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कई महीनों की प्रक्रिया और इंतजार के बाद आखिरकार असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी हो ही गई. इस लिस्ट में करीब 19 लाख से ज्यादा लोगों के नाम शामिल नहीं है. हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
असम बीजेपी ने कहा है कि उन्हें इस एनआरसी पर भरोसा नहीं है और वो केंद्र सरकार से मांग करेंगे कि पूरे देश में एनआरसी लागू किया जाए.
असम बीजेपी ने साथ ही कहा है कि अगर विदेशी ट्रिब्यूनल ने किसी सही भारतीय के खिलाफ आदेश दिया तो उनकी सरकार इसके खिलाफ विधेयक लाएगी.
वहीं असम सरकार में मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि आंकड़ों में कुछ गड़बड़ हुई है और उनके पास इसके सबूत हैं. इसके साथ ही सरमा ने सुप्रीम कोर्ट से इसके री-वेरिफिकेशन की मांग की है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई ने कहा है कि बीजेपी सही और स्पष्ट एनआरसी लाने में नाकाम रही है.
गोगोई ने कहा कि कई भारतीयों के नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए हैं.
गोगोई ने बीजेपी की नाखुशी को सरकार की नाकामी करार दिया. गोगोई ने कहा- “बीजेपी इस लिस्ट से खुश नहीं है और इससे साफ जाहिर होता है कि वो बुरी तरह से फेल हुए हैं. सरकार के पास वो सारी मशीनरी है जिससे वो ये पता लगा सकें कि कौन विदेशी है.”
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने इस लिस्ट के जारी होने के लिए अधिकारियों की तारीफ की और कहा कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रही है.
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए. ओवैसी ने कहा कि बीजेपी गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने के लिए बिल ला सकती है.
पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बांग्लादेशी मुस्लिमों को बाहर निकालने के लिए राज्य में एनआरसी लागू करने की शनिवार को मांग की.
उन्होंने कहा कि बीजेपी नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए हिंदू शरणार्थियों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम मांग करते हैं कि असम की तरह बंगाल में भी एनआरसी लागू होनी चाहिए. अगर टीएमसी सरकार कोई कठिन फैसला लेना नहीं चाहती तो हम इसे लागू करेंगे और 2021 में सत्ता में आने के बाद राज्य से बांग्लादेशी मुस्लिमों को बाहर निकाल देंगे.’’
एनआरसी की इस लिस्ट में सेना के पूर्व अधिकारी और असम के ही एक विधायक का नाम भी शामिल नहीं है. सेना के पूर्व अधिकारी मोहम्मद सनाउल्लाह का नाम NRC की आखिरी लिस्ट में नहीं है. उन्होंने कहा, ''मुझे भरोसा है कि जब हाई कोर्ट से मुझे न्याय मिलेगा, तो मेरा नाम NRC में आ जाएगा."
उनके अलावा असम की ही पार्टी एआईयूडीएफ के एक विधायक अनंत कुमार मालो समेत एक कांग्रेसी विधायक की बेटी का नाम भी इस लिस्ट में नहीं आ पाया है.
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Published: 31 Aug 2019,07:56 PM IST