने के लिए घोषणापत्र में नौकरियों पर विशेष ध्यान दिया है.

  • केंद्र सरकार में अलग-अलग स्तर पर स्वीकृत लगभग 30 लाख रिक्त पदों को भरने का वादा

  • 25 वर्ष से कम आयु के हर डिप्लोमा होल्डर या कॉलेज ग्रेजुएट को एक लाख रुपये प्रति वर्ष के स्टाइपेंड के साथ प्राइवेट या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी में एक साल की ट्रेनिंग

  • पेपर लीक के मामलों को निपटने के लिए फास्ट-ट्रैक्ट कोर्ट और पीड़ित अभ्यर्थियों को आर्थिक मुआवजा

गौरतलब है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में 1.8 करोड़ ऐसे मतदाता होंगे जो पहली बार वोट डाल रहे होंगे. अगर कुल युवा वोट बैंक की बात करें तो इस चुनाव में 20-29 वर्ष के आयु वर्ग के 19.47 करोड़ मतदाता हैं.

मोदी सरकार जब सेना में भर्ती के लिए "अग्निपथ" योजना लेकर आई थी तो देशभर में युवा सड़कों पर निकले थे. कई जगह हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए. भले ही आगे यह प्रदर्शन थम गए लेकिन विपक्ष ने लगातार मौजूदा सरकार पर युवाओं से धोखे का आरोप लगाया. ऐसे में कांग्रेस ने अपने घोषणपत्र में यह भी वादा किया है कि अगर उसकी सरकार बनती है तो अग्निपथ स्कीम को रद्द कर दिया जाएगा.

महिला वोटर्स

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में एक और फोकस महिला कल्याण पर रखा है. कांग्रेस ने महिलाओं को विधानसभा चुनावों में नकद सहायता का वादा किया और उसे हाल के दिनों में हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में चुनाव जीतने में मदद मिली. पार्टी लोकसभा चुनाव में भी इसी रणनीति को भुनाने की कोशिश करती दिख रही है.

  • घोषणापत्र में हर गरीब भारतीय परिवार को बिना कोई शर्त हर साल 1 लाख रुपये देने के लिए महालक्ष्मी योजना शुरू करने का वादा किया गया है. यह राशि सीधे बैंक अकाउंट में जमा की जाएगी.

कांग्रेस ने इससे पहले यूपी विधानसभा चुनावों में महिलाओं को अपने पाले में करने के लिए 40% टिकट उनके लिए रिजर्व किया था. हलांकि पार्टी को सूबे की एक भी विधानसभा सीट पर जीत हासिल नहीं हुई. हाल ही में जब मोदी सरकार ने 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' संसद से पास कराकर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया. हालांकि कांग्रेस समेत तमात विपक्षी पार्टियों ने इसकी आलोचना इस आधार पर की कि 2029 के चुनावों से पहले इसके प्रभावी ढंग से लागू होने की संभावना कम है.

  • अब कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सरकार बनते ही महिला आरक्षण को तत्काल लागू किया जाएगा.

  • साथ ही 2025 से महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की 50% नौकरियां आरक्षित की जाएंगी.

बता दें कि 2024 लोकसभा चुनाव में कुल 96.8 करोड़ वोटर्स हैं और इनमें से महिला वोटर्स की संख्या 47.1 करोड़ है यानी लगभग आधी. 2019 में जो जेंडर रेश्यो/ अनुपात 928 था वो अब सुधरकर 948 हो गया है.

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सामाजिक न्याय

लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होने से बहुत पहले ही कांग्रेस ने जाति जनगणना के मुद्दे पर खूब जोर दिया. विशेष रूप से राहुल गांधी ने पहले से ही पूरे देश में जाति जनगणना की मांग को पार्टी के चुनावी अभियान का केंद्रबिंदु बना दिया था. पार्टी को इससे पिछड़े वर्ग के समर्थन आधार को फिर से हासिल करने की उम्मीद है.

ऐसे में पार्टी ने घोषणापत्र में जाति जनगणना में वादे को दोहराया गया है. इसके साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50% से बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन करेगी.

साथ ही:

  • बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और समुदायों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10% कोटा

  • सरकारी नौकरियों में जितनी आरक्षित पद खाली हैं उन्हें एक साल के अंदर भरा जाएगा

  • एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के लिए स्कॉलरशिप दोगुनी की जाएगी, विशेषकर उच्च शिक्षा में.

  • एससी, एसटी और ओबीसी के लिए निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15(5) के अनुसार एक कानून बनाया जाएगा

  • एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित अधिक महिलाओं और व्यक्तियों को हाई कोर्ट्स और सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया जाएगा

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कुछ अन्य बड़े वादे

जम्मू-कश्मीर को तुरंत पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. साथ ही लद्दाख के जनजातीय क्षेत्रों को शामिल करने के लिए संविधान की छठी अनुसूची में संशोधन किया जाएगा.

LGBTQIA+ समुदाय के लोगों को आपस में शादी करने (सिविल यूनियन) की अनुमति होगी और उसे कानूनी मान्यता प्राप्त होगी. LGBTQIA+ से किया गया यह वादा उस समय आया है जब विवाह अधिकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट में समुदाय का प्रयास असफल रहा है.

कई अन्य विपक्षी पार्टियों की तरह ही कांग्रेस को कई राज्यों (जैसे मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश) में अपनी सरकार इसलिए खोनी पड़ी क्योंकि उसके विधायक दूसरी पार्टियों में चले गए. ऐसे में कांग्रेस ने कहा है कि वह संविधान की दसवीं अनुसूची में संशोधन करेगी और दलबदल करने वाला विधायक या संसद की सदस्यता खुद से चली जाएगी.

ओल्ड पेंशन स्कीम, बैलेट पेपर पर घोषणपत्र चुप!

कांग्रेस ने लगातार सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की वकालत की है और विधानसभा चुनावों में इसे अपना मुद्दा भी बनाया. जिन राज्यों में पार्टी सत्ता में आई वहां इसे लागू भी किया. लेकिन इसका जिक्र कांग्रेस के घोषणापत्र में नहीं है.

ऐसे ही पार्टी EVM की जगह बैलेट पेपर की मांग करती रही है. 2018 में, पार्टी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में पेपर बैलेट को वापस लाने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. लेकिन घोषणापत्र इस मुद्दे पर भी चुप है. इसके बजाय, पार्टी ने वादा किया है कि चुनाव कानूनों में ऐसा बदलाव किया जाएगा ताकि EVM की दक्षता और बैलेट पेपर की पारदर्शिता, उसमें दोनों हों.

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